देसी Campa Cola विदेशी कंपनियों को ऐसे देगी टक्कर, मुकेश अंबानी ने शुरू किया Jio वाला प्राइस वॉर गेम!
मौजूदा वक्त में कोका कोला (Coca Cola) के पास सबसे ज्यादा कोला मार्केट है. वहीं दूसरी बड़ी कंपनी है पेप्सी. अब मुकेश अंबानी ने कैंपा कोला को लॉन्च कर दिया है. कैंपा कोला में मुकेश अंबानी ने रिलायंस जियो वाला दाव खेला है.
हाइलाइट्स
मौजूदा वक्त में कोका कोला के पास सबसे ज्यादा कोला मार्केट है, वहीं दूसरी बड़ी कंपनी है पेप्सी.
अब मुकेश अंबानी ने कैंपा कोला को लॉन्च कर दिया है.
कैंपा कोला में मुकेश अंबानी ने रिलायंस जियो वाला दाव खेला है.
भारत में सॉफ्ट ड्रिक्स का बाजार करीब 50 हजार करोड़ रुपये का है.
हाल ही में मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) ने कैंपा कोला (Campa Cola) को खरीद लिया है. अब सवाल ये उठने लगे हैं कि क्या ये देशी कंपनी तमाम विदेशी कंपनियों से टक्कर ले पाएगी. मौजूदा वक्त में कोका कोला (Coca Cola) के पास सबसे ज्यादा कोला मार्केट है. वहीं दूसरे नंबर पर है पेप्सी (Pepsi). इनके अलावा इस मार्केट में कोई और बड़ा खिलाड़ी नहीं है. खैर, अब कम से कम भारत के मार्केट में तो एक बड़े की एंट्री हो चुकी है. तो क्या अब कैंपा कोला फिर से मार्केट लीडर बन पाएगा?
कितना बड़ा है कोला का मार्केट?
अगर बात करें भारत में कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक मार्केट की तो ये करीब 50 हजार करोड़ रुपये का है. अभी तक बड़े खिलाड़ियों में पेप्सी और कोका कोला हैं, जो कई तरह के फ्लेवर में ड्रिंक्स निकालते हैं. इनके अलावा कुछ लोकल ब्रांड भी हैं, जो रीजनल लेवल पर बिकते हैं. ऐसा ही एक ब्रांड है सोस्यो (Sosyo) जो गुजरात का ब्रांड है. यहां आपको बता दें कि इस ब्रांड की पहुंच भी करीब 1 लाख स्टोर्स तक है और मुकेश अंबानी ने इसे भी खरीद लिया है. यानी कम से कम गुजरात में तो कोल्ड ड्रिंक्स के मामले में मुकेश अंबानी का दबदबा हो ही जाएगा, लेकिन बाकी जगहों का क्या?
पहले समझिए कोला का इतिहास
भारत में आजादी के बाद 1950 के दशक में कोला मार्केट की शुरुआत हुई. इसकी शुरुआत की विदेशी कंपनी कोका कोला ने. उसी दौर में भारत की एक कंपनी पार्ले ने भी अपने प्रोडक्ट बाजार में उतारे, जो थे थंप्सअब और लिम्का. 1974 के करीब सरकार ने फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन एक्ट (FERA) लागू किया, जिसके तहत करीब 60 फीसदी हिस्सेदारी डायल्यूट करना जरूरी था. उसके कुछ समय बाद कोका कोला ने भारत के मार्केट से विदा ले ली. 1977 के करीब कोका-कोला की बॉटलिंग और सेल्स-डिस्ट्रिब्यूशन देखने वाली कंपनी प्योर ड्रिंक्स ने कैंपा कोला लॉन्च कर दी. वहीं 1990 के दौरान पेप्सी ने भारतीय बाजार में एंट्री मारी, जिसके बाद एक बड़ा राजनीतिक विवाद भी हुआ था. वहीं 1991 में लिब्रलाइजेशन आया और उसके बाद कोका कोला ने भारत में फिर से एंट्री मार ली. करीब 15 सालों तक कैंपा कोला भारत के बाजार में छाया रहा, लेकिन कोका-कोला और पेप्सी जैसे विदेशी ब्रांड्स की एंट्री के चलते कैंपा कोला का बिजनेस गिरता ही चला गया.
अब मुकेश अंबानी कैंपा-कोला फिर बड़ा बना पाएंगे या नहीं?
सॉफ्ट ड्रिंक इंडस्ट्री में आगे बढ़ने के लिए दो चीजों की जरूरत होती है. पहला है ब्रांडिंग और दूसरा है डिस्ट्रीब्यूशन. इन दोनों ही चीजों में बहुत सारा पैसा खर्च होता है. अगर बात करें साल 2021 के आंकड़ों की तो उसमें कोका-कोला और पेप्सी ने विज्ञापन पर करीब 924 करोड़ रुपये खर्च किए थे. वहीं 2020 में उन्होंने इसके लिए लगभग 1196 करोड़ रुपये खर्च किए. यानी इन दोनों दिग्गज कंपनियों का ब्रांडिंग का बजट भारत में करीब 1000-1200 करोड़ रुपये सालाना है. वहीं अगर डिस्ट्रीब्यूशन की बात करें तो मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दोनों के पास लगभग 60 लाख स्टोर हैं.
