मानसिक स्वास्थ्य सेवा को सुलभ और सस्ता बनाने के लिए ऐप डेवलप कर रहे हैं कक्षा 12 के छात्र
2017 में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 970 मिलियन लोग मानसिक विकार या अन्य किसी विकार से पीड़ित हैं और इस मामले में भारत की संख्या लगभग 15 प्रतिशत है। जिसका मतलब है कि भारत में 145 मिलियन लोग किसी न किसी विकार से ग्रसित हैं।
डिप्रेशन, ऑटिज्म, सिजोफ्रेनिया, बाइपोलरिज्म (bipolarism) और एंग्जाइटी की कई बड़ी घटनाओं के बावजूद, योग्य चिकित्सक की कमी के चलते मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक ज्यादा पहुंच संभव नहीं हो पाती है, इसके अलावा महंगा ट्रीटमेंट और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सामाजिक कुरीतियों के चलते भी इसका ट्रीटमेंट नहीं करा पाते हैं। इन सभी कारणों को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा किए गए विश्व मानसिक स्वास्थ्य (डब्ल्यूएमएच) सर्वेक्षण के हिस्से के रूप में रेखांकित किया गया था।
कक्षा 12 के दो 17 वर्षीय छात्र, आदित्य उचिल और अंकुर सामंता, वर्चुअल रियलिटी (वीआर) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से इनमें से कुछ बाधाओं को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं। दोनों अपने स्टार्टअप, वेरपएआई (VerapAI) की स्थापना करने की प्रक्रिया में हैं। उनका ये स्टार्टअप लोगों को एक ऐसा प्लेटफॉर्म प्रदान करेगा जो मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के ट्रीटमेंट के लिए लाइव थेरेपिस्ट के अलावा एक वर्चुअल थेरेपिस्ट को इंटीग्रेट करेगा।
योरस्टोरी से बात करते हुए अंकुर ने बताया,
“हम जिस प्लेटफॉर्म का निर्माण कर रहे हैं वह एक मोबाइल एप्लिकेशन है जो मानसिक विकारों यानी मेंटल डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों को सोशल इंगेजमेंट, ट्रीटमेंट और रिहैबिलिटेशन के लिए एवेन्यू प्रदान कर सकता है। हम इसे डिजाइन कर रहे हैं, ताकि जिन लोगों को थेरेपी की जरूरत है, वे कॉस्ट, अवेलेबिलिटी या सोशल स्टिग्मा के बारे में बिना किसी हिचकिचाहट के प्राप्त कर सकें। उन्हें बस वीआर हेडसेट, स्मार्टफोन और वेरामीट (VeraMeet) ऐप की आवश्यकता होगी।"
सब्सटेंस एब्यूज और अमेरिका स्थित एक सरकारी एजेंसी मेंटल हेल्थ सर्विस एडमिनिस्ट्रेशन (SAMHSA) के अनुसार, विकसित देशों में लगभग 40 से 70 प्रतिशत मानसिक स्वास्थ्य रोगियों की चिकित्सा के लिए या तो आसान पहुंच नहीं होती है या वे इसका विकल्प ही नहीं चुनते हैं। विकासशील देशों में यह प्रतिशत 90 प्रतिशत के बराबर है। आदित्य और अंकुर अपने ऐप के माध्यम से दुनिया भर में सस्ती और सुविधाजनक तरीके से चिकित्सा प्रदान करके इस प्रतिशत को कम करने के मिशन पर हैं।
आदित्य वीआर डेवलपर और रोबोटिक्स के शौकीन हैं और वे द इंटरनेशनल स्कूल बैंगलोर (टीआईएसबी) में आईबी डिप्लोमा प्रोग्राम कर रहे हैं। वहीं अंकुर एक एआई / एनएलपी (नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग) और रोबोटिक्स उत्साही हैं, जो अमेरिका के कैलिफोर्निया में इरविंगटन हाई स्कूल में अपना फाइनल एयर कंपलीट कर रहे हैं।
