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बेंगलुरु के इस स्टार्टअप ने तैयार किया दुनिया का सबसे छोटा एनर्जी ऑडिटर, इस्तेमाल भी बेहद आसान

बेंगलुरु के इस स्टार्टअप ने तैयार किया दुनिया का सबसे छोटा एनर्जी ऑडिटर, इस्तेमाल भी बेहद आसान

Monday April 29, 2019 , 4 min Read

मिनियन लैब्स की टीम

पर्यावरण के प्रति आप अपनी जिम्मेदारी कैसे निभा सकते हैं? बेंगलुरु के मिनियन लैब्स नाम के स्टार्टअप ने आपके लिए इस सवाल के जवाब को आसान कर दिया है। मिनियन दुनिया का सबसे छोटा एनर्जी ऑडिटर है, जो बिजली के उपयोग के आधार पर एक बिल्डिंग के अंदर किसी भी उपकरण, डिवाइस या टूल आदि के स्विच ऑन होने का पता लगा सकता है। इतना ही नहीं, मिनियन विभिन्न प्रकार के उपकरणों की परफ़ॉर्मेंस और बिजली के इस्तेमाल के आधार पर अपने यूज़र्स को एक बिज़ली के खर्च का सटीक अंदाज़ा लगाने के लिए एक व्यवस्थित रिपोर्ट भी देता है और साथ ही, उनके प्रबंधन के बारे में भी सुझाव देता है।


स्मार्ट मीटर्स को डिवाइस में लगने वाले सेंसर्स की ज़रूरत होती है और साथ ही, इनमें बिजली के खर्च का बहुत ही सीमित डेटा होता है। इस काम को आसान करते हुए मिनियन (मिनी + ऑन) लैब्स ने एक ऐसा एनर्जी ऑडिटर तैयार किया है, जिसे सिर्फ़ मेन सर्किट में लगाना होता है और इसके माध्यम से यह पता लग जाता है कि एक निर्धारित परिसर में एक छोटे से छोटे डिवाइस द्वारा कितनी बिजली का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसे इन्सटॉल करने के तीन आसान से तरीक़े हैं और साथ ही, इन्सटॉल करने के लिए किसी भी प्लगइन या सॉफ़्टवेयर की ज़रूरत नहीं होती। यूज़र्स को बस लॉग इन करना होता है और इसके बाद वे अपने परिसर में बिजली के इस्तेमाल के पैटर्न को ट्रैक और मॉनिटर कर सकते हैं।


मिनियन द्वारा मिलने वाले डेटा की मदद से यूज़र बिजली उपकरणों का समय पर मेंटेनेन्स करा सकते हैं और बिजली बचाने के साथ-साथ ख़राब उपकरणों के चलते किसी दुर्घटना की आशंका से भी बच सकते हैं।


कंपनी के फ़ाउंडर गोकुल श्रीनिवास की अभी तक की यात्रा में कई उतार-चढ़ाव रहे हैं; हॉकी खेलते हुए लगी एक चोट की वजह से उनके स्कूल का रिज़ल्ट ख़राब हुआ और इसके बाद 450 से भी ज़्यादा जगहों से उन्हें ज़ॉब की जगह निराशा ही हाथ लगी। वह हंसते बताते हैं, "एक कोडिंग कॉम्पिटिशन जीतने के बाद मैं ऐमज़ॉन के साथ काम करना शुरू किया, लेकिन कुछ ही समय बाद ही मुझे एहसास हो गया कि यह क्षेत्र मेरे लिए नहीं है। इसके बाद मैंने तय किया कि मैं नौकरी छोड़कर मिनियन लैब्स की शुरुआत करूंगा और आज मैं यहां हूं।"


भारत के प्रधानमंत्री और सउदी अरब के प्रिंस द्वारा प्राप्त पुरस्कारों समेत मिनियन लैब्स अभी तक 19 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुका है। गोकुल बताते हैं कि इन पुरस्कारों की बदौलत उन्हें अपने पायलट प्रोजेक्ट के लिए सउदी ऐरामको और कुवैत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन जैसे बड़े क्लाइंट्स मिले, जिन्होंने उनके सॉल्यूशन को वैधता दिलाने और अन्य क्लाइंट्स के बीच विश्वास पैदा करने में मिनियन लैब्स की काफ़ी मदद की।


बिज़नेस मॉडल के संबंध में कई प्रयोगों के बाद मिनियन लैब्स ने एक मंथली सब्सक्रिप्शन मॉडल शुरू किया, जिसके तहत उपभोक्ताओं से हर मासिक तौर पर 1,150 रुपए चार्ज किए जाते हैं और साथ ही, हर डिवाइस के लिए दो साल का कॉन्ट्रैक्ट होता है। अपने अलहदा बिज़नेस मॉडल के तहत मिनियन लैब्स का उद्देश्य है कि उपभोक्ताओं के लिए एनर्जी को बचाने का काम आसान किया जाए। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही मिनियन लैब्स अपने उपभोक्ताओं से डिवाइस और उसके इन्सटॉलेशन के लिए कोई क़ीमत चार्ज नहीं करता और साथ ही, इसके इस्तेमाल में किसी तरह की मेंटेनेन्स कॉस्ट भी नहीं आती।


दो सालों के बाद, प्रोडक्ट पूरी तरह से यूज़र का हो जाता है। ऐनालिटिक्स हमेशा के लिए मुफ़्त हैं और साथ ही, उपभोक्ताओं को तीन सालों का डेटा स्टोरेड का विकल्प भी मिलता है। अगरकोई यूज़र तीन सालों से अधिक समय का डेटा स्टोर रखना चाहता है तो उसके लिए सामान्य से क्लाउट स्टोरेड कॉस्ट चुकानी होती है।


गोकुल ने रिसर्च के दौरान पाया कि एनर्जी सेविंग को ध्यान में रखते हुए हेल्थकेयर सेक्टर में कुछ ख़ास काम नहीं हुआ है और इसलिए उन्होंने अपने कई पायलट ऑपरेशन्स अस्पतालों के साथ किए और इसके बाद फ़ोर्टिस और मनीपाल हॉस्पिटलों जैसे कई बड़े क्लाइंट्स मिनियन लैब्स के साथ जुड़ गए। गोकुल कहते हैं कि अस्पतालों में 24/7 बिजली का इस्तेमाल होता है, इसलिए इस क्षेत्र में ऊर्जा की बचत की संभावनाएं भी बेशुमार हैं।


गोकुल पब्लिक सेक्टर में काम करने को लेकर काफ़ी सकारात्मक हैं। अपनी उपलब्धियों के चलते गोकुल का स्टार्टअप सरकार की नज़रों में आ चुका है। यही वजह है कि पंजाब यूटीलिटी बोर्ड ने पंजाब के तीन ज़िलों में मिनियन लैब्स से पायलट प्रोजेक्ट्स चलाने की अपील की।


गोकुल का कहना है कि डिवाइस बेचना तो सिर्फ़ पहला चरण है, दरअसल हमारे उद्देश्य की सफलता दूसरे चरण से जुड़ी है, जिसमें हम डेटा कलेक्ट करते हैं और जो ऊर्जा की बचत में मददगार साबित होता है।


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