ये हैं देश की पहली ट्रांसजेंडर आंत्रप्रेन्योर, ट्रांस समुदाय के उत्थान के लिए कर रही हैं सतत प्रयास
ट्रांसजेंडर समुदाय को कानूनी तौर पर भले ही देश में समानता के अधिकार मिलें हों लेकिन असल समाज में आज भी इस समुदाय को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है। ट्रांसजेंडर समुदाय को वास्तविक आधार पर उनके अधिकार हासिल हो सकें इसके लिए कल्कि सुब्रमण्यम बीते कई दशकों से प्रयासरत हैं।
कल्कि ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट होने के साथ ही एक्टर, राइटर और आंत्रप्रेन्योर भी हैं। लैंगिक असमानता के खिलाफ अपनी लड़ाई को जारी रखते हुए कल्कि ने सहोदरी फाउंडेशन की भी स्थापना की है। यह संस्था ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में काम करती है। हालांकि इसी के साथ कल्कि एक सफल उद्यमी भी हैं।
तमिलनाडु के कोयंबटूर से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक गाँव की रहने वाली कल्कि इस मामले में भाग्यशाली थी कि वह एक ऐसे परिवार में पैदा हुई जिसने उसे स्वीकार किया कि वह कौन है। हालांकि दुर्भाग्य से देश में अधिकांश ट्रांसजेंडर लोगों को इस तरह का सहायक परिवार नहीं मिलता है। अब कल्कि उन सभी लोगों की मदद करना चाहती हैं और ट्रांसजेंडर समुदाय की मज़बूत आवाज बनना चाहती हैं।

ट्रांसजेंडर समुदाय को वास्तविक आधार पर उनके अधिकार हासिल हो सकें इसके लिए कल्कि सुब्रमण्यम बीते कई दशकों से प्रयासरत हैं।
ऐसे शुरू हुई उद्यम यात्रा
कल्कि के लिए उनकी उद्यम यात्रा की शुरुआत तब हुई जब एक बार एक आर्टिस्ट मित्र ने उनके पास आकर उनसे अपने क्राफ्ट के प्रोमोशन के लिए मदद मांगी। इस दौरान कल्कि ने अपने उस मित्र के प्रॉडक्ट में निवेश किया और उसे ऑनलाइन बेंचने में मदद करने लगीं। हालांकि अब वो काम कल्कि अपने उद्यम ‘कल्कि एंटरप्राइजेस’ के जरिये करती हैं।
इसी के साथ कल्कि ने अपना नया उद्यम ‘कल्कि ऑर्गैनिक’ भी शुरू किया। कल्कि का यह उद्यम अपने ग्राहकों को केमिकल रहित ईको-फ्रेंडली साबुन और पर्सनल हेल्थकेयर उत्पादों की बिक्री करता है। इसी के साथ ही कल्कि अपनी पेंटिंग्स के लिए प्रदर्शनियों का भी आयोजन करती हैं। मालूम हो कि कल्कि देश की पहली ट्रांसजेंडर आंत्रप्रेन्योर हैं।

कल्कि की योजना भारत के अन्य हिस्सों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों तक पहुंचने और उनके कलात्मक अभ्यास को समझने की है।
ट्रांसजेंडर कलाकरों को दिया प्लेटफॉर्म
सफल उद्यमी होने के साथ ही कल्कि एक कवियत्री भी हैं। उनकी कविताएं ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों को जाहिर करती हैं। लेखन में बीते 10 सालों से सक्रिय कल्कि ने तमिल और अंग्रेजी भाषाओं में में लेखन किया है।
आज कल्कि ट्रांसजेंडर समुदाय के अन्य लोगों को आगे आकर अपने समुदाय के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करती हैं। आज सहोदरी फाउंडेशन ट्रांसजेंडर समुदाय के कलाकारों को कला सामग्री प्रदान करता है और उन्हें गैलरी और ऑनलाइन स्पेस में अपनी कलाकृति प्रदर्शित करने और उनकी बिक्री करने में भी मदद करता है। कल्कि दक्षिण भारत में तमाम वर्कशॉप और कला प्रदर्शनियों का आयोजन कर चुकी हैं।
ट्रांसजेंडर कलाकारों की पहली समूह प्रदर्शनी साल 2017 में जून में कोयंबटूर के आर्ट हौज गैलरी में आयोजित की गई थी, जहां 70 कलाकारों की 75 से अधिक कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शिनी के जरिये बिक्री से होने वाली सारी आय कलाकारों को ही दी गई थी।
अब आगे बढ़ते हुए कल्कि की योजना भारत के अन्य हिस्सों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों तक पहुंचने और उनके कलात्मक अभ्यास को समझने की है। वह कला के बारे में व्यापक सीखने के लिए सहोदरी फाउंडेशन से जुड़े कलाकारों को देश के विभिन्न हिस्सों के दौरों पर भी ले जाती हैं।
Edited by Ranjana Tripathi