दोनों के जीवन में मोड़ 2018 में आया, जब वे वर्तमान मानसिक स्वास्थ्य देखभाल विकल्पों की महत्वपूर्ण अपर्याप्तता के बारे में पढ़ रहे थे, विशेष रूप से उच्च लागत के कारण पहुंच की कमी के बारे में।
इस जोड़ी ने मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकारों के इलाज में खामियों को खत्म करने के तरीकों के बारे में पढ़कर और शोध करके अपने प्रयासों को शुरू किया। नई तकनीकों के शौकीन होने के कारण, उन्होंने टेक्नोलॉजी के साथ अपनी पहल को शक्ति देने का फैसला किया। उन्होंने एक वर्चुअल थेरेपिस्ट से ट्रीटमेंट के साथ-साथ ऐप पर ट्रीटमेंट को लाइव करने के लक्ष्य के साथ कई एआई और वीआर-चालित कॉन्सेप्ट के एप्लीकेशन को शामिल करते हुए एक मॉडल पर काम करना शुरू किया।
उपचारात्मक मॉडल विकसित करने के बाद, उन्होंने एआई-बेस्ड थेरेपी की व्यवहार्यता की जांच करने के लिए एक पायलट परीक्षण डिजाइन करने का निर्णय लिया। उन्होंने ऑटिस्टिक बच्चों में कौशल विकास को लक्षित करने के लिए चुना, विशेष रूप से आई कॉन्टैक्ट बनाए रखने की उनकी क्षमता को।
आदित्य बताते हैं,
“अंकुर और मैंने एक AI-संचालित वर्चुअल थेरेपिस्ट को डिप्लॉय करने के लिए एक मॉडल बनाया, जिसे MARY कहा जाता है, जिसमें लगातार 25 ऑटिस्टिक व्यक्तियों के साथ बातचीत होती है और साथ ही, उन्हें आई कॉन्टैक्ट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। हमने छह सप्ताह की अवधि में मरीज़ की आँखों की गतिविधियों और MARY से दूर रहने की संख्या पर नजर रखी। यूजर्स के आई कॉन्टैक्ट के स्तर को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के लिए, इस डेटा के आधार पर एक अंक की गणना की गई। अंत में, एक ऑटो-जनरेटेड रिपोर्ट के माध्यम से, हमने पाया कि वे अध्ययन की शुरुआत की तुलना में आई कॉन्टैक्ट बना रहे थे।"
बीटा टेस्ट की सफलता के बाद, 17-वर्षीय बच्चों ने अपने निष्कर्षों पर एक शोध पत्र लिखा, और विभिन्न एल्गोरिदम का उपयोग करके एक डिजिटल सर्वर के निर्माण में डूब गए, जिसके माध्यम से मरीज किसी भी समय ऐप पर लॉग इन कर सकते हैं, एक वर्चुअल थेरेपिस्ट के साथ बातचीत कर सकते हैं, रिहैबिलिटेशन थेरेपी प्राप्त कर सकते हैं, और खुद को विभिन्न सामाजिक स्थितियों से परिचित करा सकते हैं, जैसे कि एक सिम्युलेटेड और इमर्सिव एनवायरनमेंट में सार्वजनिक रूप से बोल या कम्युनिकेट कर सकते हैं।
एक ऐसा ऐप जो वर्चुअल थेरेपी को सक्षम बनाता है
दोनों युवाओं का VeraMeet ऐप मरीजों को रजिस्ट्रेशन पर, वर्चुअल थेरेपिस्ट, MARY के साथ या इसके डेटाबेस पर उपलब्ध लाइव थेरेपिस्ट के साथ बातचीत करने का विकल्प देता है। दोनों श्रेणियों के चिकित्सक बातचीत में संलग्न होकर रोगी की जरूरतों और लक्षणों के अनुसार सामाजिक जुड़ाव को बढ़ा सकते हैं। जहां वर्चुअल थेरेपी अभी एआई द्वारा संचालित है, वहीं आदित्य और अंकुर अपने नेटवर्क का लाभ उठाकर लाइव थेरेपिस्ट की योजना बना रहे हैं। ऐप पर चिकित्सीय प्रक्रिया को मान्य करने और सही दिशा में स्टार्टअप चलाने के लिए, दोनों ने पेशेवर मनोवैज्ञानिक और रोगविज्ञानी से मेंटरशिप और सलाह प्राप्त कर रहे हैं।
आदित्य कहते हैं,
