Brands
YSTV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory
search

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

ADVERTISEMENT
Advertise with us

5G टेक्नोलॉजी और कोविड-19 संक्रमण के फैलाव में कोई सम्बन्ध नहीं है: DoT

दूरसंचार विभाग (DoT) की ओर से जारी एक वक्तव्य के अनुसार ऐसे सभी संदेश भ्रामक एवं असत्य होने के साथ ही बिलकुल भी सही नहीं हैं।

5G टेक्नोलॉजी और कोविड-19 संक्रमण के फैलाव में कोई सम्बन्ध नहीं है: DoT

Tuesday May 11, 2021 , 3 min Read

संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) के संज्ञान में यह जानकारी आई है कि विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस तरह के भ्रामक संदेश चल रहे हैं जिनमें यह दावा किया गया है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने का कारण 5G मोबाइल टावरों से किए जा रहे परीक्षण हैं।

ि

फोटो साभार: Analytics Insight

दूरसंचार विभाग (DoT) की ओर से जारी एक वक्तव्य के अनुसार ऐसे सभी संदेश भ्रामक एवं असत्य होने के साथ ही बिलकुल भी सही नहीं हैं।


इस प्रेस वक्तव्य के माध्यम से यह सूचित किया जाता है कि

5G टेक्नोलॉजी और कोविड-19 संक्रमण के फैलाव में कोई सम्बन्ध नहीं है। जनसामान्य से यह अनुरोध किया जाता है कि वे इस सम्बन्ध में चल रही असत्य एवं गलत सूचनाओं और फैलाई जा रही अफवाहों से भ्रमित न हों। 5G टेक्नोलॉजी को कोविड-19 वैश्विक महामारी से जोड़ने वाले दावे भ्रामक हैं और उनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। साथ, ही यह भी सूचित किया जाता है कि अभी तक भारत में 5जी नेटवर्क कहीं भी शुरू नहीं हुआ है। अतः यह दावा आधार हीन गलत है कि भारत में कोरोना वायरस वायरस 5G के परीक्षण अथवा इसके नेटवर्क के कारण फैला।

मोबाइल टावरों से बहुत कम क्षमता की नॉन-आयोनाइजिंग रेडियो तरंगें उत्सर्जित होती है और वे मनुष्यों सहित किसी भी जीव को किसी भी प्रकार की हानि पहुंचाने में अक्षम होती हैं। दूरसंचार विभाग ने रेडियो आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी) क्षेत्र (अर्थात आधार स्टेशन उत्सर्जन) से उत्पन्न होने वाले खतरे (एक्सपोजर) की सीमा के लिए जो मानक निर्धारित किए हैं वे नॉन-आयोनाइजिन्ग विकिरण सुरक्षा पर अन्तर्राष्ट्रीय आयोग (इंटरनेशनल कमीशन ऑन नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन प्रोटेक्शन-ICNIRP) द्वारा निर्धारित और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अनुमोदित सुरक्षा सीमाओं से 10 गुना अधिक कड़े हैं।

DoT द्वारा उठाए जा चुके कदम

डीओटी की एक सुगठित प्रणाली है ताकि सभी टीएसपी इन निर्धारित मानकों का कड़ाई से पालन कर सकें। तथापि यदि किसी नागरिक को यह आशंका है कि किसी मोबाइल टावर से विभाग द्वारा निर्धारित सुरक्षित मानकों से अधिक रेडियो तरंगों का उत्सर्जन हो रहा है तो https://tarangsanchar.gov.in/emfportal के तरंग संचार पोर्टल पर EMF मापन/परीक्षण के लिए लिखित अनुरोध किया जा सकता है।


मोबाइल टावरों से होने वाले विद्युत वाहक बल (इलेक्ट्रो मोटिव फ़ोर्स–EMF) उत्सर्जन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों से जनसामान्य की आशंकाओं के निवारण के लिए दूरसंचार विभाग लोगों में ईएमएफ विकिरण के बारे में जागरूकता लाने की दिशा में बहुत से कदम उठा रहा है। उदाहरणार्थ- राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान, ईएमएफ से जुड़े विभिन्न विषयों पर इश्तहारों/सूचना ब्रोशर्स का वितरण, डीओटी की वेबसाइट पर ईएमएफ से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत सूचनाओं का प्रकाशन, समाचारपत्रों में विज्ञापन, “तरंग समाचार’’ पोर्टल इत्यादि शुरू करना।


डीओटी की क्षेत्रीय इकाइयां भी जन जागरूकता अभियान चला रही हैं ताकि अधिक से अधिक लोगों को मोबाइल टावरों से होने वाले ईएमएफ उत्सर्जनों के स्वास्थ्य पर प्रभावों के बारे में वैज्ञानिक तथ्यों से अवगत कराया जा सके।