ऐसा IIT जिसमें नहीं चलेंगे एसी और पेट्रोल-डीजल वाली गाड़ियां
IIT भिलाई कैम्पस में 2023 में कक्षाएं लगना शुरू होगी. कैम्पस पर्यावरण की दृष्टि से एक मॉडल
सौर ऊर्जा से संचालित IIT- Bhilai का कैम्पस संभवत: देश का पहला आईआईटी कैंपस होगा जो ऐसा प्रयोग कर रहा है. लेकिन IIT- Bhilai सिर्फ़ यही एक काम नहीं कर रहा है पर्यावरण के दृष्टिकोण से. एक विजन और सोच के तहत कैम्पस को एक मॉडल की तरह विकसित किया जा रहा है. पूरे कैंपस को इनवायरनमेंट फ्रेंडली बनाने के लिए कैम्पस में सिर्फ ई-व्हीकल और साइकिल चलाने का प्रावधान रखा गया है. इसके लिए कैंपस में साइकिल और ई-व्हीकल के लिए 20 स्टेशन बनाए जाएंगे जहां चार्जिंग सुविधा भी होगी. छात्रों और अध्यापकों को ज्यादा से ज्यादा पैदल चलने के लिए प्रेरित किया जाएगा.
कैंपस में 15 हजार पौधे लगाए जाएंगे जो गर्मी के प्रभाव और साइट के प्राकृतिक अस्तित्व को संतुलित रखने में मदद करेंगे. पानी का पूरा तंत्र इस तरह तैयार किया गया है ताकि बाहरी स्रोतों से मदद न के बराबर लेनी पड़े. रेडिएंट कूलिंग का प्रयोग करने वाला भी यह पहला आईआईटी होगा.
भिलाई के पास कुटेलाभाटा में 2500 छात्रों की क्षमता का नया कैंपस थर्ड जनरेशन के सभी 6 आईआईटी में पहला है, जिसके मास्टर प्लान को ग्रिहा की 5-स्टार रैकिंग मिली है. सभी बिल्डिंग को लिंक करने वाला कॉन्सेप्ट एक्सेस कॉरिडोर बनाया गया है. कैंपस में बनी क्लब बिल्डिंग के कमरों का तापमान पानी के जरिए नियंत्रित किया जाएगा. यहां एसी का इस्तेमाल नहीं होगा. दीवारों पर पेंट के बजाय 50 एमएम के पत्थर लगाए जा रहे हैं, इसे स्टोन क्लैडिंग कहते हैं. वहीं ग्रीट प्लास्टर यानी कांक्रीट व पत्थर को मिक्स करके कोट लगाए जा रहे हैं. यह 30 सालों तक चलेगा जिससे पेंट कराने की झंझट ख़त्म हो जाएगी.
2023 से लगेंगी कक्षाएं
गौरतलब है कि साल 2018 में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी भिलाई के स्थायी भवन का काम शुरू किया गया. इसके पहले चरण में 18 लैक्चर हॉल, क्लासरूम, इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट व साइंस डिपार्टमेंट के दो-दो भवन, मेस ब्लॉक, लाइब्रेरी, आईटीआईएस भवन के साथ लेक्चर रूम, सेंट्रल प्रोटोटाइप फैसिलिटी, सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन फैसिलिटी, कनेक्टिविटी कॉरिडोर, फैकल्टी एवं स्टाफ के लिए आवास, लाइब्रेरी एंड डाटा सेंटर, शॉपिंग सेंटर, स्वास्थ्य केंद्र, संस्थान क्लब और गेस्ट रूम का काम नवम्बर माह तक पूरा कर लिया जाएगा.
स्ट्रक्चर का काम लगभग पूरा किया जा चूका है, सिर्फ इंटीरियर और रोड जैसे काम बाकी हैं. साल 2023 के जनवरी माह से छात्र यहां पढ़ाई कर सकेंगे. फिलहाल जीईसी कैंपस में आईआईटी का संचालन किया जा रहा है, जहां से छात्रों को कैंपस तैयार हो जाने पर शिफ्ट करा दिया जाएगा.
700 करोड़ रुपये की लागत से तैयार इस कैंपस के निर्माण की जिम्मेदारी लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड कंपनी (एलएंडटी) को दी गई है. इस कैंपस के निर्माण में प्रकृति के संरक्षण का खास ध्यान रखा गया है. जैसे, कैंपस में पहले से मौजूद पेड़ और तालाबों को नुकसान नहीं पहुंचाया गया है. आवश्यक रूप से काटे गए पेड़ों की जगह कैंपस में और पेड़ लगाए जाएंगे ताकि आईआईटी कैम्पस का वातावरण पूरी तरह से इको फ्रेंडली बना रहे.
(फीचर इमेज क्रेडिट: iitbhilai.ac.in)