दृष्टिहीन बच्चों की जिंदगी में रंग भर रहे हैं सुमित, सिखा रहे हैं खूबसूरत पेंटिंग बनाना
सुमित मुंबई में उन बच्चों को चित्रकारी करना सिखा रहे हैं जो बच्चे देख सकने में सक्षम नहीं हैं। ‘रंग गंध’ के साथ सुमित का यह खास सफर बीते 15 सालों से लगातार जारी है।
"कोरोना महामारी से पहले सुमित इन सभी बच्चों को उनके घर या हॉस्टल में जाकर सिखाने का काम करते थे, लेकिन महामारी के चलते लागू हुई पाबंदियों ने इसमें बदलाव ला दिया है। अब ये सभी बच्चे सुमित के घर पर ही हैं और यहीं ये सभी चित्रकारी के साथ अलग-अलग प्रयोग करते हैं।"
समाजसेवी सुमित पाटिल ‘रंग गंध’ नाम के एनजीओ के संचालक हैं। आज सुमित मुंबई में उन बच्चों को चित्रकारी करना सिखा रहे हैं जो बच्चे देख सकने में सक्षम नहीं हैं। ‘रंग गंध’ के साथ सुमित का यह खास सफर बीते 15 सालों से लगातार जारी है।
इन दृष्टिबाधित बच्चों का कहना है कि सुमित का सिखाने का तरीका बेहद आसान और सरल है। बतौर एक शिक्षक सुमित के भीतर सहनशीलता भरी हुई है और उन्हें इन बच्चों को सिखाने में किसी भी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता है।
इन बच्चों को सिखाने की प्रक्रिया में इन बच्चों से जितनी भी गलतियाँ हो सकती हैं सुमित उन्हें वे गलतियाँ करने देते हैं। बच्चों का कहना है कि उनकी बनाई हुई कलाकृति को देखने के बाद जब सुमित उनकी तारीफ करते हैं तब वे खुद को सातवें आसमान पर पाते हैं।
जीवन में भर दिये रंग
इस प्रक्रिया में सुमित इन बच्चों को बनने वाले चित्र के बारे में पूरी जानकारी भी देते हैं, जिसमें उस चित्र के पीछे की पार्श्वभूमि और उस चित्र का महत्व भी शामिल होता है। बच्चों का कहना है कि इन सभी रंगों का उनके जीवन में महत्व है और वे इस तरह अपने जीवन के चित्र में भी ये खूबसूरत रंग भर पा रहे हैं।
इन बच्चों के साथ बिताए हुए अनुभव को साझा करते हुए सुमित कहते हैं कि आमतौर पर लोग रंगों को जानते हैं, लेकिन ये बच्चे उन रंगों के शेड्स को भी पहचानते हैं। सुमित के लिए नेत्रहीन बच्चों को चित्रकारी सिखाने का यह सफर दरअसल उनके कॉलेज के दौरान ही शुरू हो गया था और अब इस काम को करते हुए एक दशक से भी अधिक समय हो गया है।
कोरोना महामारी से पहले सुमित इन सभी बच्चों को उनके घर या हॉस्टल में जाकर सिखाने का काम करते थे, लेकिन महामारी के चलते लागू हुई पाबंदियों ने इसमें बदलाव ला दिया है। अब ये सभी बच्चे सुमित के घर पर ही हैं और यहीं ये सभी चित्रकारी के साथ अलग-अलग प्रयोग करते हैं। ये बच्चे पेपर पर उभरी हुई आउटलाइन को छूकर महसूस करते हैं और फिर उसमें रंग भरते हैं।
हजारों बच्चों को सिखाई पेंटिंग
ये बच्चे रंगों को देखकर पहचान नहीं सकते थे तो इसके लिए सुमित ने एक अनूठा उपाय खोज निकाला। सुमित ने हर रंग को एक अलग खुशबू दे दी, जिसके बाद अब बच्चे आसानी से इन रंगों को पहचान पाते हैं। गौरतलब है कि यहीं से सुमित के एनजीओ का नाम ‘रंग गंध’ भी पड़ा।
सुमित कहते हैं कि इन बच्चों के पास भले ही दृष्टि न हो लेकिन इनके पास उनका एक अलग दृष्टिकोण है। ये बच्चे समाज को उसी दृष्टिकोण से देखते हैं। उनका कहना है कि ये बच्चे बहुत कुछ कर सकते हैं, बल्कि कई मामलों में ये बच्चे अधिक फोकस के साथ हम सभी से बेहतर कर सकते हैं।
सुमित अब तक करीब एक हज़ार से अधिक बच्चों को पेंटिंग करना सिखा चुके हैं। खास बात यह भी है कि इन बच्चों द्वारा बनाई गई तमाम पेंटिंग्स को प्रदर्शनियों में भी शामिल किया जा चुका है।
Edited by Ranjana Tripathi