ये महिला उद्यमी ग्रामीण भारत के हस्तकारों के हाथ ऐसे कर रहीं मजबूत
भारत में बड़ी संख्या में ग्रामीण कलाकार और शिल्पकार रहते हैं। ये पीढ़ी दर पीढ़ी कारीगरी का काम कर रहे हैं। भारत के हस्तनिर्मित उत्पाद खास शिल्पकारी, अलग डिजाइन, कच्चे माल, विशेष रंगों वाले होते हैं और इस कारण दुनियाभर में इनका काफी संख्या में उपयोग होता है। इनके लोकप्रिय होने का एक दूसरा कारण इन हाथ से निर्मित उत्पादों का पर्यावरण के अनुकूल होना भी है।
इन क्षेत्रों में काम करने वाले कई भारतीय स्टार्टअप नैचुरल और पर्यावरण के अनुकूल सामग्री के प्रयोग से नई शिल्पकारी बनाते हैं। इन स्टार्टअप के फाउंडर्स के पास ग्रामीण समुदाय की पारंपरिक शिल्पकारी के कुछ खास और हटकर उत्पाद होते हैं। इनमें सोयाबीन के आटे और मोम से बनी खुशबूदार इको फ्रेंडली मोमबत्तियों से लेकर हाथ से बनी साड़ियां शामिल हैं।
अक्षया अग्रवाल (अकासा डिजाइन)
अक्षया का जन्म राजस्थान के जयपुर की एक ज्वैलर (सुनार) फैमिली में हुआ। वह बचपन से ही पढ़ाई में अच्छी थीं। वह एमबीए में गोल्ड मेडलिस्ट रहीं और उनका प्लेसमेंट भी हो गया। हालांकि वह हमेशा से एक उद्यमी बनना चाहती थीं और ज्वैलरी के अलावा कोई और बिजनेस करना चाहती थीं। साल 2016 में उन्होंने घर सजाने (होम डेकोर) के लिए अकासा डिजाइन स्टार्टअप शुरू किया।
अक्षया कहती हैं, 'एमबीए के दौरान मुझे आइडिया आया कि कॉर्पोरेट कल्चर कैसे काम करता है? इसलिए मैंने प्लेसमेंट के लिए मना कर दिया और एक अलग बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचा। ऐसा बिजनेस जो क्रिएटिव और रोचक होने के साथ-साथ जयपुर के बाकी ब्रैंड्स की तुलना में काफी अलग हो।' अकासा डिजाइन मुख्य रूप से प्रीमियम यानी बड़े घरों की आवश्यकताओं को पूरा करता है। यहां इको फ्रेंडली सोया और मधुमोम से सुगंधित मोमबत्तियां और प्राकृतिक तेल बनाया जाता है जो कि नैचुरल, जैविक खाद से बनते हैं। ये किसी भी तरह का काला धुंआ या कालिख भी नहीं छोड़ते।
बचपन से अक्षया ने ज्वैलरी को पास से देखा था। इस कारण लैपिस, रोज क्वार्टज, टर्कोइस जैसे प्राकृतिक रत्नों के प्रति उनका लगाव रहा। इस लगाव ने अक्षया को घरों को सजाने के लिए प्राकृतिक रत्नों के साथ हाथ से बनी हुई लकड़ी और पीतल के गुच्छे बनाने की एक रेंज बनाने के लिए प्रेरित किया। एक उद्यमी के तौर पर उनकी मुख्य चुनौती निच उद्योग (किसी खास प्रॉडक्ट को ध्यान रखने वाला उद्योग) में काम करना था। अक्षया ने बताया, 'घरेलू साजसज्जा के उत्पाद रोज काम आने वाले उत्पाद नहीं हैं। ये ऐसे ग्राहकों के लिए होते हैं जो अपने घर को सजाना चाहते हैं।'
आगे अक्षया ने बताया कि बिजनेस ने उन्हें अपने दम पर नया सीखने और जोखिम लेने का अवसर दिया। वह ग्राहकों की फीडबैक को महत्व देती हैं। फिर चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक। वह मानती हैं कि एक कंपनी की सफलता में फीडबैक एक जरूरी हिस्सा है। मार्केट में प्रतिस्पर्द्धा के बारे में उनका मानना है कि यह हर उद्योग में पाई जाती है। वह कहती हैं, 'कॉम्पिटिशन खत्म करने के लिए हमें लगातार पता करना होता है कि नया क्या है और हम इसे इंडस्ट्री में सबसे अलग कैसे कर सकते हैं।'
फिलहाल वह अपनी वेबसाइट और Etsy जैसे बड़े इंटरनेशनल प्लैटफॉर्म परअपने उत्पाद बेच रही हैं। उनका लक्ष्य ज्यादा संख्या में प्रदर्शनियां आयोजित करना और भारत के अधिक शहरों को कवर करना है। क्रिएटिव जगहों के महत्व बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि एक उद्यमी और फ्री लांसर के लिए जगह का किराया देना एक बड़ी जिम्मेदारी होती है। वह कहती हैं, 'शुरुआती दिनों में कैफे और को-वर्किंग जगहों पर काम करना अच्छा होता था क्योंकि यहां पर आप अन्य उद्यमियों से जुड़ सकते हैं।'
