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सोशल मीडिया के इस 'ख़ास टूल' को इस्तेमाल करना सिखाता है यह स्टार्टअप

सोशल मीडिया के इस 'ख़ास टूल' को इस्तेमाल करना सिखाता है यह स्टार्टअप

Monday February 11, 2019 , 6 min Read

विंकल स्टार्टअप की टीम

इनफ़्लूएंसर मार्केटिंग के बारे में आप क्या जानते हैं? डिजिटल मार्केटिंग के सेक्टर में यह कॉन्सेप्ट तेज़ी के साथ प्रचलित हो रहा है और मार्केट में छोटी-बड़ी कई कंपनियां अपने डिजिटल प्रमोशन के लिए इसकी मदद ले रही हैं। दरअसल, इस कॉन्सेप्ट के अंतर्गत, सोशल प्लेटफ़ॉर्म्स पर प्रमोशन के लिए ब्रैंड्स और एजेंसियां ऐसे लोगों का सहारा लेती हैं, जो इन प्लेटफ़ॉर्म्स पर अच्छा प्रभाव रखते हों। उदाहरण के तौर पर फ़िल्म स्टार्स और क्रिकेटर्स के पास सोशल मीडिया पर कमाल की फ़ैन फॉलोइंग होती है और इन्हें ही इनफ़्लूएंसर्स कहा जाता है। भारत में यह कॉन्सेप्ट अभी अपने शुरुआती दौर में है, लेकिन इसकी लोकप्रियता समय के साथ लगातार बढ़ती जा रही है। आज हम आपको बेंगलुरु के एक ऐसे स्टार्टअप के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इनफ़्लूएंसर मार्केटिंग का सही इस्तेमाल करने में ब्रैंड्स और एजेंसियों की मदद करने का काम कर रहा है।


राहुल सिंह और निखिल कुमार ने मिलकर बेंगलुरु से विंकल नाम के इस स्टार्टअप की शुरुआत की थी। एनआईटी- सूरतकल में पढ़ाई के दौरान ही राहुल और निखिल ने बतौर ऑन्त्रप्रन्योर काम शुरू कर दिया था। उन्होंने बुकसनहायर और वेवर नाम से दो कंपनियों की शुरुआत की थी। बुकसनहायर स्टार्टअप किराए पर किताबें उपलब्ध कराता था और वेवर स्टार्टअप, छोटे स्तर के व्यवसायों और ग्राहकों के बीच अच्छे संबंध स्थापित करने में मदद करता था। राहुल मानते हैं कि जब आप कॉलेज के दिनों से ही बतौर ऑन्त्रप्रन्योर अपना सफ़र शुरू करते हैं तो आपको किफ़ायती ढंग से काम को अंजाम देने का सलीक़ा आ जाता है।


कुछ वजहों से राहुल और निखिल की दोनों ही कंपनियां आगे नहीं बढ़ सकीं, लेकिन इस दौरान दोनों ही को कई अहम सबक मिले। उन्हें एहसास हुआ कि वे ख़ुद ही तकनीक तैयार कर रहे थे और यही बात उनके हक़ में थी। उन्हें सिर्फ़ मार्केट में मौजूद संभावनाओं को ठीक ढंग से भुनाने की ज़रूरत थी। अपनी समझ और अनुभव पर भरोसा करते हुए दोनों ने 2017 में मात्र 5 लाख रुपए के निवेश के साथ विंकल स्टार्टअप की शुरुआत की थी। निवेश की राशि भी राहुल और निखिल की ही थी।


कंपनी के को-फ़ाउंडर राहुल सिंह कहते हैं, "अपने शुरुआती प्रोजेक्ट के दौरान सामने आने वाली समस्याओं से मिली प्रेरणा ने ही विंकल को जन्म दिया। इन्फ़्लूएंसर मार्केटिंग के बारे में हमें बिल्कुल भी समझ नहीं थी और इसका हमें काफ़ी ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ा। इस चुनौती के फलस्वरूप ही हमारे ज़हन में विंकल का आइडिया आया।"


यह प्लेटफ़ॉर्म विस्तृत तौर पर प्रोफ़ाइल तैयार करने, अपना काम लोगों के सामने रखने, फ़ीडबैक लेने और ब्रैंड्स के साथ समझौता करके पैसा कमाने जैसे कामों में इनफ़्लूएंसर्स की मदद करता है। साथ ही, विंकल इनफ़्लूएंसर मार्केटिंग के माध्यम से कैंपेन चलाने में ब्रैंड्स की मदद भी करता है।


राहुल बताते हैं कि इनफ़्लूएंसर मार्केटिंग का कॉन्सेप्ट तेज़ी के साथ भारत में लोकप्रिय हो रहा है और अब अधिकतर ब्रैंड्स और एजेंसियां अपने उत्पादों के प्रमोशन, ब्रैंड लॉन्च, सेल इवेंट्स, स्टोर ओपनिंग और ऐसे ही कई कामों के लिए इस कॉन्सेप्ट की मदद ले रहे हैं।


