कॉरपोरेट कैंपस और टाउनशिप के लिए शेयर्ड मोबिलिटी का निर्माण कर रहा है TCS फाउंडेशन द्वारा इनक्यूबेटेड यह स्टार्टअप
कई सफल स्टार्टअप की तरह, टिल्ट (Tilt) ने 2016 में एक कैंपस प्रोजेक्ट के रूप में उड़ान भरी। इससे पहले, इसे 'पेडल' (Pedal) कहा जाता था। इसके संस्थापक दीपक वीएस, उस समय चेन्नई के एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग कर रहे थे। वे "अच्छे परिवहन समाधान" और बोस्टन और पेरिस जैसे शहरों में सार्वजनिक बाइक-शेयरिंग प्रणाली से काफी प्रेरित थे।
वह भारतीय शहरों में भी इसे लागू करना चाहते थे। इसी समय चीन में बाइक-शेयरिंग की भी शुरुआत हुई थी, जिसमें Ofi, Mobike जैसे स्टार्टअप्स, और अन्य लोग रिव्यू कर रहे थे। लेकिन, भारत में "शेयर्ड मोबिलिटी" को अभी भी एक ट्रेंन बनना था। इसलिए, दीपक ने छोटे से इसकी शुरुआत की। उन्होंने "विशाल" एसआरएम कैंपस के भीतर आने-जाने के लिए बाइक का एक पूल बनाया।
प्रारंभिक पायलट और टीसीएस इनक्यूबेशन
2016 में, दीपक को अपने कुछ एसआरएम बैचमेट्स का साथ मिला, और कॉन्सेप्ट का प्रूफ तैयार करके उन्होंने प्रोटोटाइप शुरू किया, जिसके बाद उन्होंने एक इन-कैंपस शेयर्ड बाइकिंग सिस्टम के साथ आने के लिए हार्डवेयर कम्पोनेंट्स की एक रेंज का परीक्षण किया।
दीपक ने योरस्टोरी को बताया,
“हमने विश्वविद्यालय से एक छोटी राशि भी जुटाई और चेन्नई में एक साइकिल निर्माण कंपनी के पास पहुँचे। उन्होंने हमें हमारी बाइक का पहला बेड़ा दिया, और हमने नौ महीनों के लिए शुरुआती पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर दिया।”
वे कहते हैं,
“हमारे पायलट प्रोजेक्ट ने हमें इस विचार को परिष्कृत करने में मदद की कि बाइक-शेयरिंग सिस्टम को कैसा दिखना चाहिए। हमने यह समझने के लिए बहुत सारे सर्वेक्षण किए कि क्या लोग वास्तव में बाइक का उपयोग करना चाहते हैं, उनकी ज़रूरतें क्या हैं, वे किस रंग को पसंद करते हैं आदि।”
हालांकि, उनके लिए सॉफ्टवेयर बनाने की तुलना में हार्डवेयर प्रोडक्ट बनाना "काफी अधिक कठिन" हो गया। वह कहते हैं,
"यह धीमी गति से चलने वाली प्रक्रिया थी और इसमें अधिक सावधानीपूर्वक दृष्टिकोण की आवश्यकता थी। काफी ज्यादा आर एंड डी की जानी थी। कम्पोनेंट्स को खरीदना और प्रोटोटाइप बनाना (कम मात्रा में) महंगा था।"
सौभाग्य से, टीम TCS फाउंडेशन में डिजिटल इनिशिएटिव के प्रमुख के संपर्क में आई। 2017 की शुरुआत में, पेडल को महाराष्ट्र के नासिक में डिजिटल इंपैक्ट स्क्वायर (एक टीसीएस फाउंडेशन इनिशिएटिव) में इनक्यूबेट किया गया था। दीपक कहते हैं,
“हमने एक छोटी राशि जुटाई और टाटा समूह के साथ मिलकर काम करने के लिए नासिक चले गए। उन्हें ग्रीन और सस्टेनबल मोबिलिटी बिजनेस का आइडिया था।"
स्थिर ग्रोथ और 2X परिसंपत्ति उपयोग
2017 और 2019 के बीच, टिल्ट ने नाशिक नगर निगम और नासिक स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के साथ सफल "माइक्रो-पायलट्स" चलाए। स्टार्टअप ने अपने बेड़े को पुणे में टाटा मोटर्स परिसर, टाटा स्टील परिसर और जमशेदपुर के जुबली पार्क, नवी मुंबई में पलावा स्मार्ट सिटी और कई अन्य स्थानों पर तैनात किया।
और इसी प्रक्रिया में, पेडल टिल्ट बन गया
दीपक बताते हैं,
“2018 की शुरुआत में, हमने अपने विजन को सिर्फ बाइक-शेयरिंग से इंटीग्रेटेड मोबिलिटी के लिए एक बड़े सलूशन के रूप में डेवलप किया था। इसके साथ ही, हमने इलेक्ट्रिक वाहनों को अपने बेड़े में शामिल किया। इस व्यापक दृष्टि ने पेडल से टिल्ट तक हमारे ब्रांड के विकास को प्रेरित किया।”
आज, टिल्ट देश भर के परिसरों में मौजूद है और "बहुत तेजी से बढ़ रहा है"। इसने पिछले आठ महीनों में 25,000 से अधिक यूजर्स के साथ 60,000 से अधिक घंटे की साइकिलिंग दर्ज की है। कंपनी के मुताबिक हर दिन एक यूजर छह बार बाइक की सवारी करता है। स्टार्टअप ने अपनी संपत्ति के उपयोग की दर को दोगुना करने का भी दावा किया है।
