बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का 66 साल की उम्र में निधन
पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का दिल्ली के एम्स में निधन हो गया।
भाजपा के कद्दावर नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली का शनिवार को एम्स में निधन हो गया। वह 66 वर्ष के थे। अस्पताल ने एक संक्षिप्त बयान में बताया कि जेटली ने दोपहर 12 बजकर सात मिनट पर अंतिम सांस ली। एम्स ने कहा कि हम बड़े दुख के साथ अरुण जेटली के निधन की जानकारी दे रहे हैं कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने 24 अगस्त को दोपहर 12 बजकर सात मिनट पर अंतिम सांस ली।
जेटली को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में नौ अगस्त भर्ती कराया गया था और कई क्षेत्रों के वरिष्ठ चिकित्सकों का दल उनका इलाज कर रहा था। अस्पताल के सूत्रों ने इससे पहले उनके जीवन रक्षक प्रणाली पर होने की जानकारी दी थी।
जेटली पेशे से वकील थे और भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में उनकी अहम भूमिका रही । उन्होंने वित्त और रक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभाला और कई बार सरकार के लिए संकट मोचक भी साबित हुए। बीमारी के कारण जेटली ने 2019 लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था। इस साल मई में भी उन्हें इलाज के लिए एम्स में भर्ती कराया गया था। गत वर्ष 14 मई को उनके गुर्दे का प्रतिरोपण हुआ था। उस समय रेलवे मंत्री पीयूष गोयल ने उनके वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला था। गत वर्ष अप्रैल से ही उन्होंने अपने कार्यालय आना बंद कर दिया था। बीमारी को मात देकर 23 अगस्त 2018 को उन्होंने दोबारा वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला था। मधुमेह की बीमारी के चलते वजन बढ़ने के कारण सितम्बर 2014 में उनकी ‘बेरिएट्रिक सर्जरी’ भी हुई थी।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे अरुण जेटली के लिए राजनीतिक हलकों में अनौपचारिक तौर पर माना जाता था कि वह ‘पढ़े लिखे विद्वान मंत्री’ हैं। पिछले तीन दशक से अधिक समय तक अपनी तमाम तरह की काबिलियत के चलते जेटली लगभग हमेशा सत्ता तंत्र के पसंदीदा लोगों में रहे, सरकार चाहे जिसकी भी रही हो। सौम्य, सुशील, अपनी बात स्पष्टता के साथ कहने वाले और राजनीतिक तौर पर उत्कृष्ट रणनीतिकार रहे जेटली भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मुख्य संकटमोचक थे जिनकी चार दशक की शानदार राजनीतिक पारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते समय से पहले समाप्त हो गई। हर जटिल मसले पर सर्वसम्मति बनाने में महारत प्राप्त जेटली को कुछ लोग मोदी का ‘ऑरिजनल चाणक्य’ भी मानते थे जो 2002 से मोदी के लिए मुख्य तारणहार साबित होते रहे जब तत्कालीन मुख्यमंत्री पर गुजरात दंगे के काले बादल मंडरा रहे थे।
जेटली न सिर्फ मोदी बल्कि अमित शाह के लिए भी उस वक्त में मददगार साबित हुए, जब उन्हें गुजरात से बाहर कर दिया गया था। शाह को उस वक्त अक्सर जेटली के कैलाश कॉलोनी दफ्तर में देखा जाता था और दोनों हफ्ते में कई बार साथ भोजन करते देखे जाते थे। 2014 में मोदी को भाजपा के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने की औपचारिक घोषणा से पहले के कुछ महीनों में, जेटली ने राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान और नितिन गडकरी को साथ लाने के लिए पर्दे के पीछे बहुत चौकस रह कर काम किया।
प्रशिक्षण से वकील रहे जेटली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे और जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने अरुण शौरी और सुब्रमण्यम स्वामी की दावेदारी को अनदेखा करते हुए उन्हें वित्त मंत्रातय का महत्वपर्ण दायित्व सौंपा। मोदी एक बार जेटली को “अनमोल हीरा” भी बता चुके हैं। सरकार में जेटली की उपयोगिता का अंदाज इससे लगाया जा सकता था कि जब तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की सेहत बिगड़ी तो उन्हें ही मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया।
