कामयाबी की जीती-जागती मिसाल हैं शीतल कपूर
शादी के बाद दो दशक हाउस वाइफ के रूप में गुजार चुकी शीतल कपूर को आज पूरा देश सफल महिला उद्यमी के रूप में जानता है। कुल 45 स्टोर्स वाली उनकी कंपनी 'श्री' का आज टोटल टर्नओवर 200 करोड़ रुपए का हो चुका है। अब वह रोजाना कम से कम दस घंटे अपने ऑफिस को समय देती हैं।
कहा गया है कि श्रद्धा ज्ञान देती है, नम्रता मान देती है, योग्यता स्थान देती है, और तीनों मिल जाएं तो व्यक्ति को हर जगह सम्मान देती है। आज इन पंक्तियों को अपने जीवन में उतार कर देश की तमाम महिलाएं यश और पैसा दोनो कमा रही हैं। मूलतः पंजाब की रहने वाली महिला उद्यमी शीतल कपूर कभी सोचा करती थीं कि कपड़े ऐसे होने चाहिए, जो आसानी से बजट में फिट भी हो जाएं, उनकी क्वालिटी भी बढ़िया हो और उन्हें ड्राई-क्लीन न कराना पड़े। इसी सोच के साथ उन्होंने अपने लेबल के तहत ऑनलाइन कुर्तियां बेचने की शुरुआत की।
शुरुआत में उनके ब्रांड को बहुत ज्यादा रिस्पॉन्स नहीं मिला। उस समय ऑनलाइन शॉपिंग का क्रेज देश में शुरू ही हुआ था और लोग बड़े ब्रांड्स के कपड़े खरीदना पसंद करते थे। धीरे-धीरे उनके प्रोडक्ट्स की बेहतर क्वालिटी और बजट फ्रेंडली दामों ने लोगों के बीच अपनी जगह बनाई। अब उनका 'श्री' ब्रांड खुद बड़े ब्रांड्स में शुमार हो चुका है। यह कंपनी वे अपने पति संदीप कपूर के साथ मिलकर चलती हैं।फैशन ब्रांड 'श्री' (द इंडियन अवकतार) की जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर शीतल कपूर ने पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया है। पंजाब के अमृतसर में पली बढ़ी शीतल शादी करके दिल्ली आ गईं।
इसके बाद उन्होंने पूरी तरह खुद को परिवार की सेवा में लगा दिया। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते गए उन्हें लगने लगा कि उन्हें कुछ करना चाहिए। उनके मन में कुछ क्रिएट करने का विचार आने लगा। पढ़ाई-लिखाई के बाद लगभग दो दशक तक हाउस वाइफ रहने के बाद वह वर्ष 2009 से फ्रीलांस बिजनेस करने लगीं। ईबे पर कपड़े बेचने से शुरुआत की।
भारतीय एथनिक और ऑनलाइन फ्यूजन एंड फैशन विमिनवेयर बेचना शुरू किया। आज उनकी मंथली ऑनलाइन और ऑफलाइन सेल्स 2.5 लाख पीस से ज्यादा है। वह ग्राहकों की पसंद के हिसाब से कस्टमाइज्ड कट और फिटिंग्स वाले कपड़े बेचती हैं। वर्ष 2012 के बाद जब ई-कॉमर्स बूम आया तो वह फ्लिपकार्ट, मिंत्रा और जबॉन्ग से जुड़ गईं। आज वह ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों रूट से कपड़े बेच रही हैं। वह महिलाओं के लिए स्टोल से लेकर दुपट्टा, कुर्ता और गाउन तक बेचती हैं और खुश हैं कि उनका बिजनस बढ़िया चल रहा है।
कहा जाता है कि अगर कुछ कर गुजरने का संकल्प ले लिया जाए तो कामयाबी खुद कदम चूमने लगती है। इस कहावत की जीती जागती नज़ीर बन चुकी हैं दिल्ली की शीतल कपूर। वह बताती हैं कि उनकी पढ़ाई के समय कंप्यूटर का बहुत चलन नहीं था। लिहाजा उन्हें कंप्यूटर की बहुत ज्यादा समझ नहीं थी। लेकिन उनका बिजनेस मॉडल ऐसा था जिसमें कंप्यूटर की नॉलेज होना बहुत जरूरी था। ऐसे में उन्होंने कंप्यूटर सीखा और खुद को इस बिजनेस के लिए तैयार किया। उनके पास आज कुल पैंतालीस स्टोर्स हैं।
उनके लगभग सभी रिश्तेदार श्री ब्रांड के फ्रैंचाइजी ओनर हैं। उन्होंने उन्हीं जगहों पर अपने स्टोर खोले हैं, जहां की महिलाओं का फैशन में गहरी दिलचस्पी और उनके पास ऐसे कपड़े खरीदने के लिए पैसा होता है। एक वो दिन भी था जब ऑनलाइन उनकी पहली कुर्ती एक विदेशी ग्राहक ने साढ़े चार सौ रुपए में खरीदी थी और एक आज का दिन है, जब उनकी कंपनी की ग्रॉस मर्चेन्डाइज वैल्यू 200 करोड़ रुपए हो चुकी है। अब वह रोजाना कम से कम दस घंटे अपने ऑफिस को समय देती हैं।
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