स्वदेशी सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म Khul Ke की अनसुनी कहानी...
अब जहां एक ओर Meta, X जैसे विदेशी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का दबदबा है, वहीं दूसरी ओर स्वदेशी प्लेटफॉर्म इन्हें कड़ी टक्कर देने के लिए मार्केट में आए हैं. हाल ही में लॉन्च हुआ Khul Ke ऐप ऐसा ही एक स्वदेशी सोशल मीडिया नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म है. आइए जानते हैं इसकी कहानी...
लगातार हो रहे इनोवेशन के चलते सोशल मीडिया का खुमार दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहा है. दुनिया की कुल आबादी का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा सोशल मीडिया पर एक्टिव है. इसका खुलासा डिजिटल सलाहकार फर्म Kepios ने इसी साल जुलाई में प्रकाशित अपनी एक रिपोर्ट में किया है.
Kepios की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लोग सोशल मीडिया पर लोग पहले के मुकाबले ज्यादा समय बिता रहे हैं. यह हर रोज दो मिनट बढ़कर दो घंटे 26 मिनट हो गया है. ब्राज़ीलियाई लोग हर रोज औसतन तीन घंटे और 49 मिनट सोशल मीडिया पर बिताते हैं जबकि जापानी एक घंटे से भी कम समय बिताते हैं.
वहीं, IANS की एक खबर के मुताबिक, सोशल नेटवर्क यूजर्स की संख्या इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 5.19 अरब या दुनिया की आबादी का 64.5 प्रतिशत के करीब पहुंच रही है. इसमें एक आंकड़ा यह भी सामने आया है कि पूर्वी और मध्य अफ़्रीका में 11 में सिर्फ एक यूजर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता है, जबकि भारत में तीन में से एक व्यक्ति सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता है.
अब जहां एक ओर Meta (पूर्व में Facebook), X (पूर्व में Twitter) जैसे विदेशी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का दबदबा है, वहीं दूसरी ओर स्वदेशी प्लेटफॉर्म इन्हें कड़ी टक्कर देने के लिए मार्केट में आए हैं. हाल ही में लॉन्च हुआ (खुल के) ऐप ऐसा ही एक स्वदेशी सोशल मीडिया नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म है.
शुरुआत
लोकतंत्र मीडियाटेक (Loktantra Mediatech) द्वारा Khul Ke की स्थापना अप्रैल 2021 में की गई थी. इसके फाउंडर और सीईओ पीयूष कुलश्रेष्ठ (Piyush Kulshreshtha) इससे पहले रियल एस्टेट डिवेलपमेंट, स्टॉक ब्रोकिंग व रेडियो के क्षेत्र में कार्यरत रहे. 2009-10 से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का खूब अनुभव लिया और 2015 तक वो मन बना चुके थे कि सोशल मीडिया की असली क्षमता बहुत ज्यादा है लेकिन उस क्षमता को उपयोग में लाने के लिए बिल्कुल नए तरीके से सोशल नेटवर्किंग का काम करना होगा. 2016-17 में उन्होंने पहली बार इस दिशा में पहल की. अनुभव बहुत अच्छा रहा लेकिन ये पहल समय से बहुत पहले की गई थी. फिर 2021 में फिर एक नई पहल के साथ “Khul Ke” प्लेटफॉर्म पर काम शुरू किया.
क्या करता है Khul Ke
YourStory से बात करते हुए, Khul Ke के फाउंडर और सीईओ पीयूष कुलश्रेष्ठ बताते हैं, "सोशल मीडिया को आज बीस साल हो चुके हैं और विश्व की आधी जनसंख्या को इन प्लेटफॉर्म्स पर बताया जाता है. आज इतनी लम्बी और गहरी यात्रा होने पर भी दो मुख्य समस्याएँ इस इंडस्ट्री के सामने हैं. पहली, 1:99, एक व्यक्ति फिल्म बना सकता है, 99 देख सकते हैं. पर मोबाइल पर कैमरा होने से सभी के हाथ में कैमरा है और हर कोई कैमरे के सामने खड़ा है. उनके पास ना तो कोई प्रशिक्षण है जैसे मीडियाकर्मियों के पास होता है, न कोई ऊँचा लक्ष्य. तो जिसको जैसा समझ आता है, वो वैसा कॉन्टेंट बना कर डाल रहा है. आपत्तिजनक और बेमतलब का कॉन्टेंट इतना बढ़ गया है कि इस समस्या का समाधान आवश्यक है."
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए पीयूष बताते हैं, "ऐसे ही विश्व की आधी जनसंख्या सोशल मीडिया पर है. लोग अरब स्प्रिंग, ब्लैक लाइव्स मैटर, हाल ही में हुए फ्रांस में गृहयुद्ध और भारत में नूंह में हुए दंगों के लिए सोशल मीडिया को ज़िम्मेदार ठहराते हैं. लेकिन उसी स्तर पर कोई सकारात्मक काम का फायदा समाज को होता नहीं दिखता. मतलब की बातें और भारतीय ईकोसिस्टम को बल देने का जो लक्ष्य “Khul Ke” ने रखा है, वह इन्हीं समस्याओं के समाधान से एक ताज़ी सोच लेकर आया है."
