शूटर जुड़वा बहनों अंशिका-वंशिका का उधार की राइफल से गोल्ड मेडल पर निशाना
मुरादाबाद (उ.प्र.) की दो जुड़वा बहनों अंशिका और वंशिका विश्नोई की दास्तान 'दंगल' फिल्म के किरदार आमिर खान की दो पहलवान बेटियों से भी ज्यादा दिलचस्प और पुरानी है। इस समय अतिसामान्य परिवार की दोनों बहनें उधार की रायफल से नेशनल शूटिंग टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल हासिल करने की प्रैक्टिस कर रही हैं।
इस समय गोल्ड मेडल पर निशाना साधने के लिए बेकरार मुरादाबाद (उ.प्र.) की दो जुड़वा बहनों अंशिका और वंशिका विश्नोई की दास्तान 'दंगल' फिल्म के किरदार आमिर खान की दो पहलवान बेटियों से भी ज्यादा दिलचस्प और पुरानी है। अपने पिता राजीव विश्नोई, मां अमिता और भाई वंश की मदद, अपनी लगन और मेहनत से ये शूटर जुड़वा बहनें घर के सीमित संसाधनों में आठवीं क्लास की पढ़ाई के समय से ही रायफल शूटिंग का एक और नया अध्याय लिख रही हैं।
अब तो उनको बादलपुर शूटिंग रेंज, चंडीगढ़ से दाखिले का बुलावा भी आ चुका है। अंशिका-वंशिका के पिता राजीव विश्नोई एक कंपनी में अपनी नौकरी के दस हजार रुपए महीने की सैलरी से घर-गृहस्थी चलाने के साथ ही अपनी जुड़वा बेटियों के कामयाब बनाने में भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं।
इंसान के मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई राह मुश्किल नहीं होती। स्कूल में निशानेबाजी की प्रतियोगिता में शिरकत करने के बाद उन्होंने संकल्प ले लिया कि इसे ही वह अपना करियर बनाएंगी। अब तो वे स्कूल से लेकर नेशनल लेवल तक कई पदक जीत चुकी हैं।
अंशिका और वंशिका जब मुरादाबाद के मेथोडिस्ट गर्ल्स इंटर कालेज में आठवीं क्लास में पढ़ रही थीं, उन्ही दिनो मात्र पंद्रह दिन की तैयारी के बाद वे पहुंच गईं गोरखपुर मंडल में हो रही प्रदेश स्तरीय रायफल शूटिंग में भाग लेने और पहली ही बार में वे वहां से सिल्वर और ब्रांज मैडल जीत ले आईं, जिससे पहली बार पिता राजीव विश्नोई का पूरे जिले में नाम रोशन हो गया।
उसके बाद उन पर कोच मुकुल टंडन की निगाह पड़ी। उनके पिता से बात कर वह दोनों को अपने यहां कोचिंग देने लगे। इस साल अप्रैल में दोनों बहनों ने बुलंदशहर (उ.प्र.) में निशानेबाजी के एक टूर्नामेंट में तीन गोल्ड मैडल जीतकर अपने माता-पिता का नाम रोशन किया। उसके बाद उनका अपने नगर मुरादाबाद में विश्नोई समाज की ओर से सम्मान किया गया।
मुरादाबाद के कांशीरामनगर की रहने वाली भविष्य की सफल शूटर इन दोनो जुड़वा बहनों का हमारे देश में कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि वे उधार की राइफल से पदकों पर निशाने साध रही हैं। दोनों की ख्वाहिश है कि वे देश के लिए गोल्ड मेडल जीतकर ले आएं। अब तो राजीव अपना मकान बेचकर भी इन दोनो बेटियों के सपने पूरा करना चाहते हैं।
हाल ही में दोनों ने भोपाल में 63वीं नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और टीम इंडिया के ट्रायल के लिए क्वालीफाई कर लिया। अंशिका-वंशिका बताती हैं कि वे अपने कोच मुकुल टंडन की दिखाई राह पर चल रही हैं। अगर सरकार या प्रशासन उनकी मदद करे तो वह और बेहतर कर सकती हैं। उनका लक्ष्य अब टीम इंडिया में अपना स्थान बनाकर देश का नाम रोशन करना है। इसके लिए वह दिन-रात कड़ी मेहनत कर रही हैं।
इन दिनो भी अंशिका-वंशिका जनवरी 2020 में होने वाले ट्रायल के लिए फिर से कोच टंडन से बंदूक और किट उधार लेकर रोजाना कई घंटे प्रैक्टिस कर रही हैं।