पहले दो महीनों में ही, टाटा मोटर्स के 100+ कर्मचारियों ने सिर्फ पांच बाइक के साथ 2,000 से अधिक राइड की। जल्द ही, प्लांट के कई विभागों ने प्रोजेक्ट को बढ़ाने के लिए अनुरोध किया, और दीपक कहते हैं कि
"हमने कैंपस के भीतर 30 बाइक्स के पहले फेज को तैनात करने के लिए टाटा मोटर्स से एक परचेस ऑर्डर प्राप्त किया।"
वे कहते हैं,
"हम कई अन्य फीचर्स लाने के लिए भी प्रयोग कर रहे हैं। इसके अलावा हम यह देख रहे हैं कि क्या हम यूजर्स को अधिक राइड्स करने के लिए उन्हें छोटी ट्रिप्स को प्रोत्साहित कर सकते हैं।"
B2B2C मोबिलीटी और रिवेन्यू मॉडल
भारत में मौजूद अधिकांश शेयर्ड मोबिलिटी स्टार्टअप्स के विपरीत टिल्ट एक B2B2c कंपनी है जो उद्यमों, निगमों और टाउनशिप के साथ काम करती है। यह बाइक को तैनात करने के लिए अपने सिस्टम का उपयोग करते हैं। कर्मचारी या निवासी बाइक को अपने आईडी कार्ड से अनलॉक कर सकते हैं।
दीपक बताते हैं,
“कैम्पस हमारे लिए एक बहुत बड़ा अवसर है। भारत में 10,000 से अधिक ऑफिस कैंपस हैं, और कोई भी इसे टारगेट नहीं कर रहा है। हमने एक शानदार मोनोपोली तैयार की है और एक मूल्य प्रस्ताव बनाया है जो काम करता है। हम कई कॉरपोरेट्स के साथ काम कर रहे हैं, जिन तक हम टाटा समूह के माध्यम से पहुंचे हैं।”
टिल्ट के फ्लीट में कई तरह के वाहन हैं जिन्हें संस्थापक साइकिल, ई-साइकिल, ई-स्कूटर, शटल बस आदि का "एक विषम मिश्रण" कहते हैं। वे कहते हैं,
“हर प्रशासन और परिसर की अलग जरूरत है। हर जगह एक जैसे वाहन फिट नहीं हो सकते। अलग-अलग मौसम स्थितियों में अलग-अलग यूजर्स की अलग-अलग जरूरतें होती हैं।”
2019 के अंत तक, स्टार्टअप ने अपने बेड़े को 1,000 से अधिक वाहनों में विस्तारित करने की योजना बनाई है, जिसमें से 30-40 प्रतिशत इलेक्ट्रिक व्हीकल होंगे। इसने टेक्नोलॉजी पेटेंट के लिए भी आवेदन किया है जो वर्तमान में पेंडिंग है।
बूटस्ट्रैप्ड स्टार्टअप दोनों परिसरों (एक सब्सक्रिप्शन मॉडल के माध्यम से) से राजस्व कमाता है। वहां से भी जहां यह अपने फ्लीट को तैनात करता है और यूजर्स से भी जो इसकी इस्तेमाल करता है। टिल्ट ऐप इस्तेमाल करके राइड बुक करने के वाले यूजर्स से भी रिवेन्यू कमाता, और "अच्छे यूजर्स" बनने के लिए उन्हें प्रोत्साहित भी करता है।
फंडिंग और शेयर्ड मोबिलिटी लैंडस्केप
कुछ एंजेल निवेशकों ने पहले ही इस 13-सदस्यीय स्टार्टअप में रुचि दिखाई है, लेकिन टिल्ट इसको लेकर उत्सुक नहीं है कि उसकी इक्विटी कमजोर पड़े।
दीपक कहते हैं,
"हम एक रणनीतिक निवेश की ओर देख रहे हैं। हम वैल्यूएशन बबल नहीं बनाना चाहते हैं। हम इसके बजाय एक ठोस, टिकाऊ व्यवसाय बनाना चाहते हैं।"
वर्तमान में शेयर्ड मोबिलिटी बाजार में उतार-चढ़ाव जारी है। मॉर्गन स्टेनली का दावा है कि 2030 तक उसे भारत में ट्रैवल की जाने वाली सभी मील का 35 प्रतिशत हिस्सा साझा करने की उम्मीद की है, और यह 2040 तक 50 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। ऐप-आधारित सेवाएं भी परिवहन उद्योग में गंभीर बदलाव ला रही हैं। भले ही अलीबाबा-सपोर्टेड Ofo सहित कई बाइक-शेयरिंग स्टार्टअप, पैसा बनाने के लिए संघर्ष करने के बाद भारत से बाहर निकल गए हों, लेकिन टिल्ट का मानना है कि कैंपस के लिए इसका बी 2 बी मॉडल ग्रोथ पैदा करेगा।
दीपक अंत में कहते हैं,
"जब विभिन्न अन्य कंपनियों ने भारतीय शहरों की सड़कों पर लापरवाही से डंपिंग साइकिल के चीनी डॉकलेस मॉडल को फॉलो किया, हमने जिम्मेदार विकास का एक तरीका अपनाया जो हमारे हितधारकों के लिए मूल्य निर्माण सुनिश्चित करता है।"