क्या होता है ब्लैक होल रेडियेशन, जिसकी खोज ने बनाया स्टीफन हॉकिंग को अपने समय का सबसे चर्चित वैज्ञानिक
सैद्धांतिक भौतिकविद, ब्रह्माण्ड विज्ञानी और लेखक के रूप में दुनिया को बेहतरीन शोध देने वाले स्टीफन हॉकिंग (Stephen Hawking) ने ब्लैक होल और स्पेस-टाइम सिद्धांतों पर विशेष कार्य किए हैं. 14 मार्च को अपने समय में दुनिया के सबसे चर्चित वैज्ञानिक की पुण्यतिथी है.
स्टीफन ने अपना अधिकांश शैक्षणिक कार्य ब्लैक होल (Black hole) और स्पेस-टाइम सिद्धांतों पर शोध करने में बिताया. उन्होंने इस विषय पर कई महत्वपूर्ण पत्र लिखे और सापेक्षता और ब्लैक होल के विख्यात विशेषज्ञ बन गए. हॉकिंग का सबसे प्रसिद्ध सिद्धांत यह था कि कि ब्लैक होल उत्सर्जन भी कर सकते हैं और उससे निकलने वाले खास रेडियेशन को हॉकिंग रेडियेशन (Hawking Radiation) नाम भी दिया गया है. इससे पहले यह सोचा जाता था कि ब्लैक होल छोटे नहीं हो सकते क्योंकि कुछ भी उनके विशाल गुरुत्वाकर्षण से नहीं बच सकता.
हॉकिंग के काम ने दिखाया कि ब्लैक होल का आकार सिर्फ़ बढ़ सकता है और ये कभी भी घटता नहीं है. क्योंकि ब्लैक होल के पास जाने वाली कोई भी चीज़ उससे बच नहीं सकती और उसमें समा जाती है और इससे ब्लैक होल का भार बढ़ता जाता है. मतलब, ब्लैक होल के घटना क्षितिज का क्षेत्र समय के साथ कभी कम नहीं होता.
एक ब्लैक होल का केंद्र, जहां उसका सारा द्रव्यमान रहता है, एक बिंदु होता है जिसे ‘सिंग्युलैरिटी’ कहा जाता है. ये केंद्र (घटना क्षितिज) ही वो बिंदू है जिससे कुछ भी नहीं बच सकता. घटना क्षितिज को पार करने वाली कोई भी चीज ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण के खिंचाव से कभी भी बाहर नहीं लौटती.
ब्लैक होल के बारे में कहा जाता था कि वे किसी भी तरह की रेडियेशन उत्सर्जन नहीं करते हैं, और बिना रेडियेशन के एंट्रॉपी नहीं हो सकती है. हर बार जब कोई ब्लैक होल किसी पदार्थ को निगलता है, तो उसकी एन्ट्रॉपी खो जाती है. यह बात थर्मोडायनमिक्स की मदद से समझ में आती है. थर्मोडायनमिक्स के सिद्धांतो का सहारा ले हॉकिंग ने तर्क दिया कि जिस किसी भी चीज में एंट्रोपी होती है, उसका तापमान भी होता है - और जिस चीज में तापमान होता है, वह रेडियेशन कर सकती है.
वहीं, क्वांटम मेकेनिक्स के अनुसार, पार्टिकल्स और एंटीपार्टिकल्स के जोड़े लगातार बनते हैं और पलक झपकते ही नष्ट भी हो जाते हैं. ऐसे में कोई नई ऊर्जा उतपन्न नहीं होती है. क्योंकि ये दोनों कण एक दूसरे को जल्दी ख़त्म कर देते हैं इसलिए इनकी पहचान नहीं की जा सकती है. इसीलिए इन्हें ‘वर्चुअल पार्टिकल’ या ‘आभासी कण’ कहा जाता है. हॉकिंग ने यह बताया कि जब यह घटना, घटना क्षितिज (केंद्र) के आसपास होती है, तो एक कण क्षितिज के पीछे गिर जाता है जबकि एक बच निकलता है. ऐसे में, ये मिलते नहीं हैं और नष्ट होने में असमर्थ हो जाते हैं. यही बच निकले हुए कण ब्लैक होल के किनारे से रेडियेशन के रूप में प्रवाहित होते हैं. इस तरह से हॉकिंग ने पहली बार दर्शाया कि ब्लैक होल पूरे ब्लैक नहीं होते बल्कि वे उत्सर्जन भी करते हैं. यह हॉकिंग की सबसे बड़ी सफलता मानी जाती है.