चांद छूने जा रही हैं भारत की दो महिला वैज्ञानिक रितू करिधल और एम. वनीता
'मंजिलें उन्ही को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है'। ऐसा ही साबित करने जा रही हैं भारत की दो महिला वैज्ञानिक रितू करिधल और एम. वनीता, जिनके हाथो में है आगामी 15 जुलाई को अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाले इसरो के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चंद्रयान-2 की कमान।
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रितु और वानिता
आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 15 जुलाई को अलसुबह 2 बजकर 21 मिनिट पर लांच किए जाने वाले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO-इसरो) के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चंद्रयान-2 मिशन की कमान इस बार मिशन डायरेक्टर रितू करिधल और प्रोजेक्ट डायरेक्टर एम. वनीता संभालने जा रही हैं। यह पहली बार नहीं है जब इसरो में महिलाओं ने किसी बड़े अभियान में मुख्य भूमिका निभाने जा रही हों। इससे पहले मंगल मिशन में भी आठ महिलाओं की बड़ी भूमिका रही है। इसरो में क़रीब 30 प्रतिशत महिलाएं काम करती हैं।
इसरो चेयरमैन डॉ. के. सिवान के मुताबिक, ऑर्बिटर, 'विक्रम' लैंडर, 'प्रज्ञान' रोवर से लैस चंद्रयान-2 पहली बार भारत की ओर से चांद की सतह पर 'सॉफ़्ट लैंडिंग' करने जा रहा है। जीएसएलवी मार्क-तीन के ज़रिए अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले इस 3.8 टन वज़नी चंद्रयान-2 पर कुल छह सौ करोड़ रुपये से अधिक की लागत आई है। गौरतलब है कि दो वर्ष पूर्व चंद्रयान-1 मिशन तकनीकी ख़राबी के कारण एक साल में ही थम गया था। उससे सबक़ लेते हुए अब चंद्रयान-2 समुचित तैयारी के साथ लांच किया जा रहा है।
लखनऊ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट रितू करिधल की बचपन से ही विज्ञान में ख़ास दिलचस्पी रही है। वह बताती हैं कि कभी वह चांद का आकार घटने-बढ़ने को लेकर हैरान हुआ करती थीं। वह हमेशा यह जानने के लिए उत्सुक रहा करती थीं कि चांद के उस पार क्या है, गगन के इस पार क्या है, अंतरिक्ष के अंधेरे में और क्या-क्या है! पढ़ाई के दिनो में उनके सबसे पसंदीदा विषय फ़िज़िक्स और मैथ्स रहे। वह कहती हैं कि परिवार के सहयोग के बिना कोई भी अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर सकता है। उनके एक बेटा, एक बेटी है। मां बनने के बाद वह घर रहकर भी ऑफिस का काम करती रही हैं।
उन दिनों अपने पति से बच्चे संभालने में पूरी मदद मिलती रही है। जब बेटा ग्यारह साल, बेटी पांच साल की थी, तब वह और उनके पति मल्टीटास्किंग पर होते थे। ऑफ़िस में थक जाने के बावजूद घर पहुंच कर उन्हे अपने बच्चों की देखभाल, उनके साथ समय बिताना पड़ता। अक्सर ये कहा जाता है कि पुरुष मंगल ग्रह से आते हैं और महिलाएं शुक्र ग्रह से आती हैं लेकिन मंगल अभियान कि सफलता के बाद कई लोग महिला वैज्ञानिकों को 'मंगल की महिलाएं' कहने लगे हैं।
रितू करिधल अपने बारे में कहती हैं कि वह पृथ्वी पर रहने वाली एक भारतीय महिला हैं, जिसे एक बेहतर अवसर मिला है। उन्हे लगता है कि जो आत्मविश्वास उन्हें उनके माता-पिता ने दो दशक पहले दिया था, वह आज लोग अपनी बच्चियों में दिखा रहे हैं लेकिन हमें देश के गांवों, कस्बों में ये भावना स्थापित करनी होगी कि लड़कियां चाहे बड़े शहर की हों या कस्बों की, अगर मां-बाप का सहयोग हो तो वे बहुत बड़ी-बड़ी कामयाबियां हासिल कर सकती हैं। अपने छात्र जीवन में भी वह नासा और इसरो प्रोजेक्ट्स के बारे में अपने पास अख़बारों की कटिंग रखा करती थीं।
स्पेस विज्ञान से जुड़ी हर छोटी से छोटी बात को भी गहराई से समझने की कोशिश करती रहती थीं। पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद उन्होंने इसरो में नौकरी के लिए अप्लाई किया तो स्पेस साइंटिस्ट के रूप में सेलेक्ट हो गईं। विज्ञान और अंतरिक्ष के प्रति बचपन और छात्र जीवन की उसी उत्सुकता और जुनून ने उन्हें इसरो का जीवन जीने के लायक बनाया है। रितू करिधल को 'रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया' भी कहा जाता है। वह मार्स ऑर्बिटर मिशन में डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर भी रह चुकी हैं। एरोस्पेस में इंजीनियरिंग कर चुकीं करिधल को पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 'इसरो यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड' से सम्मानित कर चुके हैं। रितु लगभग दो दशकों में इसरो के कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर चुकी हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण रहा है मार्स ऑर्बिटर मिशन।
एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया की ओर से 'बेस्ट वुमन साइंटिस्ट अवॉर्ड' से सम्मानित हो चुकीं डिज़ाइन इंजीनियर एम. वनिता चंद्रयान-2 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं। वर्षों से सेटेलाइट पर काम करने का उनके पास लंबा अनुभव है। इतने बड़े स्तर पर काम करनेवाली वह पहली महिला वैज्ञानिक हैं। उनके साथ काम करने वाली महिला वैज्ञानिकों में अनुराधा टीके संचार उपग्रहों और नाविक इंस्टॉलेशन की विशेषज्ञ हैं। इसके पहले ललितांबिका इसरो के मानव मिशन गगनयान की डायरेक्टर रह चुकी हैं। प्रोजेक्ट डायरेक्टर पर किसी अभियान की पूरी ज़िम्मेदारी होती है।
एक मिशन का प्रोजेक्ट डायरेक्टर सिर्फ एक होता है, जबकि मिशन डायरेक्टर एक से ज़्यादा हो सकते हैं, मसलन, ऑर्बिट डायरेक्टर, सेटेलाइट या रॉकेट डायरेक्टर आदि। चंद्रयान-1 की विफलता से सबक लेते हुए चंद्रयान-2 में एम. वनीता को प्रोग्राम डायरेक्टर की सिनीयरिटी में प्रोजेक्ट के सभी पहलुओं पर नजर रखनी पड़ रही है। इसरो की अन्य कुशल महिला वैज्ञानिक हैं- नंदिनी हरिनाथ, एन वलारमथी, रितु करढाल, मौमिता दत्ता, मीनल संपथ, कीर्ति फौजदार, टेसी थॉमस आदि।