भारत का उपभोक्ता खर्च 2030 तक 4 ट्रिलियन डॉलर पार पहुंचने का अनुमान: रिपोर्ट
शिपरॉकेट की ई-कामर्स ट्रैंड्ज़ रिपोर्ट के मुताबिक भारत में उपभोक्ताओं द्वारा किया जाने वाला व्यय लगभग 10 फीसदी CAGR की दर से बढ़कर 2030 तक 4 ट्रिलियन डॉलर से अधिक तक पहुंचने का अनुमान है.
हाइलाइट्स
- शिपरॉकेट ने ओएनडीसी के साथ लॉन्च की ई-कॉमर्स ट्रैंड्ज़ रिपोर्ट
- 57 फीसदी उपभोक्ताओं ने चुना यूपीआई के ज़रिए प्रीपेमेन्ट का विकल्प
- सबसे ज़्यादा 48 फीसदी उपभोक्ताओं ने की फैशन और एक्सेसरीज़ की खरीददारी, इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक्स और ग्रॉसरी सबसे ज़्यादा खरीदी जाने वाली कैटेगरीज़
भारत के प्रमुख ई-कॉमर्स इनेबलमेन्ट प्लेटफॉर्म
ने ट्रैंड्ज़ रिपोर्ट ‘ई-कॉमर्स इन न्यू भारत एण्ड इट्स फ्यूचर (नव भारत में ई-कौमर्स और इसका भविष्य) का लॉन्च किया.इस रिपोर्ट को शिपरॉकेट के सीईओ एवं को-फाउंडर साहिल गोयल ने लॉन्च किया. इस अवसर पर ओएनडीसी के एमडी एवं सीईओ टी कोशी और इमेजेज़ ग्रुप के सीईओ भावेश पित्रोदा भी मौजूद रहे. भारत के एमएसएमई के लिए ई-कॉमर्स समाधानों को सुलभ बनाना शिपरॉकेट का मुख्य उद्देश्य है. द इमेजेज़ ग्रुप द्वारा पेश की गई यह रिपोर्ट, आज के तेज़ी से बदलते ई-कॉमर्स उद्योग के दौर में उपभोक्ताओं के बदलते व्यवहार पर रोशनी डालकर एमएसएमई को सशक्त बनाएगी.
उद्योग जगत के मुख्य रूझान
ई-कामर्स ट्रैंड्ज़ रिपोर्ट के मुताबिक भारत में उपभोक्ताओं द्वारा किया जाने वाला व्यय लगभग 10 फीसदी CAGR (compound annual growth rate) की दर से बढ़कर 2030 तक 4 ट्रिलियन डॉलर से अधिक तक पहुंचने का अनुमान है. इसके अलावा भोजन, आवास, परिधान, पर्सनल केयर, ट्रांसपोर्ट एवं कम्युनिकेशन जैसी श्रेणियों में उपभोक्ताओं का व्यय 2030 तक लगभग 2 गुना बढ़ जाएगा. उपभोक्ताओं की बदलती आदतें, इंटरनेट की बढ़ती पहुंच, मजबूत स्थानीय उपभोक्ता प्रणाली तथा कन्ज़्यूमर प्रोडक्ट्स में तकनीकी इनोवेशन्स- वे मुख्य कारक हैं जो इन श्रेणियों में विकास को बढ़ावा देंगे.
उपभोक्ताओं की बदलती पसंद
उपभोक्ताओं की पसंद की बात करें तो पेमेंट के लिए यूपीआई उनका पसंदीदा विकल्प बन गया है. 57 फीसदी उपभोक्ता यूपीआई के ज़रिए प्रीपेमेन्ट का विकल्प चुनते हैं. इसके बाद 31 फीसदी उपभोक्ता क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करते हैं. वहीं 12 फीसदी उपभोक्ता पेमेंट के लिए अन्य विकल्पों जैसे वॉलेट, नेट बैंकिंग और डेबिट कार्ड को चुनते हैं. उपभोक्ताओं के साथ किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि लगभग 80 फीसदी उपभोक्ता ऑनलाईन मार्केटप्लेसेज़ पर खरीददारी करना पसंद करते हैं. इसमें सबसे ज़्यादा खरीदी जाने वाले कैटेगरी फैशन और एक्सेसरीज़ (48 फीसदी) होती है, इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक्स (32 फीसदी) और ग्रॉसरी (30 फीसदी) में खरीददारी की जाती है.
