फिर बढ़ रही है पूरी दुनिया में टीबी के मरीजों की संख्या - WHO रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ताजा रिपोर्ट कह रही है कि 20 सालों तक टीबी का ग्राफ लगातार नीचे गिरने के बाद पिछले दो सालों में वह फिर से ऊपर की ओर जा रहा है.
जो लोग आज 40 साल से ऊपर हैं, उन्होंने वो वक्त भी देखा है, जब टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस एक जानलेवा और संक्रामक बीमारी मानी जाती थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन का ही आंकड़ा कहता है कि आज से 50 साल पहले टीबी के 70 फीसदी मरीज सरवाइव नहीं कर पाते थे. दुनिया के सभी देशों ने बहुत सिस्टमैटिक तरीके से टीबी के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी है, जिसके परिणामस्वरूप पिछले 20 सालों में पूरी दुनिया में टीबी के मरीजों और टीबी के कारण होने वाली मौतों की संख्या में आश्चर्यजनक रूप से कमी आई थी.
लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ताजा रिपोर्ट कह रही है कि 20 सालों तक टीबी का ग्राफ लगातार नीचे गिरने के बाद पिछले दो सालों में वह फिर से ऊपर की ओर जा रहा है. WHO की रिपोर्ट कह रही है कि कोविड-19 के बाद पूरी दुनिया में टीबी के मरीजों की संख्या फिर से बढ़नी शुरू हो गई है.
WHO का कहना है कि पैनडेमिक ने टीबी के इलाज को भी बुरी तरह प्रभावित किया है. पिछले दो सालों में दुनिया भर का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह कोविड पर ही केंद्रित रहा, जिसके कारण दूसरी गंभीर और जानलेवा बीमारियों पर उतना ध्यान नहीं दिया जा सका, जिनसे लगातार लड़ने की जरूरत थी. इसका नतीजा इस रूप में दिखाई दे रहा है कि दुनिया भर में टीबी के मरीजों की संख्या एक बार फिर बढ़ती दिखाई दे रही है.
पिछले साल टीबी से 16 लाख लोगों की मौत
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल पूरी दुनिया में 16 लाख लोगों की टीबी के कारण मौत हुई. पिछले दो सालों में टीबी से होने वाली मौतों की संख्या में कोविड के पहले के समय के मुकाबले 14 फीसदी की बढ़त देखी गई है. 2019 में 14 लाख लोगों की मौत टीबी के कारण हुई थी. 2020 में अनुमानत: 15 लाख लोग इस संक्रामक बीमारी के कारण जीवन से हाथ धो बैठे.
भारत में टीबी से सबसे ज्यादा मौतें
दुनिया के दो तिहाई से ज्यादा टीबी के केसेज आठ देशों में मिले हैं. ये देश हैं- भारत, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, पाकिस्तान, नाइजीरिया, बांग्लादेश और डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो.
दुनिया के जिन चार देशों में टीबी के कारण सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं, उन देशों की फेहरिस्त में भारत पहले नंबर पर है. भारत के बाद नंबर है इंडोनेशिया, म्यांमार और फिलीपींस का. WHO ने अपनी रिपोर्ट में आशंका व्यक्त की है कि टीबी एक बार फिर दुनिया की पहली जानलेवा बीमारी बन सकती है. पिछले दो सालें में सबसे ज्यादा मौतें कोविड-19 के कारण हुई थीं. कोविड के बाद अब टीबी सबसे जानलेवा बीमारी बनती जा रही है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक टीबी प्रोग्राम की निदेशक टेरेजा कसाएवा का कहना है कि इस वक्त टीबी से हमारी लड़ाई कई चुनौतियों से घिरी है. हम इतिहास के एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं, जहां लंबी सफलता के बाद हम वापस पीछे की तरफ जा रहे हैं.
2021 में एक करोड़ लोग टीबी के शिकार
WHO की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में तकरीबन एक करोड़ लोग टीबी का शिकार हुए. 2020 के मुकाबले यह संख्या 4.5 फीसदी ज्यादा है. यह बीमारी सबसे ज्यादा दक्षिण पूर्व एशिया में देखी गई. दुनिया के कुल टीबी के मरीजों में से 45 फीसदी दक्षिण पूर्व एशिया से हैं. इस सूची में अफ्रीका का नंबर दूसरा है, जहां 23 फीसदी लोग टीबी का शिकार हुए और उसके बाद पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र, जहां 18 फीसदी लोगों को यह बीमारी हुई.
टीबी के बढ़ने की मुख्य वजह है कोविड महामारी
WHO ने अपनी रिपोर्ट में टीबी के उभार के लिए कोविड-19 को जिम्मेदार माना है. रिपोर्ट के मुताबिक कोविड से पहले टीबी की बीमारी पर जितना ध्यान दिया जा रहा था, कोविड के कारण वह बाधित हो गया.
दूसरी वजह ये है कि कोरोना वायरस का हमला भी फेफड़ों पर होता है और टीबी भी फेफड़ों से संबंधित बीमारी है. कोविड महामारी ने लोगों के फेफड़ों और इम्युनिटी को कमजोर करके उन्हें टीबी के प्रति ज्यादा वलनरेबल बना दिया है.
कोविड महामारी से पहले टीबी हर साल 2 फीसदी की दर से कम हो रहा था और पिछले दो सालों में अचानक टीबी के फैलाव में 3.6 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है.
युद्ध और खाद्य संकट से बढ़ेगा टीबी का खतरा
WHO ने अपनी रिपोर्ट में यह आशंका जताई है कि पूरी दुनिया इस वक्त युद्ध और खाद्य संकट की जिस परेशानी से जूझ रही है, उसे देखते हुए आने वाले समय में टीबी को लेकर पूरी दुनिया में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है. रिपोर्ट कहती है कि टीबी के इलाज को एक बार फिर प्राथमिकता पर रखना जरूरी है और सभी देशों को इस बीमारी को गंभीरता से लेते हुए पहले की तरह टीबी से जुड़ी सेवाएं जन-जन तक पहुंचाने की पहल शुरू करनी चाहिए.
Edited by Manisha Pandey