SEBI ने Birla Pacific मामले में 10 कंपनियों पर लगाया 3.42 करोड़ रुपये का जुर्माना
पूंजी बाजार नियामक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने Birla Pacific Medspa और यशोवर्धन बिड़ला सहित 10 कंपनियों पर कुल ₹3.42 करोड़ का जुर्माना लगाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लिस्टिंग समझौतों का उल्लंघन करने के साथ-साथ Birla Pacific Medspa Ltd के IPO से जुटाए गए पैसों का हेरफेर करने के मामले में सेबी ने यह कदम उठाया है.
इस जुर्माने में बिरला पैसिफिक मेडस्पा लिमिटेड पर ₹1.07 करोड़, अभिजीत देसाई पर ₹32 लाख, पीवीआर मूर्ति पर ₹26 लाख, और यशोवर्धन बिड़ला, वेंकटेश्वरलु नीलाभोटला, मोहनदास अडिगे, अनोज मेनन, राजेश शाह, उपकार सिंह कोहली और तुषार डे पर ₹25 लाख (प्रत्येक पर) जुर्माना लगाया गया है.
यह तब सामने आया जब सेबी ने 2011 में 7-15 जुलाई की अवधि के लिए Birla Pacific Medspa (BPML) के IPO की जांच की.
BPML का शेयर 7 जुलाई, 2011 को BSE में सूचीबद्ध किया गया था, जब आईपीओ 20-23 जून, 2011 तक सदस्यता के लिए खुला था. लिस्टिंग के दिन, शेयर की कीमत में तेज उतार-चढ़ाव देखा गया था, जो ₹ 25.35, 154% अधिक पर बंद हुआ था, ₹10 प्रति शेयर के निर्गम मूल्य से. सेबी ने 28 सितंबर को पीटीआई के हवाले से एक आदेश में ये कहा था.
आदेश में कहा गया है कि BPML को ₹65.17 करोड़ का IPO मिला, हालांकि, आईपीओ से प्राप्त पैसों का उपयोग पूरे भारत में 55 'इवॉल्व' हेल्थकेयर की स्थापना के लिए नहीं किया गया था, जैसा कि फर्म द्वारा प्रॉस्पेक्टस में कहा गया है, और ₹34.91 करोड़ का हेरफेर किया गया था.
यह भी सामने आया है कि आईपीओ की शेष राशि में से 31.54 करोड़ रुपये की राशि विभिन्न समूह कंपनियों को इंटर कॉरपोरेट डिपॉजिट (आईसीडी) के रूप में दी गई थी, जिसमें से उक्त कंपनियों द्वारा BPML को 18.54 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया.
इसके अलावा, एजेंसी ने बताया कि BPML को उक्त कंपनियों से ₹6.39 करोड़ का ब्याज नहीं मिला. इसलिए, BPML, देसाई और मूर्ति ने SCRA (प्रतिभूति अनुबंध और विनियम अधिनियम) नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन किया.
इस बीच, एक अलग आदेश में, सेबी ने फर्स्ट फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के मामले में बाजार के मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए 35 संस्थाओं पर कुल 71 लाख रुपये का जुर्माना लगाया.
यह आदेश तब आया जब सेबी ने फर्स्ट फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के शेयरों में ट्रेडिंग और डीलिंग की जांच की और मई 2012 से मार्च 2014 की अवधि के दौरान बीएसई पर शेयर की कीमत और ट्रेडिंग वॉल्यूम में असामान्य उतार-चढ़ाव देखा.
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Edited by रविकांत पारीक