सरकार का कुल कर्ज दूसरी तिमाही में बढ़कर 147 लाख करोड़ रुपये पहुंचा
सरकार का कुल कर्ज सितंबर के अंत में बढ़कर 147.19 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. इससे पहले जून तिमाही में यह 145.72 करोड़ रुपये था. सार्वजनिक कर्ज के ताजा आंकड़ों के अनुसार, फीसदी के हिसाब से तिमाही आधार पर चालू वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में इसमें एक फीसदी की वृद्धि हुई है.
वित्त मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को सार्वजनिक कर्ज प्रबंधन पर जारी तिमाही रिपोर्ट के अनुसार, इस साल सितंबर के अंत में सार्वजनिक कर्ज, सकल देनदारी का 89.1 फीसदी रहा जो 30 जून को समाप्त तिमाही में 88.3 फीसदी था. इसमें कहा गया है कि करीब 29.6 फीसदी सरकारी प्रतिभूतियां (निश्चित या परिवर्तनशील ब्याज वाली प्रतिभूतियां) पांच साल से कम अवधि में परिपक्व होने वाली हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, दूसरी तिमाही के दौरान केंद्र सरकार ने प्रतिभूतियों के जरिये 4,06,000 करोड़ रुपये जुटाये हैं. जबकि उधारी कार्यक्रम के तहत अधिसूचित राशि 4,22,000 करोड़ रुपये थी. वहीं 92,371.15 करोड़ रुपये लौटाये गये. चालू वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में भारांश औसत प्रतिफल बढ़कर 7.33 फीसदी हो गया जो पहली तिमाही में 7.23 फीसदी था. दूसरी तिमाही में नई जारी प्रतिभूतियों के परिपक्व होने की भारांश औसत अवधि 15.62 साल थी जो पहली तिमाही में 15.69 वर्ष थी.
सरकार ने जूलाई-सितंबर तिमाही में नकद प्रबंध बिल यानी नकदी प्रबंधन के लिये अल्प अवधि की प्रतिभूतियों के जरिये कोई राशि नहीं जुटायी है. इस दौरान भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकारी प्रतिभूतियों के लिये कोई खुली बाजार गतिविधियां आयोजित नहीं कीं. रिपोर्ट में विदेशी मुद्रा भंडार के संदर्भ में कहा गया है कि यह 30 सितंबर, 2022 को 532.66 अरब डॉलर रहा जो 24 सितंबर, 2021 को 638.64 अरब डॉलर था. एक जुलाई, 2022 से 30 सितंबर, 2022 के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 3.11 फीसदी नीचे आया है.
निकट अवधि की मुद्रास्फीति और तरलता संबंधी चिंताओं के कारण द्वितीयक बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों पर प्रतिफल अल्पावधि में सख्त हो गया, हालांकि वित्तीय वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही के दौरान लंबी अवधि की प्रतिभूतियों के लिए प्रतिफल में नरमी देखी गई. एमपीसी ने मोटे तौर पर मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के इरादे से वित्तीय वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही के दौरान नीतिगत रेपो दर को 100 बीपीएस यानी 4.90 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.90 प्रतिशत करने का फैसला किया.
द्वितीयक बाजार में, मुख्य रूप से 10 वर्ष की बेंचमार्क प्रतिभूति में अधिक व्यापार के कारण इस तिमाही के दौरान व्यापारिक गतिविधियां 7-10 वर्ष की परिपक्वता बकेट में केन्द्रित रहीं. निजी क्षेत्र के बैंक इस तिमाही के दौरान द्वितीयक बाजार में प्रमुख व्यापारिक खंड के रूप में उभरे. शुद्ध आधार पर, विदेशी बैंक और प्राथमिक डीलर शुद्ध विक्रेता थे जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, सहकारी बैंक, वित्तीय संस्थाएं, बीमा कंपनियां, म्युचुअल फंड, निजी क्षेत्र के बैंक और 'अन्य' द्वितीयक बाजार में शुद्ध खरीदार थे. केन्द्र सरकार की प्रतिभूतियों का स्वामित्व पैटर्न यह इंगित करता है कि वाणिज्यिक बैंकों की हिस्सेदारी सितंबर 2022 के अंत में 38.3 प्रतिशत थी, जबकि जून 2022 के अंत में यह 38.04 प्रतिशत थी.
Edited by रविकांत पारीक