कलेक्टर ने दूर किया जातिगत भेदभाव, दलित महिला के हाथ से पानी पीकर दिलाया हक
"मामला जिले की बसेड़ी ग्राम पंचायत का है। जहां नुनहेरा गांव में मनरेगा का काम चल रहा था। जब कार्य का निरीक्षण करने के लिए डीएम नेहा गिरी पहुंचीं तो उन्होंने देखा कि एक महिला अपने बच्चे के साथ काम पर लगी है।"
देश को आजादी मिले सात दशक बीत चुके हैं लेकिन छुआछूत की कुप्रथा अभी भी जारी है। आपको लगता होगा कि कानून बन जाने के बाद छुआछूत की बातें सिर्फ किताबों में रह गई हैं तो आप गलत हैं। अस्पृश्यता अधिनियिम, 1955 ते बाद भी यह समस्या देश के कई हिस्सों में आज भी व्याप्त है। राजस्थान के धौलपुर जिले की नवनियुक्त डीएम नेहा गिरी भी उस वक्त हैरान रह गईं जब उनके सामने छुआछूत का उदाहरण मिला। एक दलित महिला के साथ भेदभाव होते देख उन्होंने वहां मौजूद लोगों को जमकर लताड़ लगाई और उस महिला के हाथों पानी भी पिया।
मामला जिले की बसेड़ी ग्राम पंचायत का है। जहां नुनहेरा गांव में मनरेगा का काम चल रहा था। जब कार्य का निरीक्षण करने के लिए डीएम नेहा गिरी पहुंचीं तो उन्होंने देखा कि एक महिला अपने बच्चे के साथ काम पर लगी है वहीं दूसरी ओर एक शारीरिक रूप से सक्षम आदमी पानी पिलाने के लिए काम पर लगा हुआ है। यह देखकर कलेक्टर ने जब बच्चे के साथ लगी महिला से पूछा कि वह पानी पिलाने का काम क्यों नहीं करती है तो उसने कहा कि वह वाल्मिकी समुदाय से ताल्लुक रखती है इसलिए उसे पानी पिलाने के काम में नहीं लगाया जाता।
महिला ने बताया कि उसके हाथ से कोई पानी नहीं पिएगा। यह सुनकर कलेक्टर ने काम पर मौजूद लोगों को जमकर लताड़ लगाई और खुद उस महिला के हाथ से पानी पिया। इतना ही नहीं उन्होंने सभी लोगों को उस महिला के हाथ से पानी पीने को कहा। इसके साथ ही पानी पिलाने वाले सक्षम व्यक्ति को उन्होंने काम पर लगाया।
भारत में जाति व्यवस्था में वाल्मीकि समुदाय को निचले पायदान पर रखा जाता है। यहां तक कि दलितों में भी उन्हें सबसे नीचा माना जाता है। इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि आधुनिक होते समाज में आज भी ऐसी कुप्रथाएं जारी हैं। कलेक्टर नेहा गिरी ने वाल्मिकी महिला को न केवल सामाजिक हक दिलाया बल्कि उसके अंदर आत्मविश्वास भी भरा।
2010 बैच की आईएएस अफसर नेहा गिरी इसके पहले बूंदी और प्रतापगढ़ जिले की कलेक्टर रह चुकी हैं। उनके पति इंद्रजीत सिंह भी आईएएस अफसर हैं और फिलहाल अलवर जिले में डीएम की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
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