कुछ ही साल में 225 गुना बढ़त के साथ 'शॉपकिराना' का टर्नओवर हुआ 450 करोड़
इंदौर के शॉपकिराना स्टार्टअप को चार साल में करीब 450 करोड़ रुपए टर्नओवर के साथ 225 गुना बढ़त मिल चुकी है। वर्ष 2020 में देश के 90 शहरों में इसका विस्तार होने जा रहा है। इस समय शॉप किराना में 700 कर्मचारी कार्यरत हैं। अब तो एक करोड़ टर्नओवर के साथ इस स्टार्टअप का 'किसान किराना' भी सुर्खियों में है।
सालाना हजार करोड़ का व्यापार करने वाली कंपनियों को 'यूनिकॉर्न' कहा जाता है। ऐसी कंपनियां, जो अभी टर्नओवर के मामले में यूनिकॉर्न्स से दस गुना छोटी हैं, पर उनमें एक-डेढ़ साल में यूनिकॉर्न बनने की क्षमता है, उन्हें बिजनेस की भाषा-बोली में 'बेबीकॉर्न' कहा जाने लगा है। हम बात कर रहे हैं बिजनेस वर्ल्ड की नामी मैगजीन 'फोर्ब्स इंडिया' के उस सर्वे की, जिसने कुछ माह पहले जब टॉप बेबीकॉर्न कंपनियों की लिस्ट खोली तो उसमें भारत की पांच सौ कंपनियों में इंदौर का शॉपकिराना स्टार्टअप भी सुर्खियों में आ गया। इतना ही नहीं, उन चुनिंदा स्टार्टअप में शॉपकिराना बिजनेस मॉडल और ग्रोथ के आधार पर नंबर वन रहा।
सर्वे के बाद पूरी रिपोर्ट के साथ शॉप किराना को पत्रिका के एक अंक में कवर पेज पर फ्लैश किया गया। यह मध्य प्रदेश का पहला ऐसा शॉप स्टार्टअप रहा, जिसे इतनी बड़ी कामयाबी के रूप में प्रसारित किया गया।
'शॉप किराना' स्टार्टअप के फॉउंडर हैं तीन दोस्त दीपक धनोतिया, तनुतेजस सारस्वत और सुमित घोरावत। इस समय शॉप किराना स्टार्टअप को चार साल में करीब 450 करोड़ रुपए टर्नओवर के साथ 225 गुना बढ़त मिल चुकी है।
दीपक धनोतिया बताते हैं कि 'फोर्ब्स' ने जब सर्वे शुरू किया था, पत्रिका के एडिटर अपनी टीम के साथ उनसे मिलने पहुंचे थे। करीब एक महीने तक उन्होंने शॉप किराना के बारे में सारी जानकारियां जुटाईं थीं। उससे पहले यह टीम भारत की पांच सौ कंपनियों में से पचास को चुन चुकी थी। फिर उनमें से दस स्टार्टअप को सेलेक्ट किया गया, जिनमें शॉप किराना अव्वल रहा। इस समय शॉप किराना देश के आठ शहरों में चल रहा है। इंदौर में मुख्यालय है, जहां अन्य सभी ब्रांड के मुकाबले सबसे ज्यादा सामान इसी शॉप से सेल हो रहे हैं।
शॉप किराना की ऐसी हैरतअंगेज कामयाबी का सबसे बड़ा राज यह है कि इसके फाउंडर अपने कर्मचारियों से परिवार जैसी आत्मीयत रखते हैं। उनकी हर परेशानी उनके लिए व्यक्तिगत होती है। ऑफिस में हर दूसरे दिन छोटे-छोटे अचीवमेंट पर केक काटे जाते हैं। कर्मचारी खुद अपने टारगेट फिक्स करते हैं और जिस तरह के माहौल में उन्हें काम करना पसंद होता है, वैसा करने की छूट दी जाती है।
इन तीनो दोस्तों ने आज से कुछ साल पहले 'शॉपकिराना' स्टार्टअप इंदौर में शुरू किया था। वे बताते हैं, पहले ही वर्ष 2015 में उनके स्टार्टअप का सालाना टर्नओवर करीब दो करोड़ रुपए रहा, जो बढ़ते-बढ़ते कुछ ही समय में 200 करोड़ रुपए का हो गया। अब वह साढ़े चार सौ करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है।
तीन साल तक लगातार मेहनत के दौरान पिछले वर्ष 2018 में शॉप किराना स्टार्टअप को अमेरिका की 'बैटर कैपिटल', जापान की 'इन्क्यूबेट फंड' और भारत की 'नौकरी डॉट कॉम' से 14 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली। इसके साथ ही उनके स्टार्टअप को और भी कई कंपनियों से करोड़ों रुपये की फंडिंग के ऑफर हैं। फरवरी 2019 में तीनो दोस्त फॉउंडर्स ने जयपुर, सूरत और बड़ौदा में भी इसके विस्तार का उपक्रम शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, मार्च 2019 में उन्होंने लखनऊ, कानपुर और वाराणसी में भी बिज़नेस टारगेट कर लिया।
तनुतेजस सारस्वत बताते हैं कि वर्ष 2020 में देश के 90 शहरों में शॉप किराना अपना विस्तार करने जा रहा है। इस समय शॉप किराना में कुल 700 कर्मचारी काम कर रहे हैं। शॉप किराना स्टार्टअप ने इसी साल किसान किराना भी शुरू किया है। इंदौर के बाद इसे भी देश के आठ शहरों में शुरू किया जा चुका है। इसके फाउंडर पहले दूसरे ब्रांड से अनाज, मसाले और अन्य सामग्री खरीदते थे, लेकिन अब सीधे किसानों से खरीदने लगे हैं। किसान किराना का भी कुछ ही महीने में टर्नओवर एक करोड़ रुपये हो चुका है।