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आर्थिक गतिविधियों पर दिखने लगा है स्थानीय लॉकडाउन का असर, टीकाकरण भी घटा: रिपोर्ट

रिपोर्ट में टीकाकरण की रफ्तार को तेज करने पर जोर दिया गया है। साप्ताहिक आधार पर टीकाकरण सुस्त हुआ है।

देश में लगातार दूसरे दिन कोविड-19 संक्रमण के 2.5 लाख से अधिक मामले आए हैं। इस चिंताजनक स्थिति के बीच एक रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि लोगों की आवाजाही और कुछ कारोबार क्षेत्रों पर सीमित अंकुशों के बावजूद आर्थिक परिदृश्य निराशाजनक दिख रहा है। बिजली की खपत और ई-वे जीएसटी बिल संग्रहण पहले की तुलना में सुस्त पड़ा है।


रिपोर्ट में टीकाकरण की रफ्तार को तेज करने पर जोर दिया गया है। साप्ताहिक आधार पर टीकाकरण सुस्त हुआ है।

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क्रिसिल के मंगलवार को जारी एक नोट में कहा गया है कि संक्रमण के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं और अब अधिक से अधिक राज्य स्थानीय स्तर पर लोगों की आवाजाही और कारोबार पर अंकुश लगा रहे हैं। बिजली की खपत से लेकर जीएसटी ई-वे बिल संग्रहण में इसका असर दिख रहा है।


क्रिसिल ने कहा कि राहत की बात यह है कि विनिर्माण और निर्माण गतिविधियों का परिचालन हो रहा है। ज्यादातर राज्यों में सामाजिक दूरी उपायों के साथ यात्रा और घूमने-फिरने से जुड़ी सेवाओं की अनुमति है।


रिपोर्ट में कहा गया है कि चिंता की बात टीकाकरण की सुस्त रफ्तार है। 18 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में प्रतिदिन प्रत्येक 10 लाख लोगों पर 2,408 को टीका लगाया गया। इससे पिछले यानी 11 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में यह आंकड़ा 2,554 का था।


रिपोर्ट कहती है कि 18 अप्रैल तक 45 से 65 आयु वर्ग में सिर्फ 16.4 प्रतिशत आबादी को टीका लगा है। वहीं 65 साल और उससे अधिक के आयुवर्ग में 33.1 प्रतिशत लोगों को टीका लगाया गया है।


भारत में महामारी की स्थिति काफी खराब है। 12 से 18 अप्रैल के दौरान प्रतिदिन दो लाख से अधिक नए संक्रमण के मामले आए। इससे भारत संक्रमण के नए मामलों में ब्राजील को पीछे छोड़कर सबसे आगे निकल गया है।


रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र में 18 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में संक्रमण के नए मामलों में काफी गिरावट आई है। वहीं उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली में इनमें उल्लेखनीय इजाफा हुआ है। संक्रमण के नए मामलों में 11 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 42.3 प्रतिशत थी जो 18 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में घटकर 28.2 प्रतिशत पर आ गई।


(साभार: PTI)