सेबी ने शुरू की अडानी ग्रुप की जांच, पीएम ऑफिस को दी जा रही मामले की जानकारी: रिपोर्ट
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 20 हजार करोड़ रुपये का एफपीओ वापस लेने के मामले में अडानी ग्रुप Adani Group के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. इसके साथ ही, इस मामले की जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय तक भी पहुंच गई है.
अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी और रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenberg Research) की रिपोर्ट के बाद अपना 20 हजार करोड़ रुपये का एफपीओ वापस लेने के लिए मजबूर होने वाले भारतीय अरबपति कारोबारी गौतम अडानी (Gautam Adani) की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही हैं.
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 20 हजार करोड़ रुपये का एफपीओ वापस लेने के मामले में अडानी ग्रुप
के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. इसके साथ ही, इस मामले की जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय तक भी पहुंच गई है.समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में दो सूत्रों के हवाले से कहा है कि सेबी 20 हजार करोड़ रुपये की शेयर बिक्री में कुछ निवेशकों के साथ अडानी ग्रुप के संबंध की जांच कर रहा है.
सूत्रों का कहना है कि सेबी इस बात की जांच कर रहा है क्या भारतीय सिक्योरिटीज कानूनों का कोई संभावित उल्लंघन हुआ या शेयर बिक्री प्रक्रिया में हितों का कोई टकराव हुआ है.
सेबी अडानी और मॉरीशस की कम से कम दो फर्मों - ग्रेट इंटरनेशनल टस्कर फंड (Great International Tusker Fund) और आयुष्मान लिमिटेड (Ayushmat Ltd.) - के बीच संबंधों की जांच कर रही है. इन दोनों कंपनियों ने कई अन्य कंपनियों के साथ एंकर निवेशकों के रूप में भाग लिया था.
भारत की पूंजी और प्रकटीकरण आवश्यकता नियमों के तहत, कंपनी के संस्थापक या संस्थापक समूह से संबंधित कोई भी संस्था एंकर निवेशक श्रेणी के तहत आवेदन करने के लिए अपात्र है. सूत्रों में से एक ने कहा कि जांच का फोकस इस बात पर होगा कि क्या एंकर निवेशक संस्थापक समूह से "जुड़े" हैं.
सेबी और अदानी समूह ने जांच के बारे में कमेंट के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया. ग्रेट इंटरनेशनल टस्कर फंड और आयुष्मान लिमिटेड ने भी कमेंट के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया.
दो इंवेस्टमेंट बैंक भी जांच के घेरे में
यही नहीं, एफपीओ का प्रबंधन करने वाले 10 निवेशक बैंकों में दो एलारा कैपिटल और मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल भी सेबी के जांच के घेरे में हैं. सेबी ने इन दोनों कंपनियों से पिछले सप्ताह संपर्क किया था.
एफपीओ प्रक्रिया में "किसी भी तरह के विवाद" से बचने के लिए एलारा और मोनार्क की भूमिकाओं की बाजार नियामक द्वारा जांच की जा रही है.
पीएम ऑफिस की मामले पर नजर
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों का असर केवल बिजनेस वर्ल्ड ही नहीं हुआ है. इसने देशभर के लोगों का ध्यान खींचा है. वहीं, विपक्ष संसद में लगातार इस मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग कर रहा है.
दो सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने प्रधानमंत्री कार्यालय की भी चिंता बढ़ा दी है. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने मोदी के कार्यालय में अधिकारियों को जानकारी दी है और बाजार नियामक सेबी के संपर्क में है. इसके साथ ही, मंत्रालय ने 2 फरवरी को अडानी के पिछले वित्तीय विवरणों की समीक्षा शुरू कर दी थी.
हिंडनबर्ग के खिलाफ अमेरिकी एक्टिविज्म डिफेंस लॉ फर्म की मदद लेंगे अडानी
इसके साथ ही, अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ कानूनी लड़ाई के लिए पहला कदम बढ़ा दिया है. इसके लिए अडानी ने एक्टिविज्म डिफेंस लॉ फर्म वाचटेल, लिप्टन, रोसेन एंड काट्ज को हायर किया है. द फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है.
बता दें कि, अडानी ग्रुप हिंडनबर्ग के खुलासे के बाद बड़े संकट का सामना कर रहा है, जहां उसने अपनी रिपोर्ट में ग्रुप पर कॉरपोरेट धोखाधड़ी में लिप्त होने का आरोप लगाया है.
बता दें कि, हिंडनबर्ग रिपोर्ट सामने आने के बाद अडानी ग्रुप ने कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी. हालांकि, इस पर हिंडनबर्ग ने कहा था कि, ‘अगर अडानी गंभीर हैं तो उन्हें हमारे खिलाफ अमेरिका में केस फाइल करना चाहिए, जहां हमारे दफ़्तर हैं. हमारे पास उन दस्तावेजों की लंबी सूची है, जिनकी मांग हम ‘लीगल डिस्कवरी प्रोसेस’ में करेंगे’.
Edited by Vishal Jaiswal