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ट्राइफेड की गांव एवं डिजिटल कनेक्ट मुहिम - संकल्प से सिद्धि लॉन्च की गई

01 अप्रैल, 2021 से आरम्भ 100 दिनों की इस मुहिम से 150 टीमें (ट्राइफेड एवं राज्य कार्यन्वयनकारी एजेंसियों/मेंटरिंग एजेंसियों/पाटनर्स से प्रत्येक क्षेत्र में 10) जुड़ेंगी जिनमें से प्रत्येक 10 गांवों का दौरा करेंगी।

ट्राइफेड की गांव एवं डिजिटल कनेक्ट मुहिम - संकल्प से सिद्धि लॉन्च की गई

Monday April 05, 2021 , 3 min Read

गांव एवं डिजिटल कनेक्ट पहल की सफलता के बाद, जिस दौरान 2021 के आरम्भ में ट्राइफेड के देश भर के क्षेत्रीय अधिकारियों ने उल्लेखनीय जनजातीय आबादी वाले चिन्हित गांव का दौरा किया तथा विभिन्न कार्यक्रमों तथा पहलों के कार्यान्वयन का पर्यवेक्षण किया, जनजातीय मामले मंत्रालय के तहत ट्राइफेड ने अब “संकल्प से सिद्धि”- गांव एवं डिजिटल कनेक्ट मुहिम लॉन्च की है।


01 अप्रैल, 2021 से आरम्भ 100 दिनों की इस मुहिम से 150 टीमें (ट्राइफेड एवं राज्य कार्यन्वयनकारी एजेंसियों/मेंटरिंग एजेंसियों/पाटनर्स से प्रत्येक क्षेत्र में 10) जुड़ेंगी जिनमें से प्रत्येक 10 गांवों का दौरा करेंगी। प्रत्येक क्षेत्र में 100 गांव तथा देश में 1500 गांवों को अगले 100 दिनों में कवर किया जाएगा। इस मुहिम का मुख्य उद्देश्य इन गांवों में वन धन विकास केन्द्रों को सक्रिय बनाना है।

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सांकेतिक चित्र (साभार: shutterstock)

ट्राइफेड ने समाज के वंचित जनजातीय वर्गों की सहायता के लिए कई पहलों को लागू किया है उनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के जरिए गौण वन ऊपज (एमएफपी) की मार्केटिंग के लिए तंत्र तथा एमएफपी के लिए मूल्य श्रंखला के विकास जो वन उपज के संग्रहकर्ताओं को एमएसपी उपलब्ध कराता है तथा मूल्यवर्धन करता है और जनजातीय समूहों और क्लस्टरों तथा वन विकास केन्द्रों के जरिए विपणन करता है, की स्कीम को देशभर में व्यापक स्वीकार्यता प्राप्त हुई है। विशेष रुप से, 2020 में महामारी के दौरान यह स्कीम जनजातीयों के लिए रामबाण साबित हुई है।


एमएफपी के लिए एमएसपी स्कीम का उद्देश्य जनजातीय संग्रहकर्ताओं के लिए उचित मूल्य, प्राथमिक प्रसंस्करण, भंडारण, परिवहन आदि सुनिश्चित करने के लिए एक संरचना की स्थापना करना है, साथ ही उपज की शीघ्र नष्ट होने वाले प्रकृति, धारण क्षमता की कमी, विपणन अवसंरचना का अभाव, बिचौलियों द्वारा शोषण एवं सरकार द्वारा समय पर कदम उठाए जाने जैसी जनजातीयों के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान करते हुए संसाधन आधार की निरंतरता सुनिश्चित करना भी है।


इन 1500 गांवों में वीडीवीके के सक्रिय हो जाने के बाद इस पहल के परिणामस्वरूप अगले 12 महीनों के दौरान 200 करोड़ रुपए की बिक्री का लक्ष्य रखा गया है। दौरा करने वाली टीमें स्थानों की भी पहचान करेंगी तथा वृहद उद्यमों के रुप में ट्राइफेड एवं स्फूर्ति इकाइयों के रूप में क्लस्टरिंग के लिए संभावित वीडीवीके का चयन करेंगी। वे जनजातीय कारीगरों तथा अन्य समूहों की भी पहचान करेंगी और उन्हें आपूर्तिकर्ता के रूप में पैनल में शामिल करेंगी जिससे कि ट्राइब्स इंडिया नेटवर्क- भौतिक विक्रय केन्द्रों तथा tribesIndia.com दोनों के जरिए उनकी बड़े बाजारों तक पहुंच सुलभ हो सकेगी।


ऐसी उम्मीद की जाती है कि संकल्प से सिद्धि देश भर में जनजातीय परितंत्र के पूर्ण परिवर्तन को प्रभावी बनाने में सहायता करेगी।