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अब तक ढाई लाख लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दे चुके हैं गौरव, कल्कि नाम की नई मार्शल आर्ट की है ईजाद

गौरव खुद भी 9 तरह की मार्शल आर्ट्स में पारंगत हैं और आज लड़कियों और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सीखा रहे हैं। गौरव देश और विदेशों में जाकर अब तक करीब ढाई लाख लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दे चुके हैं।

लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते गौरव ह्यूमन

लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते गौरव ह्यूमन



गौरव ह्यूमन आज देश और विदेश में जाकर लड़कियों और महिलाओं को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दे रहे हैं। दिल्ली में हुए वीभत्स निर्भया कांड के बाद गौरव ने यह पहल शुरू की, जिसके तहत गौरव अब तक करीब 2 लाख 50 हज़ार से भी अधिक लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखा चुके हैं।


इस पहल को लेकर अपने सफर के बारे में बात करते हुए गौरव बताते हैं कि,

“दिसंबर 2012 में जब निर्भया कांड हुए तब लोगों ने सड़कों पर उतर कर अपना विरोध जताया। उस समय सड़कों पर जनसैलाब नज़र आ रहा था, लेकिन मुझे तब नहीं समझ आया कि इस तरह के विरोध से स्थिति में क्या बदलाव आएगा? महिलाओं की सुरक्षा में किस तरह से इजाफा होगा?”

गौरव आगे कहते हैं,

“इस तरह के प्रदर्शनों में युवा कई बार मुख्य लक्ष्य को भूल जाते हैं, ऐसे में वे मौके पर जाकर अपने सोशल मीडिया हैंडल के लिए सेल्फी आदि जुटाने में लग जाते हैं, जिससे यह पूरा मकसद कभी पूरा नहीं हो पाता। मुझे समझ आया कि हमारे देश का युवा आज कितना अधिक भटका हुआ है।”

इस घटना के बाद गौरव ने लड़कियों और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाने की ठानी। गौरव खुद भी 9 तरह की मार्शल आर्ट्स में पारंगत हैं।



लड़कियों और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाने की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए गौरव ने ‘कल्कि-आर्ट ऑफ सेल्फ डिफेंस’ नाम की एक गैर सरकारी संस्था की शुरुआत की, इसके तहत गौरव खुद ही लड़कियों और महिलाओं को आत्मरक्षा से संबन्धित तकनीक के बारे में ट्रेनिंग देते हैं।


‘कल्कि-आर्ट ऑफ सेल्फ डिफेंस’

‘कल्कि-आर्ट ऑफ सेल्फ डिफेंस’



कल्कि एक वास्तविकता पर आधारित आत्मरक्षा मार्शल आर्ट है, जो एक ही समय में घातक तकनीकों पर आधारित है जो वास्तविक माहौल में ख़ासी उपयोगी है। कल्कि की शुरुआत दुनिया भर में हर दिन इतने बलात्कार के मामलों को देखने के बाद हुई, हालांकि लड़के और छोटे बच्चे भी इस तरह की शारीरिक शोषण से अछूते नहीं थे।

गौरव के अनुसार आज जितने भी तरह के कराटे मौजूद हैं, उनमे से कोई भी वास्तविकता पर आधारित नहीं है, उनका असल जीवन में कैसे इस्तेमाल करना है, ये सीखने वाले को भी नहीं पता होता।


गौरव कहते हैं,

“नियमों के साथ चलने वाले कराटे प्रतियोगिता जीतने में मदद कर सकते हैं, लेकिन आम जिंदगी में जरूरत पढ़ने पर वे किसी काम के नहीं रहते।“

गौरव के अनुसार पारंपरिक तरीके से कराटे सीखना हर लड़की के लिए आसान नहीं है, इसलिए उन्होने इसमें जरूरत के अनुसार बदलाव किए।

स्कूली बच्चों के साथ गौरव ह्यूमन

स्कूली बच्चों के साथ गौरव ह्यूमन



शरीर के कई हिस्सों में सॉफ्ट पॉइंट्स और प्रेसर पॉइंट्स होते हैं, जिनपर प्रहार करने पर सामने वाले पर खासा असर होता है। गौरव ने इन्ही तकनीक का इस्तेमाल करते हुए आत्मरक्षा के करीब 200 तरीके ईजाद किए, जिन्हे 6 साल की बच्ची से लेकर 60 साल तक की महिलाएं आसानी से सीख सकती हैं।


