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कोविड-19 के मृतकों के परिवारों को अनुग्रह सहायता के भुगतान का दावा दायर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्धारित की समय सीमा

न्यायालय ने यह निर्देश भी दिया है कि अत्यधिक कठिनाई के मामले में जहां कोई दावेदार निर्धारित समय-सीमा के अंदर आवेदन नहीं कर सकता है तो वह दावेदार शिकायत निवारण समिति के माध्‍यम से ऐसा कर सकता है।

कोविड-19 के मृतकों के परिवारों को अनुग्रह सहायता के भुगतान का दावा दायर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्धारित की समय सीमा

Tuesday April 12, 2022 , 2 min Read

सुप्रीम कोर्ट ने 2021 की रिट याचिका (सी) संख्या 539 में, विविध आवेदन संख्या 1805, वर्ष 2021 में राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा कोविड-19 के कारण मृतक जनों के परिवारों को यथा घोषित अनुग्रह सहायता के भुगतान का दावा दायर करने हेतु लाभार्थियों के लिए अपने आदेश दिनांक 24 मार्च, 2022 के द्वारा निम्नलिखित समय सीमा निर्धारित की है।

न्यायालय द्वारा जारी किए गए प्रमुख दिशा-निर्देश इस प्रकार हैं:

  • 20 मार्च, 2022 से पहले कोविड-19 के कारण हुई मृत्यु के मामले में मुआवजे के दावे दायर करने के लिए 24 मार्च, 2022 से साठ दिनों की बाह्य समय सीमा लागू होगी।

  • भविष्य में कोविड-19 से होने वाली किसी भी मृत्यु के लिए दावा दायर करने के लिए समय-सीमा मृत्यु की तिथि से नब्बे दिन की होगी।

  • दावों की जांच एवं कार्यवाही करने के लिए दावे की प्राप्ति की तिथि से तीस दिन की अवधि के भीतर मुआवजे का वास्तविक भुगतान करने का पूर्व आदेश जारी रहेगा।

हालांकि न्यायालय ने यह निर्देश भी दिया है कि अत्यधिक कठिनाई के मामले में जहां कोई दावेदार निर्धारित समय-सीमा के अंदर आवेदन नहीं कर सकता है तो वह दावेदार शिकायत निवारण समिति के माध्‍यम से ऐसा कर सकता है। ऐसे दावों पर शिकायत निवारण समिति द्वारा मामला-दर-मामला आधार पर विचार किया जाएगा और अगर शिकायत निवारण समिति द्वारा यह पाया जाता है कि कोई विशेष दावेदार उस निर्धारित समय-सीमा के भीतर दावा नहीं कर सकता है जो उनके नियंत्रण से बाहर है तो उस मामले में दावे पर गुणदोष के आधार पर विचार किया जा सकता है।

इसके अलावा, न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि फर्जी दावों के जोखिम को कम से कम करने के लिए 5 प्रतिशत दावा आवेदनों की पहली बार में रैन्‍डम जांच की जाएगी। अगर यह पाया जाता है कि किसी व्‍यक्ति ने फर्जी दावा किया है, तो उस पर डीएम अधिनियम, 2005 की धारा 52 के तहत विचार किया जाएगा और तदनुसार उसे दंडित किया जा सकता है।


Edited by Ranjana Tripathi