ऊन से तमाम तरह के खूबसूरत कपड़े बुनते हैं नसीर, तोड़ रहे हैं पुरुषों के लिए बने स्टीरियोटाइप
हावर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन की मानें तो बुनाई इंसान के हार्ट रेट को स्थिर रखने के साथ ही मन को शांति प्रदान करने का काम भी करती है।
"कश्मीर में रहने वाले 23 साल के नज़र नासिर आज बड़ी खूबसूरती के साथ ऊन से तमाम तरह के कपड़े बुनकर सदियों से चली आ रही अवधारणा को तोड़ रहे हैं। नज़र देश के उन चुनिन्दा मर्दों में से हैं जो बुनाई को अपने शौक के तौर पर लेकर चल रहे हैं। नज़र बुनाई के साथ ही कसीदाकारी का भी हुनर रखते हैं।
पितृसत्ता से ग्रसित इस समाज में सिलाई और बुनाई जैसे कामों को सीधे तौर पर महिलाओं से जोड़कर देखा जाता है, वहीं अगर ऊन से होने वाली बुनाई की बात करें तो शायद ही आपने किसी पुरुष को यह करते हुए देखा होगा, लेकिन ऐसा मान लेना कि यह काम सिर्फ महिलाओं के लिए है, निहायत घटिया सोच का प्रदर्शन होगा।
कश्मीर में रहने वाले 23 साल के नज़र नासिर आज बड़ी खूबसूरती के साथ ऊन से तमाम तरह के कपड़े बुनकर सदियों से चली आ रही अवधारणा को तोड़ रहे हैं। नज़र देश के उन चुनिन्दा मर्दों में से हैं जो बुनाई को अपने शौक के तौर पर लेकर चल रहे हैं। नज़र बुनाई के साथ ही कसीदाकारी भी कर लेते हैं।
बहन से सीखा हुनर
नज़र के अनुसार उन्होने यह सब अपनी बहन से सीखा है और इसकी शुरुआत सिर्फ उनके लिए बोरियत को मिटाने के उद्देश्य से हुई थी। मालूम हो कि साल 2016 में श्रीनगर में सुरक्षा कारणों से केंद्र सरकार ने इंटरनेट पर कुछ पाबन्दियाँ लगा दी थीं, तभी नज़र ने अपनी बहन से कहा कि वो उन्हें बुनाई सीखा दें। गौरतलब है कि उनकी बहन ने बुनाई की कला उनकी दादी से सीखी है।
शुरुआत में नज़र की बहन को भी यह जानकर आश्चर्य हुआ कि नज़र बुनाई करना सीखना चाहते थे। नज़र के अनुसार वह साथ ही यह समझने की कोशिश भी कर रहे थे कि वह इसके साथ क्या कर सकते हैं। नज़र के अनुसार बुनाई सीखने के दौरान ही उन्होने ऊन से एक छोटा सा फूल बनाया था और इस सफलता को देखकर उन्हें काफी प्रसन्नता महसूस हुई थी।
बुनाई से मिलती है शांति
नज़र तब सिर्फ 17 साल के थे और उस दौरान उनके सभी दोस्त उनके इस शौक का मज़ाक भी उड़ाया करते थे। नज़र को लेकर तब की जाने वाली स्टीरियोटाइप से जुड़ी बातें कई बार उन्हें परेशान भी कर देती थीं, लेकिन नज़र ने इससे लड़ने और पार पाने के लिए अपनी इस कला को ही साधन बनाया। नज़र के अनुसार बुनाई उन्हें शांति प्रदान करती है।
हावर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन की मानें तो बुनाई इंसान के हार्ट रेट को स्थिर रखने के साथ ही मन को शांति भी प्रदान करती है।
दो साल बाद जब नज़र इंग्लिश साहित्य में स्नातक की पढ़ाई कर रहे थे तभी उन्होने अपने इस शौक को व्यवसाय के रूप में आगे ले जाने का निर्णय किया। नज़र ने इसे एक ऑनलाइन व्यवसाय में बदल दिया और वे ऊन से ही कई तरह के क्राफ्ट का भी निर्माण करने लगे।
कोरोना काल ने किया प्रभावित
नज़र बताते हैं कि आज उनके उत्पादों के लिए कश्मीर के साथ ही पूरे भारत में बड़ी संख्या में ग्राहक मौजूद हैं। हालांकि जब राज्य में साल 2019 में हटाये गए अनुच्छेद 370 और उसके बाद साल 2020 में आई कोरोना महामारी के दौरान लागू हुए प्रतिबंधों ने नज़र के व्यवसाय पर भी बुरा प्रभाव डालने का काम किया है।
उनके अनुसार उस समय वे लगातार काम कर रहे थे और उनके पास पर्याप्त ऑर्डर भी थे, लेकिन प्रतिबंधों ने उनके काम को पूरी तरह से रोकने पर मजबूर कर दिया। अब जब कोरोना महामारी के चलते लागू हुए प्रतिबंधों में छूट मिली शुरू हुई है तब नज़र का काम भी सामान्य स्थिति में लौटता हुआ दिख रहा है।
नज़र मानते हैं कि उनके काम को देखकर देश में अन्य पुरुषों को भी बुनाई करने की प्रेरणा मिलेगी, जो एक बड़े स्टीरियोटाइप को तोड़ने का काम करेगा।
Edited by Ranjana Tripathi