सीएम योगी के जिले की तीन बहनों ने साबित कर दिया कि बेटियां किसी से कम नहीं
गोरखपुर के ब्रजनाथ सिंह को जब लगातार तीन बेटियां हुईं, अपनों ने भी माथे पर हाथ रख लिया कि अब क्या होगा लेकिन बड़ी बेटी नीलांचलि को मां से ऐसा गुरुमंत्र मिला कि एम्स, दिल्ली में उनके प्रोफेसर होने के बाद, मझली बहन स्वाति भी डॉक्टर बन गईं तो सबसे छोटी खुशबू यूपीपीएसी एग्जाम क्लियर कर तहसीलदार बन गई हैं।
उत्तर प्रदेश का जिला गोरखपुर वैसे तो प्रसिद्ध शायर, फ़िराक गोरखपुरी, डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, बाबा गोरखनाथ के योगिया मठ, और अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम से जाना जाता है लेकिन कई वाकये ऐसे भी सामने आ जाया करते हैं, जब इस जिले के लोगों को उस पर गर्व करना पड़ता है।
ऐसा ही वाकया है गोरखपुर की तीन सगी बहनों का, जिनमें एक डॉ. निलांचलि सिंह एम्स, दिल्ली में असिस्टेंट प्रोफेसर बनी हैं, दूसरी डॉ. स्वाति सिंह यूपीपीएसी क्लियर कर डेंटल सर्जन हो गईं और तीसरी खूशबू सिंह बन गई हैं नायब तहसीलदार। कुछ ही समय के अंतराल में एक साथ कामयाबियां हासिल कर उन्होंने साबित कर दिया है कि बेटियां सचमुच किसी से कम नहीं।
सीएम के शहर गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर से सटी सूर्य विहार कॉलोनी के डॉक्टर ब्रजनाथ सिंह की तीन होनहार बेटियों की सफलता देखकर बड़े-बड़ों की आंखें खुली की खुली रह गई हैं।
डॉक्टर ब्रजनाथ सिंह के घर जब एक-के-बाद लगातार तीन बेटियां हुईं तो आम लोगों की निगाह में एक मुश्किल भविष्य की शुरुआत लगीं, दहेजखोर जमाने में शादी कैसे होगी, परवरिश का बड़ा बोझ कैसे उठेगा, लेकिन डॉ. सिंह ने सिरे से सारी की सारी बातें अनसुनी कर दीं। तीनो बेटियों को बेटों जैसा प्यार-दुलार और परवरिश देने लगे, जो आज उनकी जिंदगी में गर्व की तरह शामिल हो चुकी हैं। तीन सगी बहनों के ऐसे कीर्तिमान कम ही देखने, सुनने को मिलते हैं।
डॉ. सिंह बताते हैं कि जब बेटियां बड़ी हुईं, तो उनकी मां मनोरमा सिंह ने सबसे बड़ी निलांचलि को समझाया कि देखो, तुम अगर सफल होगी, तो तुम्हें देखकर दोनों बहनों को भी हौसला मिलेगा। इसी बात को नीलांचलि ने गुरुमंत्र मान लिया। खूब जी लगाकर पढ़ाई-लिखाई में डूब सी गईं। साथ तीनों का संग-साथ बहनों जैसा नहीं, दोस्त की तरह होता चला गया।
निलांचलि ने दसवीं में गोरखपुर टॉप कर मां की उम्मीदों को पहला परवान दिया। फिर बारहवीं में भी 75 फीसदी अंक, उसके बाद पहले ही प्रयास में प्रयागराज के मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज का एग्जाम क्रैक कर एमबीबीएस में दाखिला। उन्हीं दिनो में कई-कई अवॉर्ड।
वर्ष 2002 में मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में बेस्ट स्टूडेंट का अवॉर्ड, फिर नौ बार गोल्ड मेडल। एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर नीलांजलि को मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में एमएस की पढ़ाई के लिए पहले ही टेस्ट में 60वीं रैंक के साथ मौका मिल गया। उसके बाद यूपीएससी क्लियर कर वह उसी मेडिकल कॉलेज में गायनोलॉजिस्ट विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर बन गईं।
शादी के बाद बेटी होने के बावजूद पढ़ाई थमी नहीं। अवकाश लेकर पति के फैलोशिप के लिए कनाडा चली गईं। और अब हाल ही में एम्स दिल्ली में असिस्टेंट प्रोफेसर बन गई हैं। उनको वर्ष 2013 में ताइवन से, 2015 में यूरोपियन सोसाइटी ऑफ मेडिकल ऑनक्लॉजी में फेलोशिप भी मिल चुकी है। उसी साल कनाडा, 2016 में यूएसए, पुर्तगाल, 2017 में यूएसए में इंटर्न किया। अब उन्हे विदेशों में गेस्ट लेक्चरार के रूप में भी बुलाया जाने लगा है।
इस तरह नीलांचलि मां के दिए गुरुमंत्र पर अपनी छोटी बहन स्वाति और खुशबू सिंह की भी प्रेरणा स्रोत बनीं। स्वाति सिंह ने लखनऊ के केजीएमसी मेडिकल कॉलेज से बीडीएस कर यूपी की राजधानी में ही सरस्वती डेंटल कॉलेज में एमडीएस के लिए एडमिशन लिया।
हाल ही में यूपीपीएससी में एग्जाम क्लियर कर डेंटल सर्जन बन चुकी हैं। सबसे छोटी खुशबू का शुरू से सपना दिल्ली के जानकी देवी मैमोरियल कॉलेज से बीए कर एडमिस्ट्रेटर बनना था। उन्होंने भी यूपीपीएसी एग्जाम पिछले साल तीसरी कोशिश में क्लियर कर लिया। अब वह नायब तहसीलदार बन चुकी हैं।
दोनो डॉक्टर बहनें समय निकालकर अपने गांव-देहात की महिलाओं का मुफ्त इलाज भी करती रहती हैं।