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एग्रीकल्चर की पढ़ाई करने वाले ये दो दोस्त फसल उत्पादन के साथ-साथ दे रहे हैं एग्रो टूरिज़्म को भी बढ़ावा

सीमा और इन्द्रराज ने अपने काम के दायरे को बढ़ाने के लिए खेती की जमीन केवल फसल उगाने तक में ही सीमित नहीं रखी। बल्कि, फसल उत्पादन के साथ-साथ एग्रो टूरिज़्म को बढ़ावा देने के लिए कई बेहतरीन सस्टेनेबल मॉडल भी तैयार किए।

एग्रीकल्चर की पढ़ाई करने वाले ये दो दोस्त फसल उत्पादन के साथ-साथ दे रहे हैं एग्रो टूरिज़्म को भी बढ़ावा

Tuesday April 26, 2022 , 3 min Read

‘दोस्ती एक मिसाल है जहां सरहद नहीं होती, ये वो शहर है जहां इमारतें नहीं होती, यहाँ तो सब रास्ते एक-दूसरे के निकलते हैं, ये वो अदालत है जहां कोई शिकायत नहीं होती।’ इनदिनों दोस्ती की एक ऐसी ही मिसाल कायम कर रहे हैं राजस्थान के ये दो कॉलेज फ्रेंडस। जिन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद किसी की नौकरी करना मुनासिब ना समझकर खुद का करवां बढ़ाने का प्लान तैयार किया और आज अपनी कड़ी मेहनत और काबिलियत की दमपर लाखों रुपए कमा रहे हैं।

किराये की जमीन से की थी शुरुआत

साल 2017, जब राजस्थान के रहने वाले इंद्राराज जाठ और सीमा सैनी की पढ़ाई पूरी हुई। जैसा कि अक्सर सभी मां-बाप चाहते हैं कि पढ़ाई के उनका बेटा या बेटी कहीं नौकरी करने लगे। वैसे ही इन दोनों के परिवार के लोग भी कुछ ऐसा ही चाहते थे। लेकिन उनके सपने तो कुछ और ही थे जिसकी बुनियाँद उन्होंने अपनी पढ़ाई के समय ही रख दी थी। कॉलेज खत्म होते ही उन्होंने करीब डेढ़ हेक्टेयर जमीन किराए पर ली और उनमें इंटीग्रेटेड एग्रीकल्चर प्रॉसेस से खेती करने की शुरुआत कर दी। चूंकि, इन्द्रराज ने एग्रीकल्चर में बीएससी और सीमा में एमएससी की डिग्री हासिल की है जिस कारण खेती की बारीकियों को समझने में उन्हें समय नहीं लगा।

agro tourism

खेती के साथ शुरू किया एग्रो टूरिज़्म

सीमा और इन्द्रराज ने अपने काम के दायरे को बढ़ाने के लिए खेती की जमीन केवल फसल उगाने तक में ही सीमित नहीं रखी। बल्कि, फसल उत्पादन के साथ-साथ एग्रो टूरिज़्म को बढ़ावा देने के लिए कई बेहतरीन सस्टेनेबल मॉडल भी तैयार किए। इसमे प्रक्रिया में उन्होंने खेत में ही मिट्टी के घर बनाकर रहने लगे जो स्थानीय लोगों को काफी पसंद आने लगा। लोगों ने उनके गोबर, भूसी से बनाई गई कुटियानुमा घर की काफी तारीफ की और उसमें रहने की इच्छा भी जताई।

एक इंटरव्यू में सीमा ने बताया कि, “मेरा शुरू से ही यही मानना था कि अगर हम सिर्फ खेती पर निर्भर होंगे तो नुकसान की संभावनाएं अधिक होंगी। जब तक किसान खेती से जुड़े दूसरे बिजनेस से नहीं जुड़ते तब तक आगे बढ़ना मुश्किल है और हम यही करने की कोशिश कर रहे हैं।”

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किसानी के साथ करने लगे पशुपालन और मुर्गीपालन

इंद्रराज और सीमा ने अपने पूर्व में किए गए प्लान के मुताबिक काम को आगे बढ़ाया। उन्हें इस बात का पूरा अनुमान था कि फसलोत्पादन पहले दिन से ही मुनाफा कमा कर देने में सक्षम नहीं होगा। इस कारण उन्होंने कृषि के साथ पशुपालन, मुर्गीपालन, बकरी, गाय, ऊंट पालन जैसी प्रविधियों में भी हाथ आजमाने शुरू कर दिए। दोनों किसान परिवार से थे इसलिए मेहनत उन्हें हरा न सकी और आज एक आकर्षक वेतन वाली नौकरी से भी बड़ा प्रॉफ़िट कमाते हैं।

 शहरों से आते हैं लोग उठाते हैं गाँव का आनंद

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बीते दो वर्षों से उनके एग्रो टूरिज़्म बिजनेस को काफी रफ्तार मिली है। अब उनके घासफूस और मिट्टी से बने घरों का लुफ्त उठाने के लिए शहरों से भी लोग आने लगे हैं। ये लोग यहाँ पर कई-कई दिन रुकते भी हैं। एक अनुमानित आंकड़ों के अनुसार एक महीने में तकरीबन 40 से 50 लोगों का परिवार उनके इस पारंपरिक गाँव का में छुट्टियां बिताने आते रहते हैं। इससे काम से काफी मुनाफा और आसपास के दर्जनों लोगों को काम भी मिल रहा है। 


Edited by Ranjana Tripathi