463 करोड़ जन धन अकाउंट में से केवल 8.2% में जीरो बैलेंस: RBI रिपोर्ट
भारतीय रिज़र्व बैंक की ट्रेंड्स एंड प्रोग्रेस रिपोर्ट (Reserve Bank of India’s Trend & Progress report) में कहा गया है कि देश में प्रधानमंत्री जन धन योजना खातों (Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana accounts) में पिछले आठ वर्षों के दौरान जमा आधार में वृद्धि देखी गई है और ऐसे खातों में से केवल 8.2 प्रतिशत में जीरो बैलेंस है.
रिपोर्ट के मुताबिक, “अगस्त 2022 तक, कुल 462.5 करोड़ PMJDY खातों में से, 81.2 प्रतिशत सक्रिय थे, 2017 में 76 प्रतिशत से अधिक. PMJDY खातों में से केवल 8.2 प्रतिशत जीरो बैलेंस खाते थे.”
PMJDY खाते को निष्क्रिय माना जाता है यदि इसमें दो वर्षों तक कोई लेन-देन नहीं होता है.
रिपोर्ट में कहा गया है, “शुरुआती वर्षों में उच्च वृद्धि के चरण के बाद, हाल के वर्षों में नए PMJDY खातों की अभिवृद्धि की दर धीमी हो गई है. यह इस बात का संकेत है कि कार्यक्रम वित्तीय सेवा तक सार्वभौमिक पहुंच के अपने इच्छित उद्देश्य के करीब है.”
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त 2022 के अंत में, लगभग 56 प्रतिशत खाताधारक महिलाएं थीं और 67 प्रतिशत PMJDY खाते ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों में थे.
पेमेंट सिस्टम के लिए RBI का प्लान
RBI का लक्ष्य अलग-अलग पेमेंट सिस्टम्स के लिए चार्जेज के फ्रेमवर्क को सुव्यवस्थित करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश में एक एडवांस्ड पेमेंट सिस्टम है, जो न केवल सुरक्षित है, बल्कि तेज और सस्ता भी है.
केंद्रीय बैंक ने अगस्त में एक चर्चा पत्र जारी किया था जिसमें पेमेंट सिस्टम में चार्जेज के लिए मौजूदा नियमों को रेखांकित किया गया था, साथ ही अन्य विकल्प भी प्रस्तुत किए गए थे जिनके माध्यम से इस तरह के चार्जेज लगाए जा सकते थे.
स्टैकहोल्डर्स से प्राप्त फीडबैक के आधार पर, केंद्रीय बैंक ने कहा है कि वह अपनी नीतियों का फ्रेमवर्क तैयार करेगा और देश में विभिन्न पेमेंट सेवाओं और गतिविधियों के लिए चार्जेज की रूपरेखा को सुव्यवस्थित करेगा.
आरबीआई ने ट्रेंड्स एंड प्रोग्रेस रिपोर्ट में कहा, "यह सुनिश्चित करेगा कि भारत के पास अत्याधुनिक भुगतान और निपटान प्रणाली है जो न केवल सुरक्षित, कुशल और तेज है बल्कि सस्ती भी है."
केंद्रीय बैंक के अनुसार, एक कुशल भुगतान प्रणाली के लिए आवश्यक है कि शुल्क को उचित रूप से निर्धारित किया जाए ताकि उपयोगकर्ताओं के लिए इष्टतम लागत और ऑपरेटरों को रिटर्न सुनिश्चित किया जा सके.
2021-22 में बैंकिंग धोखाधड़ी के मामले बढ़े, राशि घटीः RBI
RBI ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में बैंकिंग धोखाधड़ी के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई लेकिन इन मामलों में शामिल राशि एक साल पहले की तुलना में आधी से भी कम रह गई. आरबीआई ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 'ट्रेंड्स एंड प्रोग्रेस' रिपोर्ट में कहा कि पिछले वित्त वर्ष में 60,389 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से जुड़े 9,102 मामले सामने आए. वित्त वर्ष 2020-21 में ऐसे मामलों की संख्या 7,358 थी और इनमें 1.37 लाख करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई थी.
हालांकि उधारी गतिविधियों में धोखाधड़ी के मामलों में गिरावट का रुख देखा गया. पिछले वित्त वर्ष में ऐसे मामले घटकर 1,112 रह गए जिनमें 6,042 करोड़ रुपये की राशि शामिल थी. वित्त वर्ष 2020-21 में धोखाधड़ी के 1,477 मामलों में 14,973 करोड़ रुपये संलिप्त थे.
आरबीआई ने इस रिपोर्ट में कहा, "बैंक धोखाधड़ी की संख्या के संदर्भ में अब कार्ड या इंटरनेट से होने वाले लेनदेन पर ज्यादा जोर है. इसके अलावा नकदी में होने वाली धोखाधड़ी भी बढ़ रही है." इनमें एक लाख रुपये या अधिक राशि वाले धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं.
इसके साथ ही आरबीआई ने कहा कि जमा बीमा एवं क्रेडिट गारंटी निगम (DICGC) ने पिछले वित्त वर्ष में 8,516.6 करोड़ रुपये के दावों का निपटान किया. इसमें एक बड़ा हिस्सा अब बंद हो चुके पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (PMC) बैंक के ग्राहकों का था.