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90 साल से ज्यादा पुरानी खुशबूदार एंटीसेप्टिक क्रीम Boroline की कहानी...अंग्रेजी शासन में स्वदेशी मूवमेंट की उपज

हर स्किन टाइप को सूट करने वाली बोरोलीन को अस्तित्व में लेकर आए कोलकाता (पुराना नाम कलकत्ता) के गौर मोहन दत्त.

90 साल से ज्यादा पुरानी खुशबूदार एंटीसेप्टिक क्रीम Boroline की कहानी...अंग्रेजी शासन में स्वदेशी मूवमेंट की उपज

Thursday July 28, 2022 , 5 min Read

क्या आपको 90 के दशक में टीवी, रेडियो पर दिखाई-सुनाई देने वाला का एक जिंगल याद है..‘खुशबूदार, एंटीसेप्टिक क्रीम बोरोलीन..’ यह क्रीम ब्यूटी प्रॉडक्ट की कैटेगरी में तो आती ही थी, साथ ही अक्सर फर्स्ट एड बॉक्स में भी नजर आ जाती थी. रूखी त्वचा हो या कटी-जली अंगुली, फटे होंठ हों या फटी एड़ियां...ऐसी हर समस्या का एक सॉल्युशन बोरोलीन (Boroline). अंग्रेजी शासन में विदेशी उत्पादों को टक्कर देने के लिए स्वदेशी मूवमेंट के तहत जन्मी बोरोलीन की उम्र 90 साल से ज्यादा हो चुकी है.

हर स्किन टाइप को सूट करने वाली बोरोलीन को अस्तित्व में लेकर आए कोलकाता (पुराना नाम कलकत्ता) के गौर मोहन दत्त (Gour Mohun Dutta). उन्होंने साल 1929 में हर भारतीय की पहुंच में आ सकने वाली स्वदेशी एंटीसेप्टिक क्रीम बनाने का फैसला किया था. आइए जानते हैं क्या है बोरोलीन की कहानी...

​कौन थे गौर मोहन दत्त

गौर मोहन दत्त कभी विदेशी सामान के आयातक हुआ करते थे. जब वह स्वदेशी मूवमेंट से जुड़े तो उन्हें अहसास हुआ कि भारत की मदद करने का बेस्ट तरीका है कि इसे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में योगदान दिया जाए. इसलिए उन्होंने ऐसे उत्पाद बनाने का फैसला किया, जो गुणवत्ता में विदेशी उत्पादों को टक्कर दें. लेकिन राह आसान नहीं थी. उन्हें कई लोगों की मुखालफत झेलनी पड़ी, लेकिन इससे उनका इरादा नहीं बदला. भारत को आजाद और आत्मनिर्भर बनाने का सपना दिल में संजोकर उन्होंने अपने घर में विदेशी उत्पादों को टक्कर देने वाले स्वदेशी उत्पाद बनाना शुरू किया. उन्हीं में से एक थी हरे रंग के ट्यूब में आने वाली द लेंजेंडरी बोरोलीन क्रीम. दत्त ने बोरोलीन को 1929 में लॉन्च किया.

यूं ही बोरोलीन नहीं है नाम

बोरोलीन बनाने वाली कंपनी का नाम जीडी फार्मास्युटिकल्स है. इस कंपनी को बोरोलीन पीपुल के नाम से भी जाना जाता है. बोरोलीन नाम यूं ही नहीं है, इस शब्द का एक मतलब है. बोरोलीन शब्द का पहला हिस्सा बोरो, बोरिक पाउडर से लिया गया है जो एक एंटी सेप्टिक प्रॉपर्टी है. दूसरा हिस्सा है ओलिन... यह लैटिन शब्द ओलियम (Oleum) से लिया गया है. ओलिन का अर्थ होता है तेल.

