रिटेल सेगमेंट के लिए RBI के डिजिटल रुपी का पायलट 1 दिसंबर से, व्यक्ति और मर्चेंट दोनों के साथ होगा लेनदेन
रिटेल डिजिटल रुपी का पायलट, भाग लेने वाले ग्राहकों और व्यापारियों के क्लोज्ड यूजर ग्रुप में चुनिंदा स्थानों को कवर करेगा.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), रिटेल डिजिटल रुपी (e₹-R) का पहला पायलट परीक्षण 1 दिसंबर 2022 को लॉन्च करेगा. इससे पहले केंद्रीय बैंक ने 1 नवंबर को होलसेल डिजिटल रुपी का पहला पायलट शुरू किया था. इस परीक्षण में बैंक, सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities) में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन के लिए इस डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल कर रहे हैं. अब रिटेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया जारी किया जाएगा.
रिटेल डिजिटल रुपी का पायलट, भाग लेने वाले ग्राहकों और व्यापारियों के क्लोज्ड यूजर ग्रुप (सीयूजी) में चुनिंदा स्थानों को कवर करेगा. इस पायलट योजना में चरणबद्ध भागीदारी के लिए 8 बैंकों की पहचान की गई है. पहला चरण देश भर के 4 शहरों में 4 बैंकों- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, ICICI बैंक, यस बैंक और IDFC फर्स्ट बैंक के साथ शुरू होगा. 4 और बैंक- बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक बाद में इस पायलट में शामिल होंगे. पायलट शुरू में 4 शहरों- मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर को कवर करेगा और बाद में अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला तक विस्तारित होगा. आवश्यकतानुसार अधिक बैंकों, यूजर्स और स्थानों को शामिल करने के लिए पायलट का दायरा धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है.
लीगल टेंडर है e₹-R
e₹-R एक डिजिटल टोकन के रूप में होगा, जो कि लीगल टेंडर होगा. यह उसी मूल्यवर्ग में जारी किया जाएगा, जिसमें वर्तमान में कागजी मुद्रा और सिक्के जारी किए जाते हैं. यह बिचौलियों, यानी बैंकों के माध्यम से वितरित किया जाएगा. यूजर्स पार्टिसिपेटिंग बैंकों द्वारा पेश किए गए और मोबाइल फोन/डिवाइसेज में स्टोर्ड डिजिटल वॉलेट के माध्यम से e₹-R के साथ लेनदेन करने में सक्षम होंगे. लेन-देन पर्सन टू पर्सन (P2P) और पर्सन टू मर्चेंट (P2M) दोनों हो सकते हैं. मर्चेंट लोकेशंस पर डिस्प्लेड क्यूआर कोड का उपयोग करके व्यापारियों को भुगतान किया जा सकता है. e₹-R फिजिकल कैश के फीचर्स की पेशकश करेगा, जैसे विश्वास, सुरक्षा और अंतिम निपटान. इसकी जमा पर कोई ब्याज नहीं होगा और न ही इसे अन्य प्रकार के धन में परिवर्तित किया जा सकता है.
पायलट रियल टाइम में डिजिटल रुपये के क्रिएशन, डिस्ट्रीब्यूशन और खुदरा उपयोग की पूरी प्रक्रिया की मजबूती का परीक्षण करेगा. इस पायलट से मिली सीख के आधार पर भविष्य के पायलटों में e₹-R टोकन और आर्किटेक्चर की विभिन्न विशेषताओं और एप्लीकेशंस का परीक्षण किया जाएगा.
आखिर क्या है डिजिटल रुपया उर्फ CBDC
डिजिटल करेंसी का पूरा नाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency or CBDC) है. सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की थी. 30 मार्च 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित किया था. सीबीडीसी किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से जारी होने वाले मौद्रिक नोटों का डिजिटल स्वरूप है. इससे यूजर्स को मौजूदा भुगतान प्रणालियों के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे. डिजिटल रुपया, डिजिटल रूप में नकद रुपए-पैसे की ही तरह है. इसका उपयोग संपत्ति जमा करने के साधन के बजाय लेनदेन की मुद्रा के रूप में किया जाएगा. CBDC को फिजिकल तौर पर नष्ट, जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है. जिस देश का केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी को जारी करता है, उस देश की सरकार की मान्यता इसे हासिल होती है. यह उस देश की केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट में भी शामिल होती है. इसकी खासियत यह है कि इसे देश की सॉवरेन करेंसी में बदला जा सकता है.
CBDC के पीछे भारत के केंद्रीय बैंक RBI का बैकअप रहेगा. यह आम मुद्रा यानी फिएट मुद्रा की तरह ही होगा, लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में होगा. फिएट मुद्रा, सरकार द्वारा जारी की जाने वाली करेंसी को कहा जाता है. इसलिए एक प्रकार से कह सकते हैं कि डिजिटल रुपया, सरकारी गारंटी वाला डिजिटल वॉलेट होगा. डिजिटल मुद्रा के रूप में जारी इकाइयों को चलन में मौजूद मुद्रा में शामिल किया जाएगा. जैसे लोग सामान या सेवाओं के बदले करेंसी देते हैं, उसी तरह CBDC से भी आप लेनदेन कर सकेंगे. सरल शब्दों में डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल हम अपने सामान्य रुपये-पैसे के रूप में कर सकेंगे, बस रुपये-पैसे डिजिटल फॉर्म में होंगे.
क्रिप्टोकरेंसी से कैसे अलग
डिजिटल करेंसी (Digital Currency) और क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में काफी अंतर है. इसलिए दोनों में कन्फ्यूज न हों. सबसे बड़ा अंतर यह है कि डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है, जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है. डिजिटल रुपये को केंद्रीय बैंक द्वारा विनियमित किया जाता है. इसलिए इसमें जोखिम नहीं होता है. वहीं क्रिप्टोकरेंसी एक मुक्त डिजिटल एसेट या वर्चुअल एसेट है. यह किसी देश या क्षेत्र की सरकार के अधिकार क्षेत्र या कंट्रोल में नहीं है. बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड है और किसी सरकार या सरकारी संस्था से संबंध नहीं है.