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कॉर्पोरेट नौकरी छोड़, ग्रामीण युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने को, इस शख़्स ने शुरू किया एनजीओ

कॉर्पोरेट नौकरी छोड़, ग्रामीण युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने को, इस शख़्स ने शुरू किया एनजीओ

Wednesday November 27, 2019 , 5 min Read

मानव सुबोध ने 10 साल इंटेल कंपनी में काम किया। कंपनी में ग्लोबल मैनेजर जैसी बड़ी जिम्मेदारी संभालने के बाद भी, उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि उनकी ज़िंदगी में किसी चीज़ की कमी है। इंटेल में मानव ने मार्केटिंग, स्टार्टअप्स, ऑन्त्रप्रन्योरशिप और कॉर्पोरेट अफ़ेयर्स समेत कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में काम किया, लेकिन उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि किसी भी क्षेत्र के अंतर्गत देश के ग्रामीण क्षेत्रों और वहां की आबादी को शामिल नहीं किया गया।


इस संबंध में उन्होंने अपने सहयोगियों से भी बातचीत की, लेकिन किसी ने उनकी बात पर ख़ास तवज़्ज़ों नहीं दिया। मानव मानते हैं कि कॉर्पोरेट जगत में इस तरह की बातों को सिर्फ़ छुट्टियों के दौरान चर्चा का विषय बनाया जाता है या फिर कंपनियां इनको कॉर्पोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी तक ही सीमित रखती हैं। 


इन सब बातों पर विचार करने के बाद, मानव ने जनवरी, 2015 में अपनी नौकरी छोड़ दी। कुछ महीनों बाद, उन्होंने 1 मिलियन फ़ॉर 1 बिलियन (1M1B) नाम से अपने गैर-सरकारी संगठन की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य था कि देश के लाखों युवाओं को इस मुहिम से जोड़ा जाए, जो फलस्वरूप देश के करोड़ों लोगों की ज़िंदगी में बदलाव ला सकें। 


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मानव सुबोध, को-फाउंडर 1 Million for 1 Billion (1M1B)

मानव की हालिया मुहिम का नाम है, बिज़नेस राजा, जिसे इस साल स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर लॉन्च किया गया था। इसे मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों में ऑन्त्रप्रन्योरशिप को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है। यह एक आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेन्स (एआई) आधारित प्लैटफ़ॉर्म है, जो भारत के ग्रामीण इलाकों में रहकर ऊंचे ख़्वाब देखने वाले व्यवसाइयों को उनके आइडियाज़ को विकसित करने, फ़ंड्स जुटाने और बिज़नेस को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने में सहयोग प्रदान कर रहा है। यूज़र्स के लिए यह एक वॉट्सऐप कॉन्टैक्ट जैसा है, जहां पर वे अपने विचार साझा कर सकते हैं। यूज़र्स, हिन्दी, तेगलू और कन्नड़, तीन भाषाओं में बातचीत कर सकते हैं।


मानव ने बिज़नेस राजा के संबंध में योरस्टोरी से बातचीत करते हुए  बताया,

"बिज़नेस राजा, ऑन्त्रप्रन्योर बनने की चाह रखने वाले युवाओं के लिए एक बड़े भाई की तरह है, जो बिज़नेस को एक सही शुरुआत देने में मदद पेश करता है। बिज़नेस राजा के प्लैटफ़ॉर्म पर यूज़र अपने आइडियाज़ साझा करता है, जिसके बाद उससे कुछ कठिन सवाल किए जाते हैं। इन सवालों की प्रतिक्रियास्वरूप मिले जवाबों के आधार पर यूज़र के व्यक्तित्व का एक प्रोफ़ाइल तैयार कर लिया जाता है।"

बिज़नेस राजा प्लैटफ़ॉर्म पर यूज़र को तीन चरण की प्रक्रिया पूरी करनी होती हैः सबसे पहले, आपको अपना बिज़नेस आइडिया साझा करना होता है। इसके बाद आपके आइडिया के आधार पर बिज़नेस राजा आपको ज़रूरी संसाधनों के बारे में बताएगा, जिस काम को आपको पूरा करना होगा। इसके बाद यूज़र को अपने स्टार्टअप के लिए एक फ़ाइनैंशल प्लान तैयार करके देना होगा। अंत में, अगर आइडिया सही काम करता है तो बिज़नेस राजा फ़ंड्स जुटाने में यूज़र की मदद करता है। इनवेस्टमेंट की तैयारी के संबंध में आकलन कर एक अंतिम स्कोर तय किया जाता है, जिसे बैंकों को और नैशनल डिवेलपमेंट फ़ाइनैंस कॉर्पोरेशन (एनडीएफ़सी) को फ़ंडिंग के आवेदन के साथ भेज दिया जाता है।


मानव बताते हैं कि इस साल अगस्त से लेकर अभी तक लगभग 5 हज़ार ऑन्त्रप्रन्योर्स, बिज़नेस राजा से संपर्क कर चुके हैं और अपने गांवों में बिज़नेस शुरू करने की इच्छा भी जता चुके हैं। मानव कहते हैं कि देश के लोगों मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को गांव में ही बिज़नेस शुरू करने की सहूलियत मिल सके और उन्हें आजीविका के लिए शहरों का रुख़ न करना पड़े। हाल ही में मावन के एनजीओ ने आंध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले के मेरुगु आदित्य (30) को फ़ंडिंग भी दिलाई है। मेरुगु, इस स्टार्टअप के पहले क्लाइंट है, जिन्हें फ़ंडिंग मुहैया कराई गई है।





एनजीओ के माध्यम से आंध्र प्रदेश के नरसापुर के आस-पास के 23 गांवों में लोगों को- समस्याएं सुलझाने, सहयोग बढ़ाने, संचार स्थापित करने जैसे 5 प्रमुख स्किल्स या कौशल के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। मानव मानते हैं कि इन स्किल्स का सुझाव, वर्ल्ड इकनॉमिक फ़ोरम, वर्ल्ड बैंक और फ़ोर्थ इंडस्ट्रियल रेवॉलूशन जैसे वैश्विक संगठनों द्वारा दिया गया है। इन प्रशिक्षुकों में से 80 प्रतिशत को आस-पास के शहरों या कस्बों में नौकरी भी मिली है। कुछ अभ्यर्थी तो रिलायंस फ़्रेश और फ़्लिपकार्ट जैसे बड़े संगठनों में भी काम कर रहे हैं। 


मानव का एनजीओ, यूएन के साथ भी संबद्ध है और साथ ही, यूएन डिपार्टमेंट ऑफ़ ग्लोबल कम्युनिकेशन और यूएन इकनॉमिक ऐंड सोशल काउंसिल से मान्यता प्राप्त भी है।

हर साल  1M1B  ऐक्टिवेट इम्पैक्ट समिट के अंतर्गत देशभर के105 स्कूलों से विद्यार्थियों का चयन किया जाता है और उनके काम को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में प्रदर्शित किया जाता है। इन अभ्यर्थियों को 35 घंटे लंबे पाठ्यक्रम को पूरा करना होता है, जिनमें लिंग आधारित समानता और जलवायु परिवर्तिन जैसे व्यापक और वैश्विक मुद्दे शामिल रहते हैं।

इतने कम समय में इतनी असाधारण उपलब्धियां हासिल करने के बाद मानव मानते हैं कि उनकी यात्रा अभी शुरू हुई है। उनका कहना है कि उन्हें अभी बहुत लंबा सफ़र तय करना है और परिवर्तन की मिसाल क़ायम करने की दिशा में वह लगातार प्रयासरत हैं।