“एप्लिकेशन को खुद रोगियों द्वारा एक्सेस किया जा सकता है, और इसे थेरेपी सेशन का अनुकरण करने के लिए डिजाइन किया गया है। जहां हमने प्लेटफॉर्म पर लाइव ऑप्शन के साथ एक वर्चुअल थेरेपिस्ट को जोड़ा है, वहीं यह समझना महत्वपूर्ण है कि MARY केवल थेरेपी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए है नकि वास्तविक जीवन के थेरेपिस्ट को बदलने के लिए। युनिटी वीआर के अंदर एआई मॉडल के होने के कारण एक्सपीरियंस पर्सनलाइज्ड और इमर्सिव होता है। इस इंजन के साथ, हम यूजर्स के लिए एक वर्चुअल सिम्युलेटेड एक्सपीरियंस बनाने में सक्षम हैं जो भौतिक रूप से इसका अनुकरण करता है। इसके अलावा, VeraMeet में सभी पार्टीसिपेंट, दोनों चिकित्सक और रोगियों, को यह सुनिश्चित करने के लिए एक खास अवतार में दिखाया किया जाएगा कि उनकी पहचान का खुलासा नहीं किया गया है।”
आदित्य और अंकुर ने अमेरिका में अपने स्टार्टअप को पंजीकृत किया है, और जल्द ही वे भारत में ऐसा करेंगे - उनका उद्देश्य दोनों देशों में संगठनों के साथ काम करना है, कुल मिलाकर वे अन्य देशों में फैलने की कोशिश कर रहे हैं। इस जोड़ी ने अभी तक इस प्रोसेस में जो भी खर्चा आया है उसे अपने आप से ही फंड किया है, लेकिन, वे निकट भविष्य में सीड फंडिंग प्राप्त करने की योजना बना रहे हैं।
VeraMeet ऐप को गर्मियों में 2020 में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है और यह एंड्रॉइड और आईओएस दोनों पर मुफ्त में डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध होगा। उद्यमियों का कहना है कि चिकित्सा का लाभ उठाने के लिए, रोगी या उनके देखभालकर्ता को कार्डबोर्ड वीआर हेडसेट खरीदने की आवश्यकता होती है, जिसकी कीमत 800 रुपये से 1,200 ($15) तक हो सकती है। हालांकि, हेडसेट की पसंद उपचार या अनुभव की गुणवत्ता को बहुत प्रभावित नहीं करती है।
सस्ती और सुलभ मानसिक स्वास्थ्य सेवा
आदित्य और अंकुर का वेरपएआई ट्रीटमेंट प्रोसेस में टेक्नोलॉजी को शामिल करके मानसिक स्वास्थ्य स्थान में बदलाव लाने के लिए समर्पित है। 17 साल की उम्र में, वे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोगों के रिहैबिलिटेशन के लिए अपना काम करने के लिए तैयार हैं।
अंकुर कहते हैं,
“हमारा विजन दुनिया के प्रत्येक और हर कोने से लोगों की मदद करने का है। हम लोगों को महंगे बिलों का भुगतान या सामाजिक प्रतिक्रियाओं और कलंक के बारे में चिंता करने के दबाव के बिना मानसिक स्वास्थ्य के लिए चिकित्सीय समाधान उपलब्ध कराना चाहते हैं। चूंकि हमारे पास इसके जरिए लोगों के जीवन में वास्तव में बदलाव करने का मौका है, इसलिए हम इसे सही तरीके से करना चाहते हैं। VeraMeet ऐप पर सभी बातचीत और इंटरैक्शन एन्क्रिप्टेड और आइसोलेटेड हैं, और मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले डेटा को व्यक्तियों द्वारा कभी भी साफ किया जा सकता है, इसलिए रोगी यह आश्वासन दे सकते हैं कि किसी भी परिस्थिति में उनकी सुरक्षा और गोपनीयता का उल्लंघन नहीं किया जाएगा।”
संस्थापक वर्तमान में लॉन्च से पहले अपने उत्पाद का परीक्षण करने के लिए निमहंस (NIMHANS) के साथ बातचीत कर रहे हैं।