सुपरटेक ट्विन टावर के लिए जिम्मेदार 26 आरोपी अभी भी कानून के शिकंजे से बाहर क्यों है?
ट्विन टावरों के गिरने के साथ सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर भ्रष्टाचार की इतनी बड़ी घटना में अभी तक जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नोएडा के सेक्टर 93A में स्थित सुपरटेक के ट्विन टावर (Supertech Twin Tower) को रविवार दोपहर करीब 3700 किलो विस्फोटक से ढहा दिया गया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल अगस्त में दिए गए आदेश के एक साल बाद ढहाई गई इन इमारतों ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा कर दिया है.
पिछले साल अगस्त में बिल्डिंग बनाने के नियमों का घोर उल्लंघन करते हुए नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों के साथ मिलकर ट्विन टावर बनाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को जमकर लताड़ लगाई थी. यह आश्चर्य की बात है कि देश की राजधानी से मात्र कुछ किलोमीटर दूर बनी भ्रष्टाचार की यह जीती-जागती इमारत पूरे सिस्टम की आंखों में धूल झोंककर न सिर्फ बनी बल्कि सालों तक खड़ी रही और देश की अदालतें मूक दर्शक बनी रहीं.
यह भी चौंकाने वाली बात है कि 13 सालों की लड़ाई के बाद ट्विन टावरों को ध्वस्त करने की कार्रवाई को आखिरकार किसी तरह अंजाम तक पहुंचाने में सफलता तो मिल गई लेकिन भ्रष्टाचार की इस बुलंद इमारत को फलने-फूलने की जिम्मेदार कंपनी, अधिकारियों व अन्य के खिलाफ अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है.
हालांकि, कई एजेंसियों ने इस मामले में कंपनी और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत तो की लेकिन अभी तक सुपरटेक, नोएडा अथॉरिटी या फायर डिपार्टमेंट का एक भी अधिकारी जेल की सलाखों के पीछे नहीं गया है. ट्विन टावरों के गिरने के साथ सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर भ्रष्टाचार की इतनी बड़ी घटना में अभी तक जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
अब तक क्या कार्रवाई हुई?
31 अगस्त, 2021 के सुप्रीम कोर्ट ने ट्विन टावरों को गिराने का आदेश देने के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को एक विशेष जांच दल (SIT) गठित मामले की जांच कराने का आदेश दिया था. आदेश के बाद सितंबर 2021 में उत्तर प्रदेश बुनियादी ढांचा एवं औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था.
जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर मामले में शामिल 26 अधिकारियों/कर्मचारियों, सुपरटेक लिमिटेड के निदेशकों और उनके आर्किटेक्ट्स के खिलाफ कार्रवाई की गई. 26 अधिकारियों में से 20 सेवानिवृत्त हो चुके हैं, दो की मौत हो चुकी है और चार सेवा में थे, उन्हें निलंबित कर दिया गया है.
नोएडा प्राधिकरण द्वारा विजिलेंस इस्टैबलिसमेंट, लखनऊ में इसी मामले में अक्टूबर, 2021 में अथॉरिटी के संलिप्त अधिकारियों, सुपरटेक लिमिटेड के निदेशक और आर्किटेक्टों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी. साथ ही प्राधिकरण द्वारा जिला न्यायालय गौतमबुद्धनगर में अथॉरिटी कर्मियों और मेसर्स सुपरटेक लिमिटेड के विरुद्ध मुकदमा भी दाखिल किया गया था.
मामले में आरोपी बनाए गए 26 अधिकारियों के नाम निम्न हैं. उसमें से अधिकतर अफसर रिटायर हो चुके हैं. तत्कालीन अफसरों के अलावा सुपरटेक लिमिटेड के चार निदेशक और आर्किटेक्ट भी आरोपियों की लिस्ट में शामिल हैं.
- मोहिंदर सिंह - CEO, नोएडा (रिटायर्ड)
- एसके द्विवेदी - CEO, नोएडा (रिटायर्ड)
- आरपी अरोड़ा - एडिशनल CEO, नोएडा (रिटायर्ड)
- यशपाल सिंह – ऑफिसर ऑन स्पेशन ड्यूटी (रिटायर्ड)
- स्व. मैराजुद्दीन - प्लानिंग असिस्टेंट (रिटायर्ड)
- ऋतुराज व्यास- एसोसिएट टाउन प्लानर (वर्तमान में यमुना प्राधिकरण में जनरल मैनेजर)
- एस.के.मिश्रा – टाउन प्लानर (रिटायर्ड)
- राजपाल कौशिक – सीनियर टाउन प्लानर (रिटायर्ड)
- त्रिभुवन सिंह – चीफ आर्किटेक्ट प्लानर (रिटायर्ड)
- शैलेंद्र कैरे – डिप्टी जनरल मैनेजर, ग्रुप हाउसिंग (रिटायर्ड)
- बाबूराम – प्रोजेक्ट इंजीनियर (रिटायर्ड)
- टी.एन.पटेल - प्लानिंग असिस्टेंट (रिटायर्ड)
- वीए देवपुजारी - चीफ आर्किटेक्ट प्लानर (रिटायर्ड)
- अनीता - प्लानिंग असिस्टेंट (वर्तमान में यूपी राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण)
- एनके कपूर - एसोसिएट आर्किटेक्ट (रिटायर्ड)
- मुकेश गोयल - प्लानिंग असिस्टेंट (वर्तमान में प्रबंधक नियोजक के पद पर GIDA में कार्यरत)
- प्रवीण श्रीवास्तव – असिस्टेंट आर्किटेक्ट (रिटायर्ड)
- ज्ञानचंद – लॉ ऑफिसर (रिटायर्ड)
- राजेश कुमार – लीगल एडवाइजर (रिटायर्ड)
- स्व. डीपी भारद्वाज - प्लानिंग असिस्टेंट
- विमला सिंह – एसोसिएट टाउन प्लानर
- विपिन गौड़ – जनरल मैनेजर (रिटायर्ड)
- एमसी त्यागी – प्रोजेक्ट इंजीनियर (रिटायर्ड)
- केके पांडेय – चीफ प्रोजेक्ट इंजीनियर
- पीएन बाथम – एडिशनल चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर
- एसी सिंह – कंट्रोलर ऑफ फाइनेंश (रिटायर्ड)
Edited by Vishal Jaiswal