वह दृढ़ता से मानती हैं कि लोगों को अधिक इको-फ्रेंडली, नैचुरल और जैविक उत्पादों का इस्तेमाल करना चाहिए। ये उत्पाद पर्यावरण को बचाने, प्रदूषण कम करने और स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। बाकी महिला उद्यमियों के लिए वे सलाह देती हैं कि महिलाओं को आसानी से हार नहीं माननी चाहिए। उन्हें खुद में और अपने काम पर भरोसा करना चाहिए। वह कहती हैं, 'अपने काम से प्यार करें। यह आपको नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।'
डॉ. मेघा फनसालकर, टिसर रूरल हैंडिक्राफ्ट्स
मुंबई स्थित टिस्सर रूरल हैंडिक्राफ्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और टिस्सर कारीगर ट्रस्ट को साल 2015 में डॉ. मेघा फनसालकर ने शुरू किया। इसे एक सामाजिक उपक्रम के तौर पर शुरू किया गया जिसका उद्देश्य भारत के ग्रामीण शिल्पकारों और कारीगरों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाना था। वर्ल्ड बैंक में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के लिए एक सलाहकार के तौर पर काम करते हुए मेघा ने महसूस किया कि देश में हजारों भारतीय शिल्पकार ऐसे हैं जिनकी आजीविका हस्त निर्मित उत्पादों पर भी निर्भर है। वे ऐसे ज्ञान पर निर्भर हैं जो उन्हें अपने पूर्वजों से मिला है।
बदलते समय के साथ ये हाथ की कला और हथकरघा जैसा काम नए प्रयोगों के अभाव के कारण बेकार हो गया है। वह कहती हैं, 'वक्त की जरूरत को देखते हुए हमने शिल्पकारों को सपॉर्ट करने वाले एक खास मॉडल को अपनाया है। इस मॉडल में IT के नए तरीकों की मदद से उत्पादों में नए और यूनीक डिजाइन के साथ-साथ विवधीकरण को बढ़ावा दिया जाता है।'
वे कारीगरों के उत्पाद पोर्टफोलियो का विस्तार करती हैं। इसके लिए कारीगरों के उत्पादों का विभिन्न प्लैटफॉर्म्स पर सूचीकरण किया जाता है और उनकी मार्केटिंग की जाती है। वे किसी उत्पाद की सप्लाई के लिए ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करती हैं। इस तकनीक के जरिए वे आसानी से उत्पाद निर्माण में कारीगरों के योगदान और मिलने वाले लाभ को दर्शाते हैं।
वे कारीगरों की कहानियां, ट्रेनिंग प्रोग्राम और प्रॉडक्ट स्टोरीज को सोशल मीडिया पर पोस्ट करके लोगों में जागरूकता पैदा करते हैं। इनसे लोगों को किसी उत्पाद में लगने वाले प्रयासों के बारे में पता चलता है। वह कहती हैं, 'हमने ऐंड-टु-ऐंड क्लस्टर डिवलेपमेंट के जरिए काम करके कारीगरों को आपस में जुड़ने में मदद की है।' शुरुआत में उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती सभी असंगठित कारीगरों को एक प्लैटफॉर्म पर लाना और मार्केटिंग संसाधनों के साथ-साथ मांग को सुव्यवस्थित करना था।
वह कहती हैं, 'शुरुआत में काम बहुत लगन से करना पड़ता है। इस वक्त उत्पादों की पैकिंग, बाजार के अनुसार कीमत निर्धारण, अपने ब्रैंड का निर्माण और उत्पादों के नए डिजाइन जैसी कई बातों पर खास ध्यान देना होता है।' टिस्सर के उत्पाद बी2बी, बी2सी प्लैटफॉर्म पर ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन भी बेचे जाते हैं। कंपनी के बी2बी ग्राहकों में रीसेलर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स, इवेंट मैनेजर्स और बाकी ऑनलाइन प्लैटफॉर्म शामिल हैं। मेघा कहती हैं कि अपने प्रतिस्पर्धियों के विपरित टिस्सर अपने ग्राहकों को ऐंड-टु-ऐंड सपॉर्ट उपलब्ध करवाती है।
वह बताती हैं, 'ऑनलाइन मार्केट प्लेस में बिचौलिये होते हैं। इसके कारण कोई भी उत्पाद अपनी मूल कीमत पर नहीं बिकता। थोक विक्रेताओं और इवेंट मैनेजर्स बिचौलिये रखते हैं और इसके कारण ग्राहकीकरण (कस्टमाइजेशन) की सुविधा नहीं देते हैं। खुदरा व्यापारी भी किसी तरह के ग्राहकीकरण की सुविधा नहीं देते हैं। हालांकि उत्पाद निर्माता समूह ऐसी सुविधा देने की इच्छा रखते हैं लेकिन डिजाइन की कमी के कारण प्रतिस्पर्धी मार्केट में यह ज्यादा कारगर साबित नहीं हो पाते।
