कोविड के दो साल बाद भूटान के बॉर्डर खुले पर्यटन के लिए, इंडियंस के लिए नहीं बढ़ेगा खर्चा
कोविड के बाद जारी हुई भूटान की नई पर्यटन नीति अर्थव्यवस्था और पर्यावरण दोनों के लिए कारगर हो सकती है. अच्छी खबर यह कि भारतीयों को नहीं देना पड़ेगा बढ़ा हुआ शुल्क.
हिमालय में ट्रेवलिंग के शौकीन लोगों के लिए भूटान से एक अच्छी खबर आई है. चीन और भारत के बीच बसे इस हिमालयन किंगडम ने कोविड के दो सालों की सीमाबंदी के बाद टाइम पहली बार टूरिज्म के लिए अपनी सीमाएं खोलने की घोषणा की है. पर्यटक 23 सितम्बर 2022 से भूटान जा सकेंगे.
यह घोषणा देश की इकॉनमी को मजबूत करने के साथ-साथ पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए भी की गयी है. भूटान हमेशा से पर्यावरण को लेकर बहुत सतर्क रहा है. भूटान दुनिया का एकमात्र कार्बन सिंक [carbon sink] देश है यानि यह जितना कार्बन डाई-आक्साइड पैदा करता हैं, उससे अधिक अवशोषित करता हैं. यह एकमात्र ऐसा देश है जिसका सबसे बड़ा निर्यात नवीकरणीय ऊर्जा [renewable energy] में है. 72% प्राकृतिक जंगलों से घिरे भूटान में प्लास्टिक प्लास्टिक की थैलियां 1999 से ही प्रतिबंधित हैं और तंबाकू पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं.
भूटान जिन चार स्तंभों पर अपने विकास को मापता है उसमें एक स्तम्भ पर्यावरण संरक्षण भी है. जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे के बीच भूटान की नई टूरिज्म पॉलिसी में बुनियादी ढांचों, सेवाओं, पर्यटकों के अनुभवों और पर्यावरण पर ज्यादा फोकस किया गया है. भूटान ने अपने टूरिज्म सेक्टर को कार्बन-नेगेटिव बनाने के लिए कुछ बदलाव किये हैं.
अपने प्रयासों पर काम करने के लिए भूटान सरकार ने टूरिस्ट फीस भी बढ़ाने का फैसला किया है. सतत विकास शुल्क को एक रात के स्टे के लिए प्रति व्यक्ति 65 डॉलर (लगभग 5128 रूपये) से बढ़ाकर 200 डॉलर (15788 रूपये) कर दिए गए हैं. इन सबके बीच भारतीय पर्यटकों के लिए राहत की खबर है. फिलहाल उनके लिए कोई फीस नहीं बढ़ाई गई है और वो पहले की तरह निर्धारित शुल्क देंगे, हालांकि बाद में इस फीस में कुछ संशोधन किया जा सकता है.
साथ ही साथ, न्यूनतम दैनिक पैकेज दर (MDPR) को भी हटा दिया जाएगा. ये एक तरह की पैकेज रेट है जो भूटान आने वाले पर्यटकों को न्यूनतम राशि के तौर पर देना होता है. नई पॉलिसी के अनुसार टूरिस्ट अब सर्विस प्रोवाइडर्स से सीधा संपर्क कर सकेंगे और ली गई सेवा के मुताबिक ही भुगतान करेंगे. होटल्स, गाईड्स, टूर ऑपरेटर्स और ड्राइवर्स समेत कई सर्विस प्रोवाइडर्स के मानकों में बदलाव किए गए हैं.
पर्यावरण और संतुलित विकास को पर्यटन के क्षेत्र में लाने के भूटान के यह प्रयोग इस क्षेत्र में भविष्य के लिए एक रास्ता बना सकते हैं. भूटान इस दिशा में कितना सफल होगा यह आने वाले दिनों में सबके लिए जिज्ञासा का विषय होगा लेकिन हम भारतीय मानसून के बाद अपने प्रिय पड़ौसी देश जाने का प्लान बनाना शुरू कर सकते हैं.