एर्नाकुलम् में भूखों के लिए 'रेफ्रिजरेटर ऑफ लव' मुहिम चलाती हैं मीनू पॉलिन
एर्नाकुलम् (केरल) में सिटी बैंक की नौकरी छोड़कर 'पाप्पडवडा' रेस्तरां चला रहीं मीनू पॉलिन कालूर बस स्टैंड के पास 'ननमा मारम' (पुण्य पेड़) के नीचे 'रेफ्रिजरेटर ऑफ लव' मुहिम चलाकर भूखे-दूखे लोगों को मुफ़्त में भोजन भी कराती हैं। चौबीसो घंटे चलने वाले 420 लीटर के इस रेफ्रिजरेटर की बिजली का खर्च भी वही उठाती हैं।
एर्नाकुलम (केरल) की रहने वाली मीनू पॉलिन सिटी बैंक की नौकरी छोड़कर विगत पांच वर्षों से खुद का 'पाप्पडवडा रेस्तरां' चलाने के साथ ही अपनी कमाई से भूखे और जरूरतमंदों लोगों को खाना भी खिलाती हैं। मीनू पॉलिन बताती हैं कि एक दिन जब वह अपने रेस्तरां से बाहर निकल रही थीं, देखा कि रेस्तरां के ठीक सामने एक महिला ट्रैश-बिन में पड़ा खाना निकालकर अपनी प्लेट में खा रही है। तभी उनके दिमाग में एक सोशल आइडिया कौंधा कि क्यों न वह ऐसे भूखे-दूखे लोगों को खाना खिलाने की 'रेफ्रिजरेटर ऑफ लव' मुहिम भी शुरू कर दें। इसके बाद उन्होंने अपने रेस्तरां के बाहर एक फ्रिज रखवा दिया, ताकि उसमें रखा साफ खाना मुफ़्त में कोई भी भूखा व्यक्ति निकालकर खा सके। मीनू पॉलिन इस मुहिम को दृढ़ता से चलाने के लिए कुछ लोगों की एक टीम भी बना रखी है।
हमारे देश में एक तरफ करोड़ों लोग दाने-दाने को मोहताज हैं, कुपोषण के शिकार हैं, वहीं हर साल देश के खाद्य उत्पादन का 40 फीसदी यानी 50 हजार करोड़ रुपए का भोजन बर्बाद चला जाता है। प्रतिदिन लाखों टन भोजन बर्बाद हो रहा है। विश्व खाद्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया का हर 7वां व्यक्ति भूखा सोता है। विश्व भूख सूचकांक में भारत का 67वां स्थान है। देश में हर साल 25.1 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन होता है लेकिन हर चौथा भारतीय भूखा सोता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 23 करोड़ टन दाल, 12 करोड़ टन फल और 21 करोड़ टन सब्जियां वितरण प्रणाली में खामियों के कारण खराब हो जाती हैं। महंगाई ने विश्व की दो अरब भूखी आबादी को भोजन की छीना-झपटी में लगा रखा है।
एक स्टडी के मुताबिक, भारत में बढ़ती संपन्नता के साथ ही लोग खाने के प्रति असंवेदनशील होते जा रहे हैं। खर्च करने की क्षमता के साथ ही खाना फेंकने की प्रवृत्ति भी उनमें बढ़ती जा रही है। ऐसे में मीनू पॉलिन की मुहिम एक बड़ा सबक भी है, संदेश भी।
एर्नाकुलम स्थित कालूर बस स्टैंड के पास 'ननमा मारम' (पुण्य पेड़) के नीचे रखे कम्युनिटी 'रेफ्रिजरेटर ऑफ लव' से अपनी मुहिम को गति दे रही मीनू बताती हैं कि अंदर उनका स्वयं का रेस्तरां चलता है, जहां संपन्न लोग पैसे देकर खाते-पीते हैं और सामने बाहर 420 लीटर का कम्युनिटी रेफ्रिजरेटर भूखों, गरीबों और जरूरतमंद लोगों के लिए मुफ्त के खाद्य पदार्थों से भरा रहता है। बस इतनी ताकीद रखी जाती है कि वे अपनी जरूरत भर ही फ्रिज से खाना निकालें, ताकि वह अनावश्यक बर्बाद न होकर बाकी लोगों के काम आ सके। मीनू बताती हैं कि प्रायः उनके रेस्तरां में बचा खाना पहले फेंक दिया जाता था। उनकी मुहिम से एक तो खाने की बर्बादी रुक गई है, दूसरे भूखे लोगों को मुफ्त में खाना मिल जा रहा है। रेफ्रिजरेटर हर वक़्त चालू रखने में बिजली का खर्चा भी वह स्वयं वहन करती हैं।
'रेफ्रिजरेटर ऑफ लव' में रोज़ाना पचास से सौ पैकेट खाना रख दिया जाता है। खाने की गुणवत्ता और साफ-सफाई बनाए रखने के लिए उन पैकेट्स पर तैयार खाने की तारीख भी लिखी होती है, जिससे खराब खाने को हटाया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने इवेंट मैनेजर्स, पार्टी मेकर्स और अन्य रेस्तरां मालिकों से बचे हुए, पर ताजा और खाने लायक खाने को तरीके से पैक कर 'रेफ्रिजरेटर ऑफ लव' में जमा करने की भी अपील कर रखी है। रेफ्रिजरेटर के पास एक सीसीटीवी कैमरा और सुरक्षा गार्ड भी तैनात रहता है। फ्रिज को हर तीसरे दिन साफ किया जाता है।
अट्ठाईस वर्षीय मीनू पॉलिन कहती हैं कि हमारे देश में दो तरह के लोग पाये जाते हैं। एक वे, जो खाते-खाते मर जाते हैं और दूसरे वे, जो भूखे मर जाते हैं। 'रेफ्रिजरेटर ऑफ लव' खाने की अमीरी और गरीबी की इसी खाई को पाटने की एक छोटी-सी कोशिश है। एक ओर उनके रेस्तरां ने मुनाफे की राह पकड़ ली है, दूसरी ओर भूखे और कुपोषित लोगों का पेट भर कर वह लोगों से दुआएं भी पा रही हैं। इससे उनके मन को बड़ी शांति मिलती है।