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15 मिनट में 87 चेहरे याद करने वाले भारतीय मूल के इस बच्चे ने जीती वर्ल्ड मेमोरी चैंपियनशिप

ध्रुव के पास किसी भी चीज को याद रखने की अद्भुद शक्ति है। वह एक घंटे में सात डेक ताश के फेंके हुए पत्तों को याद कर सकता है

15 मिनट में 87 चेहरे याद करने वाले भारतीय मूल के इस बच्चे ने जीती वर्ल्ड मेमोरी चैंपियनशिप

Sunday January 06, 2019 , 2 min Read

ध्रुव


12 साल की उम्र में आमतौर पर स्टूडेंट्स अपने बेपरवाह बचपन को जी रहे होते हैं, स्कूल में पढ़ रहे होते हैं तो घर पर होमवर्क कर रहे होते हैं, शाम में खेलना लिखा होता है और रात में चैन की नींद सोना। शायद इसीलिए बचपन को जिंदगी का सबसे खूबसूरत वक्त कहा जाता है। लेकिन इतनी कम उम्र में भारतीय मूल के ध्रुव मनोज ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है जिसे सोचकर बड़े-बड़ों के भी पसीने छूट जाएं। अपनी अद्भुद दिमागी याददाश्त का परिचय देते हुए ध्रुव ने वर्ल्ड मेमोरी चैंपियनशिप पर कब्जा कर लिया है। 

कुछ दिन पहले भारतीय मूल के एक और छात्र 8 वर्षीय अजय कुमार ने यूके की आईक्यू परीक्षा में 152 स्कोर हासिल किया था। वहीं अब ध्रुव ने उस कारनामे को आगे बढ़ाते हुए यह कीर्तिमान अपने नाम किया। 27वीं वर्ल्ड मेमोरी चैंपियनशिप का आयोजन हाल ही में हॉन्ग कॉन्ग में हुआ जहां उन्होंने 'रैंडम वर्ड्स' और 'नाम और चेहरे' कैटगरी के तहत भाग लिया और 56 प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए इस प्रतियोगिता पर अपना कब्जा कर लिया।

ध्रुव के पास किसी भी चीज को याद रखने की अद्भुद शक्ति है। वह एक घंटे में सात डेक ताश के फेंके हुए पत्तों को याद कर सकता है वहीं इसके आधे वक्त में 1,155 द्विआधारी नंबरों को याद कर लेता है। इतना ही नहीं वह इसके भी आधे वक्त यानी सिर्फ 15 मिनट में 87 चेहरों को नाम सहित याद कर लेता है। ऐसा करने के लिए ध्रुव रोमन तकनीक का सहारा लेता है। इस तकनीक के माध्यम से अव्यवस्थित और असंगठित जानकारियों को बड़ी आसानी से याद रखा जा सकता है।

ध्रुव अभी अपनी पढ़ाई के प्राथमिक स्तर पर है। उसने कहा कि वह हफ्ते में कम से कम दो घंटे के लिए चीजों को याद करने का अभ्यास करता है। बीते साल अक्टूबर के महीने में उसने अपनी तैयारी शुरू की थी। हालांकि स्कूल की पढ़ाई के साथ ये सब करना काफी मुश्किल रहा लेकिन ध्रुव ने हार नहीं मानी और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा लिया। हालांकि ध्रुव का कहना है कि उसने सर्फ मजे के लिए इस प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया था, लेकिन अब उसके नाम दो गोल्ड मेडल आ चुके हैं।


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