आंकड़ों के मुताबिक 52 फीसदी से अधिक भारतीय उपभोक्ताओं ने बताया कि ऑनलाईन शॉपिंग साईट से खरीददारी करते समय उनके लिए ‘क्वालिटी यानि गुणवत्ता’ सबसे ज़्यादा मायने रखती है, इसके बाद वे दूसरे स्थान पर भरोसे और तीसरे स्थान पर कीमत को महत्व देते हैं. आंकड़ों में ऑर्डर टै्रकिंग के भी रोचक रूझान सामने आए हैं. तकरीबन दो तिहाई भारतीय उपभोक्ता (68 फीसदी) और 55 फीसदी इंटरनेशनल उपभोक्ता अपने ऑनलाईन ऑर्डर स्टेटस को टै्रक करने के लिए व्हॉटसऐप अपडेट को पसंद करते हैं.
कारोबारों के लिए अनुकूल बिन्दु और मुख्य चुनौतियां
ब्राण्ड्स की बात करें तो रिपोर्ट के अनुसार 40 फीसदी ब्राण्ड्स का मानना है कि सिर्फ एक चैनल के बजाए सभी चैनल एक साथ मिलकर (मार्केटप्लेस, वेबसाईट, सोशल मीडिया) उनकी बिक्री को अधिकतम बनाते हैं. चुनौतियों की बात करें तो 38 फीसदी ब्राण्ड्स का मानना है कि वर्तमान में प्रभावी लॉजिस्टिक्स (डोमेस्टिक और इंटरनेशनल दोनों मामलों में) उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि समय पर डिलीवरी उनकी दक्षता बढ़ाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. अपने सहज एवं आधुनिक ई-कॉमर्स समाधानों के साथ शिपरॉकेट शिपिंग एवं डिलीवरी की समस्याओं को हल कर एमएसएमई को निरंतर सशक्त बना रही है.
शिपरॉकेट के सीईओ एवं को-फाउंडर साहिल गोयल ने कहा, "शिपरॉकेट में हम उद्यमियों एवं छोटे व्यवसायियों की भावना की सराहना करते हैं, जो इनोवेशन्स को बढ़ावा देकर, नौकरियों के अवसर उत्पन्न कर आर्थिक प्रगति में योगदान दे रहे हैं. हमें एमएसएमई की क्षमता पर भरोसा है तथा हम अपने आधुनिक तकनीकी समाधानों के साथ उन्हें सशक्त बनाने और उनके विकास में साझेदार की भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. देश के एमएसएमई आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, इसके साथ देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था नई उंचाईयों तक पहुंच रही है. यह रिपोर्ट उपभोक्ताओं के बदलते व्यवहार और पसंद-नापसंद पर रोशनी डालकर एमएसएमई को उनका कारोबार बढ़ाने में सहयोग प्रदान करेगी."
ओएनडीसी के एमडी एवं सीईओ टी कोशी ने कहा, "ओएनडीसी में हम भारतीय ई-कॉमर्स स्पेस में बदलाव लाना चाहते हैं. हमारा मानना है कि एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. किसी भी कारोबार के लिए उपभोक्ताओं की पसंद-नापसंद को समझना बहुत ज़रूरी होता है. यह रिपोर्ट एमएसएमई को अपने उपभोक्ताओं को बेहतर समझने में मदद करती है और वे उनकी ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए सोच-समझ कर अपने कारोबार के लिए भावी फैसले ले सकते हैं."
शिविर के साथ, शिपरॉकेट भारत के विविध मार्केटप्लेस को एकजुट करने और देश भर में ई-कॉमर्स कारोबारों को बढ़ावा देने के लिए तत्पर है तथा भारतीय एमएसएमई को विकास की नई गति प्रदान करना चाहती है. शिपरॉकेट की आधुनिक टेक्नोलॉजी और सामरिक साझेदारियांं ने एमएसएमई के लिए ‘विकास में साझेदार’ की भूमिका निभाते हुए, उनके कारोबार को सुगम (ईज़ ऑफ डुइंग बिज़नेस) बनाया है. उन्हें सशक्त बनाने के लिए शिपरॉकेट 5 नई पेशकश लेकर आई है - ब्राण्ड बूस्ट 2.0, ओएनडीसी, शिपिंग 2.0, शिपरॉकेट एंगेज प्लस व्हॉट्सऐप स्यूट और शिपरॉकेट प्रॉमिस. ये समाधान एमएसमई को भविष्य के लिए तैयार कर उनके कारोबार के विकास को बढ़ावा देते हैं. शिपरॉकेट के टेक-इनेबल्ड समाधानों ने आज के डिजिटल दौर में एमएसएमई के संचालन को सुगम बनाकर उन्हें सशक्त बनाया है.