बच्चों के मन से 'पुलिस का डर' निकाल रहे हैं ये आईपीएस ऑफिसर, शुरू की ये सराहनीय पहल
ये विडंबना ही है कि पुलिस का काम लोगों के जान-माल की सुरक्षा करना करना है लेकिन आमतौर पर लोग पुलिस से ही खौफ खाते हैं। वयस्क लोगों के साथ ही बच्चों के मन में खाकी को लेकर एक डर बैठा होता है।
हालांकि तमाम जगह पुलिस प्रशासन समय-समय पर आम लोगों के बीच खुद जाकर उन्हें सहज करने की कोशिश करता रहता है और ऐसा ही काम अब एक आईपीएस अधिकारी भी कर रहे हैं, जो अपनी एक बेहद खास पहल के जरिये छात्रों के मन से ‘पुलिस का डर’ दूर कर रहे हैं।
बच्चों के मन से दूर हो खाकी का डर
छत्तीसगढ़ के पावर हब कहलाए जाने वाले कोरबा जिले के स्कूलों ने एक नया कार्यक्रम शुरू किया गया है, जिसमें पुलिस अधिकारी इन छात्रों के मन से खाकी के डर को दूर करने के लिए एक-दूसरे के साथ बातचीत को बढ़ावा दे रहे हैं।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार इस खास पहल का श्रेय 2013 बैच के आईपीएस अधिकारी भोजराम पटेल को जाता है। ये आईपीएस अधिकारी आज एक नियमित कार्यक्रम "खाकी के रंग, स्कूल के संग" को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। इस अनूठी पहल में जिले भर की पुलिस भी छात्रों को अनुशासित बनाने के साथ ही उनके चरित्र को और बेहतर बनाने का प्रयास कर रही है।
कैसे काम कर रही है ये पहल
मुख्य रूप से इस पहल के जरिये बच्चों के मन से खाकी डर को दूर भगाने का काम किया जा रहा है। इसी के साथ अब स्थानीय प्रतिनिधियों को भी स्कूलों से जोड़ा रहा है, जहां छात्रों को अनुशासित जीवन जीने के महत्व को भी समझाया जा रहा है।
पुलिस अधिकारी अब छात्रों को कानून का बुनियादी ज्ञान भी दे रहे हैं, साथ ही छात्र आत्मरक्षा के साथ ही नेतृत्व करने का भी प्रशिक्षण ले रहे हैं। छात्रों को एक ओर जहां अच्छी शिक्षा के महत्व से रूबरू कराया जा रहा है, वहीं उन्हें नशे जैसी खतरनाक लत से दूर रहने के बारे में जागरूक किया जा रहा है।
पाटी जाए समाज और पुलिस के बीच की खाई
मीडिया से बात करते हुए आईपीएस अधिकारी भोजराम पटेल ने बताया है कि ‘आज समाज और पुलिस के बीच एक अंतर बना हुआ है। पुलिसकर्मियों के अच्छे कामों के बावजूद एक नकारात्मक धारणा बनी रहती है जो दरअसल उनकी अपेक्षित भूमिका के विपरीत है। इसे सुधारने के लिए ही पुलिस विभाग ने स्कूलों से इसकी शुरुआत करना चुना है।'
मालूम हो कि इस पहल के तहत पुलिसकर्मी सप्ताह में कम से कम दो बार स्कूलों का दौरा करते हैं। स्कूलों में जाकर वे यातायात नियमों, बुनियादी कानूनों, स्वास्थ्य, साइबर अपराध, अपराध, नशीली दवाओं की लत के दुष्परिणामों के साथ ही अन्य बातों पर बेहतर समझ को बढ़ावा देने के लिए इंटरैक्टिव सेशन्स और पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन आयोजित करते हैं। इसी के साथ स्कूलों में छात्रों, खासकर लड़कियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
इसी के साथ छात्रों को आस-पास हो रहे किसी असामाजिक या अवैध काम को देखते ही स्कूली शिक्षक या सीधे पुलिस को सूचित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
Edited by Ranjana Tripathi