हमने ऑनलाइन और ऑफलाइन पॉर्टल के जरिए कारीगरों को इकठ्ठा करने से शुरुआत की और बाद में डिजाइन के साथ प्रॉडक्ट में कुछ बदलावों की सुविधा भी दी।' IT में डॉक्टरेट मेघा के अनुसार तकनीक किसी बिजनस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसके बारे में समय-समय पर खोज करते रहना चाहिए। उन्होंने कारीगरों के लिए एक एडवांस तकनीक प्लैटफॉर्म बनाया जिसके जरिए कारीगर अपनी उत्पाद सूची को सीधे टिस्सर की वेबसाइट पर लिस्ट कर सकते हैं। इस इनोवेशन के लिए उन्हें साल 2018 में मंथन साउथ एशिया अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। साथ ही वे डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर (DLT) आधारित सप्लाई चेन सलूशन विकसित करने के लिए व्योम सॉफ्टवेयर के साथ मिलकर काम कर रही हैं। यह सलूशन ग्राहकों को अच्छे निर्णय लेने में पारदर्शिता लाने के साथ-साथ कारीगरों और उनके कामों को बढ़ावा देगा।
पिछले तीन सालों में टिस्सर ने 10,000 से अधिक कारीगरों का एक नेटवर्क तैयार किया है। इनमें से अधिकतर महिलाएं हैं। ये 18 राज्यों में 1800 से भी अधिक स्वयं सहायता समूहों से जुड़े हुए हैं। इससे लोगों के लिए 80,000 दिनों का रोजगार सृजित हुआ है और 1000 से अधिक ग्राहकों की इच्छा अनुसार नए उत्पाद डिजाइन बने हैं। टिस्सर कारीगर ट्रस्ट के जरिए उन्होंने कारीगरों के विकास के लिए कई काम किए हैं। इनमें कारीगर समुदाय के लिए कीमत का उचित निर्धारण, उन्हें सामाजिक उद्यमिता के लिए प्रेरित करना, कारीगरों के परिवार की लड़कियों को पढ़ाई के लिए सपॉर्ट करने जैसे काम शामिल हैं।
अपने सराहनीय प्रयासों के लिए मेघा ने कई अवॉर्ड अपने नाम किए हैं। इस लिस्ट में महिला उद्यमिता के लिए इंदिरा गांधी अवॉर्ड, एसपी जैन कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट की ओर से सोशल आंट्रप्रोन्यर ऑफ द इयर अवॉर्ड के साथ कई और भी शामिल हैं। साथ ही उन्हें थॉमसन रॉयटर्स, प्रोक्टर ऐंड गैंबल और सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) द्वारा भी सलाह दी गई है।
अगले 5 सालों में टिस्सर का लक्ष्य संगठित रणनीति के जरिए अपने रेवेन्यू, ब्रैंड वैल्यू और उत्पादों को तिगुने तक बढ़ाना है। मेघा कहती हैं, 'हम अपने समर्पित समूहों (दुकानों) की संख्या को 50 से बढ़ाकर तीन सालों में 250 तक पहुंचाना चाहते हैं। हम साल 2019 में एक बड़ा स्टोर भी खोलना चाहते हैं। इसके अलावा हमारा लक्ष्य पूरे भारत में हमारे फ्रेंचाइजी स्टोर्स को 5 से बढ़ाकर 25 करना है।'
फेसबुक के SheLeadsTech समुदाय का एक हिस्सा
SheLeadsTech फेसबुक द्वारा भारत में महिला उद्यमियों को कम्युनिटी, उपकरण, संसाधन, सलाह और कई तरह से मदद प्रदान करने का एक प्रोग्राम है। इस प्रोग्राम के एक भाग के रूप में महिला उद्यमी बाकी उद्यमियों से मिलती हैं। इसके साथ ही उन्हें FbStart, आस्क मी एनीथिंग (AMA) जैसे प्रोग्राम के सेशन भी दिए जाते हैं।
अक्षया कहती हैं कि महिलाओं के लिए एक साथ आने, अपने अनुभव साझा करने और एक-दूसरे को सपॉर्ट करने का यह एक अच्छा अवसर है। वह कहती हैं, 'हम ऐसी महिलाओं से मिलते हैं जो हमारे समान ही चुनौतियों का सामना कर रही हों या फिर किसी भी उद्योग क्षेत्र में अपने लक्ष्यों को पा चुकी हैं।' मेघा ने मुंबई में एक मीटअप में भाग लिया। वह कहती हैं, 'अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाली महिला उद्यमियों से मिलना, उनकी सफलता और संघर्षों की कहानी सुनना काफी प्रेरणादायक होता है।'