गौरव अपनी पहल को लेकर राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से भी सम्मानित हो चुके हैं। गौरव एनसीसी कैडेट भी रहे हैं और गौरव के नाम बतौर एनसीसी कैडेट गणतन्त्र दिवस परेड में दो बार शामिल होने रिकॉर्ड भी है।


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एनसीसी बेस्ट कैडेट और भारत के युवा राजदूत रह चुके हैं गौरव



गौरव कहते हैं,

“ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जब अपराधी बुजुर्ग महिलाओं को निशाना बनाते हैं, ऐसे में इस तरह की तकनीक उनके लिए भी कारगर साबित हो सकती हैं।”

इसके साथ ही  गौरव कहते हैं,

“आज देश में ‘बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ’ की मुहिम चल रही है, जिसमें बेटी पढ़ाओ तो आगे बढ़ रहा है, लेकिन बेटी बचाओ को लेकर अभी भी लोग जागरूक नहीं है, ऐसे में जब बेटी बचेगी ही नहीं तो वो पढ़ेगी कैसे?”

गौरव बताते हैं कि अब वो एक मॉड्यूल के तहत काम कर रहे हैं, जिसमें मनोविज्ञान भी शामिल है। संस्था 1 दिन की वर्कशॉप के साथ ही 5-6 दिन की भी वर्कशॉप का आयोजन भी करती है, इसी के साथ लोगों को 1 से 3 साल तक के कोर्स भी उपलब्ध करती है।



गौरव के अनुसार आज कल माता-पिता अपनी बेटियों की शिक्षा में तो पैसा खर्च करते हैं, लेकिन बेटियों की सुरक्षा के लिए स्थिति अब भी जस की तस है।


गौरव अपने ट्रेनिंग सेशन के लिए मामूली सी राशि चार्ज करते हैं, जिसे वह अन्य सामाजिक कार्यों में खर्च कर देते हैं। गौरव के अनुसार मनोवैज्ञानिक आधार पर इंसान मुफ्त की वस्तु को उतनी अहमियत नहीं देता है, ऐसे में जरूरी है कि ये लड़कियां आत्मरक्षा की अहमियत को समझें।


गौरव कहते हैं,

“हमने अपने समाज में महिलाओं को अबला और कोमल जैसे सम्बोधन के साथ ही उन्हे कमजोर आंकना शुरू कर दिया है, जबकि इतिहास में हमारे पास झाँसी की रानी जैसे कई उदाहरण मौजूद हैं जब महिलाओं ने रक्षा के लिए अपनी शक्ति का भरपूर प्रदर्शन किया। महिलाएं हर बार अपने भाई-पिता या किसी अन्य पुरुष पर आश्रित नहीं रह सकतीं, जब आप अकेले घर से बाहर निकलते हों तो जरूरी है कि आप अपनी रक्षा करने में खुद सक्षम हों।”

गौरव के अनुसार ट्रेनिंग पाने के बाद लड़कियों का आत्मविश्वास बढ़ जाता है। वे हर स्थिति से निपटने के लिए खुद को सक्षम महसूस करने लगती हैं।

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विदेशों में भी कल्कि मार्शल आर्ट्स की है ख़ासी मांग



गौरव कहते हैं,

"जरूरी है कि अपने आस-पास और घर पर भी हम लड़कियों को ये बताएं कि आप नाज़ुक और कोमल हो सकती हैं, लेकिन आप कमजोर नहीं हैं।"

गौरव उत्तर प्रदेश पुलिस की महिला सम्मान प्रकोष्ठ के ऑफिशियल ट्रेनर भी रहे हैं। इनके साथ जुड़कर गौरव ने यूपी के कई अन्य अन्य हिस्सों में महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाये हैं।


गौरव इसी तक सीमित नहीं है, उन्होने अब तक थाई पुलिस, भारतीय सेना की यूनिट्स, रूस की आर्मी यूनिट्स और यूपी पुलिस को भी कॉम्बैट वेपन हैंडलिंग समेत कई अन्य ट्रेनिंग दी हैं।


कल्कि आर्ट ऑफ सेल्फ डिफेंस के तहत यूएस और कनाडा की एमएनसी भी अपनी महिला कर्मचारियों के लिए ट्रेनिंग का आयोजन कर रही हैं। गौरव नेपाल और रूस में जाकर लगातार ट्रेनिंग सेशन का आयोजन कर रहे हैं।