फैमिली की हेल्थ प्रॉब्लम्स का फूड सप्लीमेंट्स में मिला इलाज, नेवी छोड़ शुरू की कंपनी; आज 1.5 करोड़ रु है टर्नओवर
कामायनी नरेश पिछले 30 वर्षों में 1 लाख से ज्यादा लोगों का सफल इलाज कर चुके हैं.
हर किसी के परिवार में कोई न कोई किसी न किसी बीमारी से जूझ रहा होता है. अक्सर हम डॉक्टरों और हॉस्पिटल्स के चक्कर काटते रहते हैं लेकिन पूरी तरह से राहत नहीं मिल पाती. ऐसा ही कुछ कामायनी नरेश के साथ भी हुआ. जब हॉस्पिटल्स में बार-बार जाना भी उनके परिवार में हुई स्वास्थ्य समस्याओं का निदान नहीं कर सका तो खुद की रिसर्च से उन्हें फूड सप्लीमेंट्स में ब्रेकथ्रो मिला. मेडिकल फील्ड से बिल्कुल अनजान नरेश ने इसकी बदौलत न केवल अपने परिवार की स्वास्थ्य समस्याओं को सुलझाया बल्कि अब तक 1 लाख से ज्यादा लोगों का सफल इलाज कर चुके हैं. उन्होंने अपनी इस चिकित्सा पद्धति को नाम दिया है
और आज लगभग 1.5 करोड़ रुपये टर्नओवर वाली Zyro Health Care Pvt Ltd से लोगों की ठीक होने और ठीक रहने में मदद कर रहे हैं.कामायनी नरेश इंडियन नेवी के एक रिटायर्ड कमीशंस ऑफिसर हैं. मध्य प्रदेश के चित्रकूट से ताल्लुक रखने वाले नरेश पिछले 30 वर्षों में 1 लाख से ज्यादा लोगों का सफल इलाज कर चुके हैं. फूड सप्लीमेंट्स के साथ उनका जुड़ाव 1991 से है, जब उनकी फैमिली में कुछ हेल्थ प्रॉब्लम्स चल रही थीं, जिसकी वजह से बार-बार डॉक्टर के पास जाना पड़ता था. दवाइयों से कुछ वक्त के लिए राहत मिल जा रही थी लेकिन उसके बाद फिर से डॉक्टर के चक्कर काटने पड़ते थे. अपने परिवार में चल रही परेशानियों ने उन्हें फूड सप्लीमेंट्स के विज्ञान के प्रति जानने और समझने के लिए प्रेरित किया. अपनी रिसर्च के आधार पर उन्होंने अपने परिवार के लिए इसका इस्तेमाल किया और कुछ ही वक्त में सकारात्मक परिणाम मिलने लगे. इसके बाद लगातार अच्छे परिणामों ने उन्हें भोजन की खुराक की शक्ति को और ज्यादा समझने के लिए प्रेरित किया.
फिर बाकी लोग भी मांगने लगे परामर्श
जब फूड सप्लीमेंट्स की ताकत की बदौलत नरेश के परिवार को फायदा पहुंचने लगा तो अन्य लोगों को भी इसका राज जानने की उत्सुकता जगी. नरेश ने YourStory Hindi के साथ बातचीत में बताया कि लोग पूछते थे कि पहले तो डॉक्टरों के पास जाते रहते थे, अचानक इतना सुधार कैसे हुआ. तब नरेश ने अपने एक्सपीरियंस लोगों के साथ साझा किए और उन्हें स्वास्थ्य संबंधी परामर्श देने लगे. साल 2010 तक वह 10000 से अधिक लोगों को परामर्श दे चुके थे और लोगों को अच्छे परिणाम भी मिल रहे थे. लोगों की परेशानियों और अपने एक्सपीरियंस को देखते हुए नरेश ने मेडिकल साइंस, फूड सप्लीमेंट, बीमारियों, इलाज आदि के बारे में गहनता से पढ़ना शुरू किया. चूंकि इस्तेमाल की जाने वाली चीज केवल फूड सप्लीमेंट थे, तो कोई साइड इफेक्ट नहीं था.