मीडियाकिक्स के अनुसार, 2020 तक वैश्विक तौर पर यह बाज़ार 10 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। भारत में अभी इस कॉन्सेप्ट के तेज़ी के साथ बढ़ने के आसार हैं और यह भारत के 1.5 बिलियन डिजिटल मार्केटिंग सेक्टर का अहम हिस्सा बन चुका है। 


राहुल ने जानकारी देते हुए बताया, "हमने कई बड़े ब्रैंड्स के साथ काम किया है। ये ब्रैंड्स डिजिटल मार्केटिंग के बजट का 7-10 प्रतिशत हिस्सा इनफ़्लूएंसर मार्केटिंग पर खर्च करते हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि आने वाले 3-5 सालों में यह हिस्सेदारी 25 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।"


हाल में, पब्लिक रिलेशन्स और डिजिटल मीडिया एजेंसियां सर्विस मॉडल की तर्ज पर ब्रैंड्स को इनफ़्लूएंसर मार्केटिंग का लाभ उठाने में मदद कर रही हैं। विंकल ने इस प्रक्रिया के 90 प्रतिशत हिस्से को पूरी तरह से ऑटोमैटिक कर दिया है। 


कैसे काम करता है विंकल?

जैसे इनफ़्लूएंसर विंकल पर साइन अप करता है, उसका एक विस्तृत प्रोफ़ाइल तैयार किया जाता है। इस प्रोफ़ाइल पर वे अपने सोशल अकाउंट्स, जिनके साथ वे पूर्व में काम कर चुके हैं, उन ब्रैंड्स के नाम, अपने काम की विस्तृत जानकारी और अन्य सभी ज़रूरी बातें जोड़ सकते हैं। इस प्लेटफ़ॉर्म की मदद से इनफ़्लूएंसर्स पूर्व में अपने साथ जुड़े ब्रैंड्स से उनकी सिफ़ारिश करने के लिए भी कह सकते हैं और इसके माध्यम से उनके प्रोफ़ाइल की विश्वसनीयता बढ़ती है।


प्रोफ़ाइल तैयार होने के बाद इनफ़्लूएंसर्स ऐप पर काम और उसके पीछे की क्रिएटिव प्रक्रिया इत्यादि की जानकारी साझा करते हैं। इतना ही नहीं, वे दूसरे के कामों पर अपनी प्रतिक्रिया भी दर्ज करा सकते हैं और वे विंकल पर अपने ब्लॉग्स भी शुरू कर सकते हैं। 


ब्रैंड्स और एजेंसियों के लिए विंकल एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है, जो कैंपेन के हिसाब से उपयुक्त इनफ़्लूएंसर्स का चुनाव करता है, कॉन्टेन्ट से संबंधित टेम्प्लेट्स और उसका विवरण तैयार करता है, इनफ़्लूएंसर्स से कैंपेन के बारे में चर्चा करता है, लगातार कैंपेन के परफ़ॉर्मेंस का आकलन करता है और पेमेंट आदि विषयों में भी कंपनियों की मदद करता है।


राहुल बताते हैं कि उनका पहला क्लाइंट ब्रैंड एक ब्लॉगर के सिफ़ारिश के ज़रिए उन तक पहुंचा था। उस ब्रैंड के कैंपेन के लिए विंकल ने 50 हज़ार रुपए की फ़ीस चार्ज की थी।


इसके बाद से कंपनी ने एंजल राउंड की फ़ंडिंग भी जुटा ली है, हालांकि कंपनी ने फ़ंडिंग के तौर पर मिली राशि की जानकारी से देने से इनकार कर दिया। कंपनी 15 ब्रैंड्स के साथ करार भी किया हुआ है, जिनमें वायएलजी सैलान चेन और फ़्लिपकार्ट जैसे बड़े नाम शामिल हैं।


कंपनी के को-फ़ाउंडर निखिल का कहना है, "अपने कंपनी के लिए सही टीम का चुनाव करना बेहद चुनौतीपूर्ण काम होता है। दूसरा पहलू यह भी था कि हम बहुत अधिक सैलरी भी ऑफ़र करने की स्थिति में नहीं थे, लेकिन इस दौरान ही आपको सच में काम के प्रति समर्पित लोग मिलते हैं, जिन्हें सैलरी से कुछ ख़ास फ़र्क नहीं पड़ता और वे सिर्फ़ आपके आइडिया से जुड़ना चाहते हैं। इसके अलावा, निवेशकों को इनफ़्लूएंसर मार्केटिंग की बारीकियां बताना भी काफ़ी मुश्किल काम था।" कंपनी ब्रैंड्स के कैंपेन पर खर्च होने वाली राशि पर कमीशन चार्ज करता है, जो 2-5 प्रतिशत के बीच होता है।


निखिल ने जानकारी देते हुए बताया कि कंपनी की योजना है कि आने वाले 18 महीनों में वे अपने कम्युनिटी प्रोडक्ट पर ही निवेश करें और 10 हज़ार से भी अधिक इनफ़्लूएंसर्स को विंकल के साथ जोड़ें। साथ ही, कंपनी 300 मिलियन उपभोक्ताओं को अपने साथ जोड़ना चाहती है। कंपनी का दावा है कि इस साल तक उनका रेवेन्यू 1.5 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।


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