अगर बात करें 1000-1200 करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च करने की तो मुकेश अंबानी के लिए ये कोई बड़ी बात तो नहीं लगती है. जिस तरह उन्होंने 2016 में टेलिकॉम मार्केट में एंट्री मारी और सब कुछ फ्री कर दिया. ये फ्री वाला सिलसिला भी करीब 6-7 महीनों तक चला. ऐसे में इतना तो तय है कि कोला मार्केट में अपने पैर जमाने के लिए मुकेश अंबानी इतने पैसे खर्च करने से नहीं हिचकेंगे. दूसरी तरफ जब बात आती है डिस्ट्रीब्यूशन की तो मौजूदा समय में जियो मार्ट के चलते उनकी पहुंच करीब 50 लाख रिटेल स्टोर्स तक है. वहीं जियो मार्ट के 50 लाख एक्टिव यूजर्स भी हैं. इतना ही नहीं, रिलायंस के खुद के 15 हजार रिटेल स्टोर हैं, जहां वह अपनी कोल्ड ड्रिंक्स को शेल्फ में सबसे आगे रखकर और उस पर तगड़े डिस्काउंट-ऑफर देकर सेल्स पुश की जा सकती है. यानी ये तो तय है कि मुकेश अंबानी अब कोका-कोला और पेप्सी को तगड़ी टक्कर देंगे.
मुकेश अंबानी के कैंपा कोला ने दूसरे ब्रांड्स को डराया
जैसे ही मुकेश अंबानी ने भारतीय बाजार में कैंपा कोला लॉन्च किया, उन्होंने इसकी शुरुआती कीमत सिर्फ 10 रुपये (200 मिली.) रखी है. ये देखते ही कोका-कोला ने भी कई राज्यों में अपने 15 रुपये वाले बॉटल की कीमत 5 रुपये कम कर दी है और उसे 10 रुपये कर दिया है. तेलंगाना, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में अभी कोका-कोला ने अपनी कोल्ड ड्रिंक की कीमत घटाई है. कैंपा कोला के 500 एमएल बॉटल की कीमत 20 रुपये, 600 एमएल बॉटल की कीमत 30 रुपये, 1 लीटर के बॉटल की कीमत 40 रुपये और 2 लीटर के बॉटल की कीमत 80 रुपये है.
साफ दिख रहा है कि मुकेश अंबानी ने कैंपा कोला में भी जियो वाला दांव खेला है और सबसे बड़ी कोला कंपनी को दाम घटाने पर मजबूर कर दिया है. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में पूरे देश में कोका-कोला और पेप्सी के कोल्ड ड्रिंक्स की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है. वहीं ये दोनों ही विदेशी कंपनियां हैं तो कैंपा कोला के साथ देश की अपनी कंपनी और मेड इन इंडिया वाला इमोशन भी काम करेगा. इतना ही नहीं, अगर सरकार ने विदेशी ब्रांड्स को लेकर फिर कोई पॉलिसी लॉन्च की तो कोला-कोला और पेप्सी को बड़ा नुकसान हो सकता है, जिसका सीधा फायदा कैंपा कोला को होगा.
जियो की कहानी भी याद करनी है जरूरी
जब बात कैंपा कोला से कोका-कोला और पेप्सी की टक्कर की हो रही है, तो एक बार जियो की कहानी को भी याद करना जरूरी है. जब रिलायंस जियो ने सितंबर 2016 में भारतीय टेलिकॉम मार्केट में एंट्री मारी थी, उस वक्त इस मार्केट पर एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया, यूनिनॉर, बीएसएनएल समेत कुछ छोटे ब्रांड का कब्जा था. आज के वक्त में जियो के अलावा एयरटेल और बीएसएनएल हैं. वहीं वोडाफोन और आइडिया को मर्ज होना पड़ा है. अभी एयरटेल के अलावा बाकी दोनों टेलिकॉम कंपनियां नुकसान झेल रही हैं. वहीं बाकी सारे छोटे-छोटे ब्रांड खत्म हो चुके हैं. करीब 6-7 सालों में रिलायंस जियो टेलिकॉम मार्केट का राजा बन गया है, जिसकी सबसे बड़ी वजह रही प्राइस वॉर. अब यही प्राइस वॉर कोला मार्केट में भी देखने को मिल रहा है. तो एक बात तो तय है कि कोल्ड ड्रिंक्स बहुत सस्ती होने वाली हैं और ढेर सारे ऑफर और डिस्काउंट मिलेंगे.