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महंगाई भत्ता क्या है? टैक्स के दायरे में आता है या नहीं

केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए मार्च 2022 में महंगाई भत्ते और महंगाई राहत को तीन प्रतिशत बढ़ाकर 34 प्रतिशत किया गया था.

महंगाई भत्ता क्या है? टैक्स के दायरे में आता है या नहीं

Thursday August 04, 2022 , 4 min Read

अगस्त के पहले ही दिन मध्य प्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों को महंगाई भत्ते (DA) में बढ़ोतरी का तोहफा दिया. मध्य प्रदेश के शासकीय सेवकों का महंगाई भत्ता वर्तमान के 31% से 3% बढ़ाकर 34% किए जाने का निर्णय लिया गया है. कर्मचारियों को बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता सितंबर माह से मिलने लगेगा. पेंशनर्स की महंगाई राहत को भी इसी अनुसार बढ़ाया जाएगा. त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल ने सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ते में 5% की बढ़ोतरी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते में 5% की बढ़ोतरी का प्रस्ताव एक जुलाई से लागू होगा. इस फैसले से राज्य सरकार के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता उनके मूल वेतन के 3% से बढ़कर 8% हो गया है.

केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए मार्च 2022 में महंगाई भत्ते और महंगाई राहत को तीन प्रतिशत बढ़ाकर 34 प्रतिशत किया गया था. आइए जानते हैं कि आखिर महंगाई भत्ता क्या है और क्या यह टैक्स के दायरे में आता है या नहीं...

क्या है महंगाई भत्ता

केन्द्र या राज्य सरकार अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स को महंगाई की मार से बचाने के लिए भत्ता देती है. सरकारी कर्मचारियों में पब्लिक सेक्टर यूनिट इंप्लॉइज भी शामिल हैं क्योंकि उन्हें भी सरकारी कर्मचारियों में ही गिना जाता है. महंगाई भत्ते का मतलब है कि सरकार, महंगाई के प्रभाव को संतुलित करने के लिए कर्मचारी के मूल वेतन के एक प्रतिशत के रूप में अपने पेंशनभोगियों, कर्मचारियों आदि को भुगतान करती है. साल में इसे दो बार यानी जनवरी और जुलाई में कैलकुलेट किया जाता है. शहरी, अर्द्धशहरी और ग्रामीण इलाकों के हिसाब से डीए अलग-अलग होता है. बढ़ती महंगाई की वजह से इसे बढ़ाना पड़ता है. बढ़ती कीमतें बाजार पर निर्भर हैं और मुद्रास्फीति की दर को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सरकारी उपायों के बावजूद ,उच्च जीवन लागत की भरपाई के लिए डीए समायोजन की जरूरत है.

इस तरह हुआ शुरू

महंगाई भत्ता देने की शुरुआत दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हुई थी. उस वक्त सैनिकों को खाने और दूसरी सुविधाओं के लिए तनख्वाह से अलग यह पैसा दिया जाता था. उस वक्त इसे खाद्य महंगाई भत्ता या डियरनेस फूड अलाउंस (Dearness food allowance) कहा जाता था. भारत में मुंबई से 1972 में सबसे पहले महंगाई भत्ते देने की शुरुआत हुई थी. इसके बाद केंद्र सरकार के सभी सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाने लगा.

पेंशनर्स के लिए महंगाई भत्ता

पेंशनर्स के लिए महंगाई भत्ते को डियरनेस रिलीफ (DR) भी कहा जाता है. जब भी वेतन आयोग नया वेतन ढांचा बनाता है, उसमें बदलाव का असर रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन पर भी पड़ता है. अगर महंगाई भत्ता बढ़ता है तो पेंशनर्स का डीआर भी बढ़ जाता है. डीए की गणना कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स पर आधारित खुदरा महंगाई दर पर होती है. इसे आम उपभोक्ता वहन करता है. जबकि थोक महंगाई दर, उत्पादक की ओर से अदा की गई कीमत होती है. खुदरा महंगाई दर सीधे तौर पर आम लोगों को प्रभावित करती है इसलिए डीए की गणना इसी आधार पर होती है.

DA और HRA में अंतर

डीए और एचआरए को अक्सर लोग एक ही समझ लेते हैं. लेकिन दोनों में अंतर है. दोनों पर टैक्स देनदारी अलग-अलग होती है. एचआरए प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर कर्मचारी दोनों को मिलता है, जबकि डीए सिर्फ पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों के लिए है. एचआरए के लिए कुछ टैक्स छूट भी है. लेकिन डीए पर कोई टैक्स छूट नहीं है. इस पर पूरा टैक्स लगता है.

टैक्स दायरे में आता है DA

सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को डीए पर टैक्स देना पड़ता है. इनकम टैक्स रूल्स के मुताबिक कर्मचारियों को डीए का हिस्सा आईटीआर में अलग से भरना पड़ता है. डीए की दो कैटेगरी है. औद्योगिक महंगाई भत्ता (Industrial Dearness Allowance) और वैरिएबल महंगाई भत्ता (VDA). औद्योगिक महंगाई भत्ता, केंद्र सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों पर लागू होता है और कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आधार पर हर तिमाही पर इसकी समीक्षा होती है.

वीडीए केंद्र सरकार के कर्मचारियों पर लागू होता है और कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आधार पर इसका हर छह महीने पर रिव्यू होता है. वीडीए 3 चीजों पर आधारित होता है- 1. बेस इंडेक्स 2. कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स और 3.सरकार की ओर से तय किया गया वीडीए. सरकार की ओर से इसे संशोधित किए जाने तक यही लागू रहता है.