बिजनेस मॉडल
Khul Ke के बिजनेस मॉडल के बारे में विस्तार से बात करते हुए, पीयूष कहते हैं, "वैसे तो अभी केवल लॉन्च का काम हुआ है और अभी बहुत बड़ा फासला तय करना है जिसके बाद ही रेवेन्यू की बात करने का कोई मतलब बनता है, लेकिन फिर भी हमारा अनुमान है कि हमारी 40% कमाई विज्ञापनों से और बाकि अलग-अलग मॉडल जैसे सब्स्क्रिप्शन से या लाइव कॉमर्स से आ सकती है."
वे आगे बताते हैं, "हमारा मीट-अप प्रोडक्ट विश्व के हर ऑनलाइन मीटिंग प्रोडक्ट को चुनौती देने में सक्षम है. यह पूरी तरह भारत में और भारतीयों द्वारा बनाया गया है. हमें लगता है इसमें सब्स्क्रिप्शन की बहुत बड़ी सम्भावना है. ऐसे ही paid-services का बहुत बड़ा क्षेत्र हमें यहाँ दिखता है. मान लीजिए कि अगर हम भारतीय शिक्षा का बहुत बड़ा ईकोसिस्टम “Khul Ke” पर बनाने में सफल हो जाते हैं, तो स्कूल, कॉलेज, शिक्षकों और छात्रों के महासमुद्र में आपको paid-services की अनेक सम्भावनाएँ दिखने लगेंगी."
काम कैसे करता है Khul Ke
फाउंडर और सीईओ पीयूष कुलश्रेष्ठ बताते हैं, "पहले तो आपको एक ही प्लेटफॉर्म “Khul Ke” पर अनेक टेक्नॉलजी की क्षमताएँ मिलेंगी, जैसे शॉर्ट वीडियो, लॉन्ग वीडियो (सीधे प्रसारण के साथ भी), माइक्रोब्लॉगिंग, प्राइवेट मैसेजिंग और ऑनलाइन मीटिंग. इससे यूज़र को अपने संवाद के लक्ष्य के आधार पर निर्णय लेकर सही तरीका चुनने में आसानी होगी और लक्ष्य में सफलता मिलेगी."
वे आगे बताते हैं, "उदाहरण के लिए जैसे शॉर्ट वीडियो पर लोग चाहें तो किसी नीति या घटना पर अपने विचार डाल सकते हैं या अपने आस-पास हुई किसी घटना या मुद्दे पर Citizen Journalist की तरह रिपोर्ट दे सकते हैं. हमारे पास journalists की टीम हैं जो उस खबर की सच्चाई और उस पर आगे की कार्यवाही को अंजाम देने के लिए तत्पर हैं. ऐसे ही किसी एक विषय पर गहरी चर्चा के लिए राउंडटेबल पर चार-पाँच दोस्तों के बीच वीडियो पर बातचीत लगाई जा सकती है और विषय को ठीक से समझा जा सकता है. धीरे-धीरे अनेक लोग इससे जुड़ सकते हैं."
पीयूष कहते हैं, "दोस्तों से निजी बातचीत के लिए यैप पर आएँ. वहाँ या तो text में या ऑडियो-वीडियो कॉल लगा कर आप बात कर सकते हैं. और अगर बहुत सारे लोगों के बीच दफ्तर या कोई क्लासेस या अन्य कोई प्राइवेट मीटिंग करनी है तो हमारे मीट-अप पर आइए."
हालांकि, पीयूष ने कंपनी में अपने व्यक्तिगत निवेश का खुलासा नहीं किया. उन्होंने कहा, "हम इस विषय को निजी मानते हैं. प्रोडक्ट की लोगों के लिए सार्थकता को ही प्रधान विषय समझना चाहिए और उसी पर चर्चा करनी चाहिए."
फंडिंग के बारे में बोलते हुए, वे कहते हैं, "जी हाँ. हमने पहले ही से निवेशकों के साथ मिल कर काम किया है और जल्द ही अगले राउंड की तैयारी भी है."
चुनौतियां और भविष्य की योजनाएं
इस बिजनेस को खड़ा करने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा? इसके जवाब में, पीयूष कहते हैं, "भारत ने सोशल मीडिया का उपयोग बहुत किया है पर बनाने का काम कुछ सालों से ही शुरू हुआ है. तो अनुभवी सहकर्मी ढूँढ़ना एक चुनौती है. साथ ही पिछले 15-20 सालों से लोगों को दूसरे ऐप्स के बटन दबाने की आदत है, उसे बदलने के लिए हम केवल मस्ती मज़ा नहीं, लोगों को किसी मतलब की बात के लिए “Khul Ke” पर आने का कारण दें."
पीयूष दावा करते हैं, "अभी तक 2.5 लाख लोग प्लेटफॉर्म पर आए हैं, जिसमें से 40-45 हजार लोग हर महीने एक्टिव हैं."
अंत में भविष्य की योजनाओं पर बात करते हुए, वे कहते हैं, "अगले बारह महीने में हम करीब एक करोड़ यूज़र लाने की लक्ष्य पर काम कर रहे हैं. बारह राज्यों में टीम्स बिठाने के लिए भी काम चल रहा है. हमें लगता है एक साल के बीतते-बीतते आपके 60-80 घंटे के लम्बे वीडियो और 125 घंटे के छोटे वीडियो रोज़ाना देखने मिलेंगे. 50% कॉन्टेंट यूज़र्स द्वारा डाला जाएगा."