Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

प्लास्टिक कचरे से बनाई मजबूत और टिकाऊ टाइल्स, अब बढ़ रही है डिमांड

प्लास्टिक कचरे से बनाई मजबूत और टिकाऊ टाइल्स, अब बढ़ रही है डिमांड

Tuesday January 14, 2020 , 3 min Read

पारस सलूजा और संदीप नागपाल द्वारा स्थापित शायना इको यूनीफाइड आज प्लास्टिक से टाइल्स का निर्माण कर रही है। यह टाइल्स बेहद मजबूत और टिकाऊ हैं, इस तरह से प्रदूषण फैलाने वाली प्लास्टिक भी नए मौके पैदा कर रही है।

प्लास्टिक टाइल्स के साथ पारस सलूजा

प्लास्टिक टाइल्स के साथ पारस सलूजा (चित्र: द लॉजिकल इंडियन)



भारत में अपशिष्ट प्रबंधन कई वर्षों से एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। इनमें से अधिकांश अपशिष्ट या तो जैविक या ठोस होते हैं, जैसे प्लास्टिक कचरा। जैविक कचरे को अभी भी प्रबंधित किया जा सकता है और उनका निपटान किया जा सकता है लेकिन प्लास्टिक कचरा फिर भी एक बहुत बड़ी समस्या है, जिससे लगातार निपटने की आवश्यकता है।


कई व्यक्तियों और संगठनों द्वारा पहल जारी हैं, जिनका उद्देश्य विभिन्न तरीकों से प्लास्टिक के खतरे से लड़ना है।


दिल्ली से बाहर स्थित शायना इकोनाइफाइड इंडिया एक ऐसा संगठन है, जिसने अपनी स्थापना के बाद से 11 लाख रंगीन टाइलें बनाने के लिए 340 टन प्लास्टिक कचरे का उपयोग किया है।


द लॉजिकल इंडियन से बात करते हुए कहा पारस सलूजा ने अपनी टाईल्स के बारे में बताया,

"हमारी सभी टाइलें एंटी-स्टैटिक, एंटीमाइक्रोबियल, जीवाणुरोधी हैं, जिनकी हीटिंग क्षमता 140 डिग्री सेल्सियस तक होती है और इन्हें -25 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा किया जा सकता है।"

इसके अलावा, प्रत्येक टाइल में 20 और 40 टन असर की क्षमता है और 50 साल तक रह सकती है।


यह सब 2015 में शुरू हुआ जब पारस एवरेस्ट बेस कैंप में गए थे और उन्होने देखा था कि कैसे प्लास्टिक कचरे ने आसपास के वातावरण को खराब कर दिया था। यहीं से पारस के कुछ कर दिखाने की ठानी। पारस ने अपनी वियतनाम की यात्रा के दौरान एक समाधान खोजा है, जहां उन्होंने देखा कि शहरों का रखरखाव कैसे किया जाता है।





जब पारस भारत वापस आए तो उन्होने रसायनों के बारे में बड़े पैमाने पर अध्ययन किया और प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या को हल करने में मदद करने के लिए विशेषज्ञों से मुलाकात की।


टाइल्स का निरीक्षण करते हुए डॉ. हर्षवर्धन

टाइल्स का निरीक्षण करते हुए डॉ. हर्षवर्धन (चित्र: द लॉजिकल इंडियन)



पारस ने उसी वर्ष अपने दोस्त, संदीप नागपाल के साथ 80 लाख रुपये की शुरुआती राशि के साथ शायना इकोनाइफ़ाइड इंडिया की शुरुआत की। शुरुआत के तुरंत बाद, स्टार्टअप ने स्क्रैप डीलरों और गैर सरकारी संगठनों के साथ अलग-अलग प्लास्टिक कचरे की खरीद के लिए भागीदारी भी की।


सीएनबीसी टीवी 18 से बात करते हुए पारस ने कहा,

“हालांकि कई तिमाहियों से हमें प्रशंसा मिल रही है, लेकिन इसकी मांग बहुत ही कम है। लोग मुझे बताते हैं, 'टाइलें स्क्रैप से बनी हैं।' हम जीवन में सिर्फ एक बार घर बना सकते हैं और हम संगमरमर और ईंटों का उपयोग करना चाहते हैं।”

2018 में, ग्रेटर हैदराबाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (जीएचएमसी) ने शहर का पहला डॉग पार्क बनाया, जिसके लिए स्टार्टअप से टाइलें मंगाई गईं। अब तक, टाइल्स का इस्तेमाल L’Oreal International, Tata Motors जैसे बड़े ब्रांड्स ने किया है और हाल ही में गुरुग्राम के नगर निगम से भी एक टेंडर मिला है।


प्लास्टिक कचरे को कम करने के प्रति धारणा बदलने पर पारस ने कहा,

"हर कोई शिकायत करता है कि प्लास्टिक कचरा बहुत अधिक बढ़ गया है। यह प्रक्रिया, सोच और रणनीति ही है कि मैं अपनी रोटी भी  कमा रहा हूं और हमारा देश भी साफ हो रहा है।"