सत्ता संचालन के दांव पेंच से भली-भांति परिचित जेटली 1990 के दशक के अंतिम सालों के बाद से नयी दिल्ली में मोदी के भरोसेमंद बन चुके थे और बीते कुछ सालों में, खासकर गुजरात में 2002 के दंगों के बाद, अदालती मुश्किलों को हल करने वाले कानूनी दिमाग से आगे बढ़ कर वह उनके मुख्य सलाहकार, सूचना प्रदाता और उनके प्रमुख पैरोकार बन चुके थे। अपने बहुआयामी व्यक्तित्व, अनुभव और कुशाग्रता के चलते मोदी सरकार के पहले कार्यकाल (2014 से 2019) में जेटली लगभग हर जगह छाए रहे। सरकार की उपलब्धियां गिनाने का मामला हो या सरकार के विवादित फैसलों के बचाव का या फिर विपक्ष पर आक्रामक हमला बोलने की बात हो या 2019 के चुनाव अभियान के लिए 'स्थिरता या अव्यवस्था के बीच चुनने की परीक्षा' का विमर्श तय करना हो, जेटली की भूमिका हर मामले में महत्वपूर्ण थी।
देश और दुनिया के लिए उन्होंने ईंधन की बढ़ती कीमतों का वैश्विक संदर्भ समझाया, जटिल राफेल लड़ाकू विमान सौदे को आसान शब्दों में बताया, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसे बड़े आर्थिक कानून को संसद की मंजूरी दिलवाई जो करीब दो दशकों से लटका हुआ था। भाजपा सरकार के प्रमुख राजनीतिक रणनीतिकार से लेकर अत्यंत महत्त्वपूर्ण, संवेदनशील विभाग - वित्त- संभालने वाले जेटली ने अपनी भौतिकतावादी पसंदों जैसे महंगे पैन, घड़ियों और लक्जरी गाड़ियां रखने के शौक पूरा करते हुए कई भूमिकाएं निभाईं।
अगर पदक्रम के हिसाब से देखा जाए तो वह पहली मोदी सरकार में बेशक नंबर दो पर थे। कई नियुक्तियां उनके कहने पर हुईं। पार्टी के सभी प्रवक्ता सलाह के लिए उनके पास जाते थे। राजधानी के सियासी गलियारों की झलक पाने के लिए अंदरूनी सूत्र के लिहाज से वह मीडिया के चहेते थे। यह माना जाता था कि ऐसी कोई जानकारी नहीं हो सकती जो जेटली को पता न हो।
मोदी और जेटली का साथ बहुत पुराना है जब आरएसएस प्रचारक, मोदी को दिल्ली में 90 के दशक के अंतिम में भाजपा का महासचिव नियुक्त किया गया था, वह 9 अशोक रोड के जेटली के आधिकारिक बंगले के एक कमरे में रहते थे। उस वक्त जेटली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री थे। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल को हटा कर मोदी को उस पद पर बिठाने को लेकर लिए गए फैसले में भी उनकी भूमिका मानी जाती थी।
विभाजन के बाद लाहौर से भारत आए एक सफल वकील के बेटे जेटली ने कानून की पढ़ाई की थी। जब देश में आपातकाल लागू हुआ तब वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष थे। विश्वविद्यालय परिसर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की सजा उन्हें 19 महीने जेल में रह कर काटनी पड़ी।
आपातकाल हटने के बाद उन्होंने वकालत शुरू की और 1980 में दिल्ली के तत्कालीन उपराज्यपाल द्वारा इंडियन एक्सप्रेस की इमारत को गिराने के फैसले को चुनौती दी। इस दौरान वह रामनाथ गोयनका, अरुण शौरी और फली नरीमन के संपर्क में आए। इसी दौरान उन पर विश्वनाथ प्रताप सिंह की नजर पड़ी जिन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद जेटली को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया। वह इस पद पर काबिज होने वाले सबसे युवा व्यक्ति थे।
गौरतलब है कि सांस लेने में तकलीफ और बेचैनी की शिकायत के बाद 9 अगस्त को अरुण जेटली को एम्स में भर्ती किया गया था। इस साल मई में जेटली को इलाज के लिये एम्स में भर्ती कराया गया था। जेटली पेशे से एक वकील हैं और वह भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल का अहम हिस्सा रहे थे। उन्होंने वित्त एवं रक्षा दोनों मंत्रालयों का कार्यभार संभाला था और उन्होंने प्राय: सरकार के प्रमुख संकटमोचक के तौर पर भी काम किया था। अरुण जेली के निधन पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक ज़ाहिर करते हुए कहा,
