71वें गणतंत्र दिवस पर विशेष: गौतम बुद्ध से गांधी तक सजा है हमारा संविधान
भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को स्वीकार किया था। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान पूरे देश में लागू हुआ था। इसी उपलक्ष्य में हर वर्ष गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। 26 जनवरी 1955 को राजपथ पर पहली बार आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद विशेष अतिथि बने थे। इस बार देश 71वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। कम ही लोगों को ज्ञात है कि हमारे संविधान निर्माताओं ने भारतीयता को संविधान में दर्शाने के लिए ऐतिहासिक चित्रों, चरित्रों का इस्तेमाल किया है।
भारत का गणतंत्र दिवस हर साल 26 जनवरी को मनाया जाता है। पिछले साल भारत के संविधान के 70 साल पूरे हो गए थे। इस बार देश अपना 71वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। उस दिन देशभर में सरकारी अवकाश का दिन होता है लेकिन कई लोगों के मन में इस पर तरह-तरह के प्रश्न उमड़ते-घुमड़ते रहने के साथ ही युवाओं में संविधान के प्रति भांति-भांति की जिज्ञासाएं भी कौंधती रहती हैं।
उल्लेखनीय है कि बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत का संविधान 26 नवंबर, 1949 को तैयार किया गया था। बाईस उपखंडों वाले भारतीय संविधान में हमारे अधिकारों से लेकर नागरिक कर्तव्यों तक का सविस्तार उल्लेख है। 26 जनवरी 1955 को राजपथ पर पहली बार आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद विशेष अतिथि बने थे।
यद्यपि कम ही लोगों को मालूम है कि हमारे पुरखे संविधान निर्माताओं ने भारत के इतिहास की यात्रा को संविधान में दर्शाने के लिए ऐतिहासिक चित्रों, चरित्रों का इस्तेमाल किया है। प्रत्येक भाग एक चित्र से शुरू होता है। कहीं रावण वध के बाद सीता को वापस लाते भगवान राम दिखते हैं, तो कहीं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अहिंसा का संदेश देते दिखते हैं।
गौतम बुद्ध, अकबर से लेकर रानी लक्ष्मी बाई और महाराणा प्रताप तक की झलक हमारे संविधान में मिलती है। हमारे संविधान में मोहनजोदड़ों से शुरुआत के साथ यह यात्रा वैदिक काल, गुप्त वंश से होते हुए मध्यकालीन युग में प्रवेश करती है। फिर वहां से मुगल काल होते हुए वह ब्रिटिश शासन काल में उपस्थित होता है। इसके बाद स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करते गांधी जी दिखते हैं। इन चित्रों को शांति निकेतन के आचार्य नंदलाल बोस और उनके छात्रों ने तैयार किया था।
भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों से परिचित कराने वाले इस संविधान के तीसरे भाग की शुरुआत त्रेता युग के चित्र से होती है। इसमें रावण को हराकर भगवान राम सीताजी को लंका से ले जा रहे हैं। राम के साथ उनके भाई लक्ष्मण भी हैं। भारतीय संविधान के अध्याय चार में भगवान कृष्ण दिखते हैं। यहां नीति निर्देशक सिद्धांतों को दिखाने के लिए महाभारत के युद्ध में अर्जुन को उपदेश देते श्री कृष्ण का चित्र है।
भारतीय संविधान के भाग पांच की शुरुआत में गौतम बुद्ध की वह तस्वीर है, जिसमें उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इस अध्याय का शीर्षक 'संघ' है। राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति की भूमिका से जुड़े नियमों की व्याख्याएं भी इसी भाग में की गई हैं।
भारतीय संविधान के दसवें भाग में अनुसूचित जाति, जनजातीय क्षेत्रों का उल्लेख है। इस भाग की शुरुआत गुप्तकालीन नालंदा विश्वविद्यालय की तस्वीर से होती है। नालंदा विश्वविद्यालय अपने समय में विश्व का अतिप्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान रहा है। वहां दूर-दूर से छात्र पढ़ने के लिए जाते थे।
संविधान के 14वें भाग में अकबर के पूरे दरबार की झलक मिलती है। पहले पन्ने पर छपे चित्र में बादशाह अकबर अपने सिंहासन पर बैठे हैं। उनके साथ दरबारी हैं और चंवर हिलाते सेवक हैं। संविधान के इस हिस्से में केंद्र और राज्यों के अधीन सेवाओं और 18वें भाग में आपातकाल के प्रावधानों का उल्लेख है। साथ ही, इसमें महात्मा गांधी की नोआखाली यात्रा से जुड़ा चित्र सांप्रदायिक सद्भावना का प्रतिनिधित्व करता है। सोलहवें भाग में रानी लक्ष्मीबाई और महाराणा प्रताप के उल्लेख किए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 में भारत के संविधान को स्वीकार किया था, जबकि 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान पूरे देश में लागू हुआ था। इसी उपलक्ष में हर साल गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। 26 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि 26 जनवरी 1929 को अंग्रेजों की गुलामी के विरुद्ध कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज का नारा दिया था। इसी दिन भारत गणतंत्र देश बना था।
2020 में गणतंत्र दिवस परेड की टिकट दिल्ली में सेना भवन, नॉर्थ ब्लॉक, लाल किला, पार्लियामेंट हाउस, जंतर-मंतर, शास्त्री भवन आदि से प्राप्त की जा सकती है। दिल्ली के राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड की तैयारियां जोरों पर हैं। हर साल की तरह इस बार भी देश की तीनों सेनाएं अपने शौर्य का प्रदर्शन करेंगी। इस समय दिल्ली में राजपथ के आसपास सड़कों पर घोड़ों से लेकर तोपें और मिसाइलें तक सजती जा रही हैं। फुल ड्रेस रिहर्सल परेड के लिए 22 जनवरी की शाम छह बजे से कुछ मुख्य और संपर्क मार्ग बंद रखे गए।