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Image: Boroline

क्रीम का फॉर्मूला कर दिया था ओपन

कहते हैं कि जीडी फार्मास्युटिकल्स पर सरकारी खजाने का एक रुपया भी कभी उधार नहीं रहा. इसके अलावा कंपनी के बारे में एक और खास बात है और वह यह कि जीडी फार्मास्युटिकल्स ने कभी भी बोरोलीन बनाने के फॉर्मूले को राज नहीं रखा. आमतौर पर कंपनियां अपने प्रॉडक्ट के फॉर्मूले को छिपाती हैं ताकि कोई दूसरा वैसा प्रॉडक्ट न बना सके लेकिन बोरोलीन के मामले में इसे सार्वजनिक कर दिया गया. बोरोलीन एंटीसेप्टिक क्रीम में एंटीसेप्टिक बोरिक एसिड, जिंक ऑक्साइड और एनहाइड्रस लैनोलिन का इस्तेमाल होता है. बोरोलीन का उपयोग कटे, फटे होंठ, खुरदरी त्वचा और संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है.

बोरोलीन जिस दौर में लॉन्च हुई, उस वक्त बड़े पैमाने पर विज्ञापन नहीं होते थे. लेकिन तब भी बोरोलीन अपनी जबर्दस्त पहचान बनाने में कामयाब रही. यह जल्द ही देशभर के लोगों की पसंदीदा क्रीम बन गई. आजादी के पहले के भारत में कश्मीरी इसे फ्रॉस्टबाइट व रूखी त्वचा से निजात पाने के लिए और दक्षिण भारत के लोग गर्मी से बचने के लिए लगाते थे.

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अलग पैकेजिंग

जैसे-जैसे साल गुजरे, बोरोलीन ब्रांड की लोकप्रियता बढ़ती गई. इस क्रीम का ​दूसरे विश्व युद्ध के दौरान का एक किस्सा है. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान युद्ध के समय में पैदा होने वाली कमी के कारण, बोरोलीन को उपलब्ध कंटेनरों में पैक किया जाता था, न कि उस समय प्रचलित पैकेजिंग में. बदली पैकेजिंग को देख उत्पाद की वास्तविकता के बारे में ग्राहक के मन के संदेह को दूर करने के लिए इस बात को पैक के नीचे प्रिंट किया गया था. लिखा गया...

युद्ध की आपात स्थिति के कारण मूल पैकिंग बदली गई है, सामग्री की मात्रा और गुणवत्ता अपरिवर्तित है.’

जब देश हुआ आजाद तो खुशी में फ्री बांटी गई

15 अगस्त 1947 को जब भारत ने आजादी का सूरज देखा तो हर भारतीय खुशी से झूम रहा था. जीडी फार्मास्युटिकल्स को यह खुशी इतनी ज्यादा थी कि कंपनी ने इस मौके पर आम जनता को 1 लाख से भी ज्यादा बोरोलीन ट्यूब मुफ्त में बांटी. 15 अगस्त 1947 को इस बारे में कलकत्ता के दो अखबारों में विज्ञापन भी दिया गया था.

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Image Credit: Boroline

कई सालों तक केवल बोरोलीन ही बेची

कई सालों तक जीडी फार्मास्युटिकल्स केवल एक प्रॉडक्ट बोरोलीन के सहारे कारोबार करती रही. इसके बाद कंपनी ने 90 के दशक के आखिर में एलीन हेअर ऑयल लॉन्च किया. 2003 में सुथॉल नाम का एंटिसेप्टिक लिक्विड मार्केट में उतारा गया. जीडी फार्मास्युटिकल्स आज बोरोलीन क्रीम्स, बीओ लिप्स, BO Body, Ruksha हैंड वॉश, Ruksha हैंड सैनेटाइजर, एलीन, सुथॉल, पेनोरब और नोप्रिक्स प्रॉडक्ट्स की बिक्री करती है. जीडी फार्मास्युटिकल्स की भारत में दो अत्याधुनिक GMP (गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज) सर्टिफाइड प्रॉडक्शन यूनिट हैं. ये फुली ऑटोमेटेड फैसिलिटीज हैं, जहां मौजूद वर्कर, उत्पाद की गुणवत्ता पर पूरा ध्यान देते हैं.