"अरुण जेटली राजनीतिक दिग्गज थे जो बौद्धिक और कानूनी रूप से मजबूत थे। वह एक मुखर नेता थे जिन्होंने भारत के लिए आखिर तक स्थायी योगदान दिया। उनका निधन बहुत दुखद है। उनकी पत्नी संगीता जी और बेटे रोहन से बात की और संवेदना व्यक्त की। ऊं शांति"
साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वित्त मंत्री अरूण जेटली के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि उनका जाना देश और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। योगी ने अपने ट्वीट में लिखा,
"देश के प्रख्यात विधिवेत्ता एवं पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली जी के निधन की खबर से स्तब्ध हूं ।"
योगी ने कहा, "अरूण जेटली जी का जाना देश और समाज की ऐसी अपूरणीय क्षति है, जिसकी रिक्तता का अहसास हम लंबे समय तक करते रहेंगे। जेटली छात्र जीवन में ही भाजपा से जुड़े, आपातकाल के ख़िलाफ़ आवाज मुखर बने एवं आजीवन सकारात्मक राजनीति के साथ देश की सेवा करते रहे। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और जेटली के परिजनों को इस अपार दुःख को सहन करने की शक्ति दें।"
अरुण जेटली के निधन पर कांग्रेस ने दुख जताया और उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की। पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से कहा, ‘‘हमें अरुण जेटली जी के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ है। दुख की इस घड़ी में हमारी संवेदनाएं और प्रार्थना उनके परिवार के साथ हैं।’’ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी उनके निधन पर दुख जताया और कहा कि सार्वजनिक जीवन में जेटली के योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। सोनिया ने अपने एक बयान में दुख जताते हुए कहा,
"जेटली ने एक सार्वजनिक व्यक्तित्व, सांसद और मंत्री के रूप में लंबे समय तक सेवाएं दीं। सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान को हमेशा याद किया जायेगा।"
पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल, मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और कई अन्य नेताओं ने भी जेटली के निधन पर दुख प्रकट किया। साथ ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और गजेंद्र सिंह शेखावत सहित कई नेताओं ने शनिवार को पूर्व वित्त मंत्री अरूण जेटली के निधन पर शोक प्रकट किया। मुख्यमंत्री गहलोत ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया,
‘‘पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली के असामयिक निधन के समाचार से दुखी हूं।’’
गहलोत ने जेटली के परिजनों के प्रति सांत्वना जताई। इस बीच, पायलट ने जेटली के निधन को देश के लिए बड़ी क्षति बताया है।उन्होंने ट्वीट किया,
‘‘यह सुनकर गहरा दुख हुआ कि जेटली नहीं रहें।’’
पायलट ने कहा कि जेटली के योगदान को देखते हुए उनका जाना देश के लिए बड़ी क्षति है। बीकानेर से सांसद व केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने ट्वीट किया,
‘‘भाजपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व वित्त मंत्री, मेरे वरिष्ठ सहयोगी और मार्गदर्शक अरुण जेटली जी के निधन से मन अत्यंत दुखी है।’’
मेघवाल ने कहा कि जेटली का निधन भाजपा परिवार ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण राजनीतिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।जोधपुर से सांसद और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, ‘‘भाजपा परिवार के श्रद्धेय, अग्रज, संगठन के प्रबुद्ध स्तम्भ अरुण जेटली का जाना अत्यन्त दुखदाई है।’’ शेखावत ने ट्वीट किया,
‘‘उन्होंने संगठन और सरकार में विभिन्न पदों पर गरिमा से अपना कर्तव्य निभाया है। मेरे जैसे सैंकड़ों कार्यकर्ताओं के लिए आदरणीय अरुण जेटली हमेशा एक मार्गदर्शक की तरह थे।’’
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने भी जेटली के निधन पर शोक जताया और इसे भाजपा परिवार और राजनीतिक क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति बताया।