आखिर क्या है Zyropathy
नरेश बताते हैं कि Zyropathy, एक नेचुरल केयर बेस्ड चिकित्सा पद्धति है, जिसने 17 देशों में 1 लाख से अधिक लोगों को रोग मुक्त जीवन जीने में मदद की है. वैज्ञानिक तथ्यों और विधियों द्वारा समर्थित Zyropathy एक ऐसा उपचार है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करके और लक्षणों को नियंत्रित करने के बजाय विकारों को ठीक करने के लिए शरीर को आवश्यक चीजें प्रदान करके समस्या के मूल कारण को जड़ से खत्म करता है.
नरेश ने बताया कि Zyro का अर्थ है 'मानवता की मदद' और यह एक ऐसी प्रणाली है, जो बीमारियों के मूल कारण का इलाज करके स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन को फिर से परिभाषित करने की दिशा में काम करती है. कामायनी नरेश का मानना है कि मानव शरीर भोजन से बना है और इसलिए केवल भोजन में ही इसे ठीक करने की क्षमता है, बशर्ते कि प्रतिरक्षा सबसे अच्छी हो. Zyropathy में, शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए भोजन की खुराक के कॉम्बिनेशन का उपयोग किया जाता है जो गैर-अनिवार्य प्रणाली को फिर से जीवंत करने में मदद करता है.
Zyropathy को आधुनिक आयुर्विज्ञान भी कहा जा सकता है. यह प्राचीन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और आधुनिक विज्ञान व प्रौद्योगिकी के ज्ञान का एक मिश्रण है. Zyropathy मानती है कि शरीर की प्रतिरक्षा यानी इम्युनिटी भीतर का चिकित्सक है, जो शरीर को बाहरी आक्रमण और आंतरिक विकारों से बचाता है. यह मानव शरीर और उसके अंगों की मरम्मत के लिए भोजन की खुराक और Zyro नैचुरल्स के कॉम्बिनेशन का उपयोग करती है. यह बीमारी के मूल कारण को समाप्त करती है और इसलिए साइड इफेक्ट के बिना आधुनिक बीमारियों में लंबे समय तक राहत प्रदान करती है.
किताब भी लिख चुके हैं
नरेश की इस यात्रा में उनकी सहयोगी, उनकी पत्नी कामायनी रही हैं. कामायनी नरेश और उनकी पत्नी ने साल 2007 में 'हेल्दी लिविंग विद फूड सप्लीमेंट्स' नामक एक किताब भी लिखी. इसे पब्लिश करने के लिए उन्होंने इंडियन नेवी से भी परमिशन ली. नरेश के नेवी छोड़ने से पहले इस किताब की लगभग 4000 कॉपीज बिक चुकी थीं. बाद में अपनी स्वास्थ्य परामर्श सर्विस को ज्यादा वक्त देने के लिए नरेश ने साल 2011 में इंडियन नेवी से कमांडर की पोजिशन से रिटायरमेंट ले लिया. इसके अलावा उन्हें Zyro नामक अपनी स्वास्थ्य पत्रिका के लिए भी जाना जाता है. नरेश ने इसे अपना वेंचर शुरू करने से पहले 6 वर्षों तक सफलतापूर्वक प्रसारित किया.
कब शुरू की कंपनी
नरेश ने Zyropathy के जरिए लोगों की मदद करने के लिए साल 2011 में भारतीय नौसेना से कमांडर की पोजिशन से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी. नरेश ने जायरो हेल्थ केयर के लिए नेवी से रिटायर होने के बाद मिले पैसों का इस्तेमाल किया. इसके अलावा उनकी किताब की बिक्री से मिले पैसों और कंसल्टिंग फीस, सेमिनार आदि से मिले पैसों ने भी मदद की. जब नरेश जायरोपैथी को पूरा वक्त देने लगे, तो उन्होंने समझा कि किसी बीमारी के इलाज के लिए केवल फूड सप्लीमेंट पर्याप्त नहीं हैं. इसलिए उन्होंने आयुर्वेद की मदद लेकर खुद से कुछ फॉर्म्युलेशंस विकसित किए. इसके और अच्छे परिणाम सामने आए. उनके द्वारा बनाए गए फॉर्मूले व उत्पाद FSSAI और आयुष विभाग द्वारा अप्रूव्ड हैं. साल 2016 में उन्होंने जायरो हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड के नाम से अपनी कंपनी को रजिस्टर कराया.
स्थापना के कुछ वर्षों के भीतर ही, Zyropathy ने प्रतिष्ठित ओमान स्वास्थ्य पुरस्कार जीता. इतना ही नहीं स्वास्थ्य व मेडिकल के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए कंपनी भारत के आयुष मंत्रालय से प्रशंसा का प्रमाण पत्र भी प्राप्त कर चुकी है. Zyropathy को भारत सरकार के कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री, डॉ. महेंद्र नाथ पांडे द्वारा उद्योग नेतृत्व पुरस्कार 2020 से सम्मानित किया जा चुका है.
प्रॉडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग थर्ड पार्टी के जिम्मे
कंपनी के प्रॉडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग थर्ड पार्टी करती है. फॉर्म्युलेशंस कामायनी नरेश के हैं और प्रॉडक्ट्स की टेस्टिंग व अप्रूवल भी उन्हीं की जिम्मेदारी है. कंपनी की खुद की वर्कफोर्स 12 लोगों की है, वहीं अन्य ऑर्गेनाइजेशंस के लगभग 20-25 लोग सपोर्ट में हैं. उनकी कंपनी का हेडक्वार्टर दिल्ली में है नरेश का उद्देश्य लोगों की बीमारियों के मूल कारण को समझना और फिर बीमारी के कारण का इलाज करने में मदद करना है. नरेश कहते हैं कि यह प्रक्रिया जीवन भर के लिए बीमारी को दूर करने में मदद करती है. यह अन्य मेडिसिन फिलॉसॉफीज के विपरीत है, जो सिर्फ बीमारी के लक्षणों पर काम करती है. नरेश ने दिल्ली में Zyropathy Ayurvedic हॉस्पिटल शुरू किया हुआ है.
कुल बिक्री में एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी 20-30%
नरेश के मुताबिक, कंपनी के एक्सपोर्ट की कुल बिक्री में हिस्सेदारी 20-30 प्रतिशत है. भारत में कंपनी के ज्यादातर ग्राहक मेट्रो शहरों से हैं. बिक्री आॅनलाइन व आॅफलाइन दोनों माध्यमों से होती है. ऑफलाइन की बात करें तो नरेश उनके कार्यालय में आने वाले लोगों की परेशानी सुनते हैं और उनकी पुरानी हेल्थ रिपोर्ट या डॉक्टर का पर्चा देखते हैं. अगर कोई टेस्ट रिपोर्ट नहीं है तो वे उन्हें बीमारी के हिसाब से कुछ टेस्ट कराने की सलाह देते हैं. बीमारी का मूल कारण पता लगने पर वह खुद से एक पर्चा बनाते हैं और उसे अपने पेशेंट तक ईमेल या स्टाफ के माध्यम से पहुंचाया जाता है. अगर पेशेंट आगे के इलाज के लिए हां करता है तो उसे जायरोपैथी की मेडिसिन्स पहुंचाई जाती हैं. इसके अलावा टेलीफ़ोन/वीडियो कॉलिंग और कॉन्फ्रेंसिंग से पूरा उपचार ऑनलाइन भी कराया जा सकता है. कोरियर की मदद से सप्लीमेंट्स की डोर डिलीवरी की जाती है.
ज़ायरोपैथी, इम्युनिटी बढ़ाने और शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए पौधों के अर्क से बने फूड सप्लीमेंट और जायरो नेचुरल्स के निर्माण के लिए अत्याधुनिक और नवीनतम तकनीक का उपयोग करती है. अधिकांश गोलियां प्राकृतिक रूप से जंगल में उगाए गए पौधों के अर्क के कॉम्बिनेशन से बनाई जाती हैं, जो रसायनों, उर्वरकों और कीटनाशकों से मुक्त होती हैं और इसलिए इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है.