Life Insurance: टर्म प्लान का क्लेम कब हो सकता है रिजेक्ट? हर किसी को जानना है जरूरी
अगर मौत किसी ऐसी वजह से हुई है, जो प्लान में कवर नहीं है तो क्लेम रिजेक्ट हो सकता है.
जीवन बीमा (Life Insurance) का जिक्र होने पर टर्म प्लान (Term Plan) का जिक्र भी जरूर ही होता है. टर्म प्लान में पॉलिसी टर्म के दौरान अगर पॉलिसी धारक की मृत्यु होती है तो निर्धारित सम एश्योर्ड यानी तय रकम, लाभार्थी व्यक्ति/व्यक्तियों को मिलती है. टर्म प्लान में मैच्योरिटी बेनिफिट नहीं होता. टर्म लाइफ इंश्योरेंस लेने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि इसमें हर तरह की मृत्यु कवर नहीं होती. क्लेम का पैसा तभी मिलता है, जब पॉलिसीधारक की मृत्यु टर्म प्लान के तहत कवर होने वाले कारणों के चलते हुई हो. अगर मौत किसी ऐसी वजह से हुई है, जो प्लान में कवर नहीं है तो क्लेम रिजेक्ट हो सकता है.
पहले जानें टर्म प्लान में किस तरह से मृत्यु होती है कवर
टर्म लाइफ इंश्योरेंस में प्राकृतिक मृत्यु या स्वास्थ्य कारणों से होने वाली मृत्यु कवर होती है. गंभीर बीमारी से मृत्यु के मामले में भी क्लेम का पैसा लाभार्थी को प्राप्त होता है. टर्म प्लान लेने वाले की एक्सीडेंट में मृत्यु भी पॉलिसी के तहत कवर होती है. एक्सीडेंट में तुरंत मृत्यु होने पर तो कवरेज मिलता ही है, साथ ही गंभीर रूप से घायल होने और बाद में मृत्यु होने पर भी कवरेज मिलता है. लेकिन याद रहे कि अगर पॉलिसीधारक किसी आपराधिक गतिविधि में लिप्त है तो एक्सीडेंट में मौत होने पर भी क्लेम रिजेक्ट हो कर दिया जाएगा. एक्सीडेंटल डेथ में अचानक, अनपेक्षित मृत्यु भी शामिल रहती है. अलग-अलग बीमा कंपनियों में डेथ बेनिफिट के क्लॉज अलग-अलग रहते हैं. एक्सीडेंटल डेथ के कुछ प्रकार इस तरह हैं…
फैक्ट्री में मशीनरियों की चपेट में आना, अचानक आग लगना, बाथरूम में फिसल जाना, इलेक्ट्रिक शॉक से मृत्यु, बिल्डिंग या छत से गिर जाना, नदी में डूबना आदि.
टर्म प्लान में किन कारणों से मृत्यु कवर नहीं होती
नशे की वजह से मृत्यु: जो लोग ज्यादा शराब पीते हैं, उन्हें बीमा कंपनी पॉलिसी जारी नहीं करती. अगर पॉलिसीधारक की मृत्यु ड्रग्स या शराब के ओवरडोज से हुई है तो क्लेम रिजेक्ट (Claim Reject) हो जाता है. इसके अतिरिक्त अगर पॉलिसीधारक शराब के नशे में ड्राइव कर रहा हो या उसने ड्रग्स ली हो और एक्सीडेंट में मृत्यु हो जाए तो बीमा कंपनी की ओर से टर्म प्लान की क्लेम राशि देने से इनकार किया जा सकता है.
किसी पुरानी बीमारी को छिपाने पर: अगर पॉलिसीधारक को टर्म पॉलिसी लेने से पहले से कोई बीमारी है और उसने पॉलिसी लेते वक्त बीमा कंपनी को इस बारे में पूरी जानकारी नहीं दी तो उक्त बीमारी से मौत पर बीमा कंपनी, क्लेम रिजेक्ट कर सकती है. इसलिए बीमारी से जुड़ी कोई भी डिटेल जानबूझकर छिपाने से बचें. टर्म प्लान के तहत HIV/AIDS से हुई मृत्यु भी कवर नहीं होती है.
पॉलिसीधारक हो खतरों का खिलाड़ी: अगर टर्म प्लान लेने वाले व्यक्ति को खतरों से खेलने का शौक है और किसी खतरनाक गतिविधि को करने के दौरान उसकी मौत हो जाती है तो बीमा कंपनी, क्लेम को रिजेक्ट कर देगी. जीवन को खतरे वाली कोई भी गतिविधि इस दायरे में आ सकती है जैसे कि कार या बाइक रेस, पैरा ग्लाइडिंग, स्काई डाइविंग, बंजी जंपिंग, खतरनाक स्टंट आदि.
प्राकृतिक आपदा के चलते मौत: चक्रवात, भूकंप, सुनामी, बाढ़, आग आदि को प्राकृतिक आपदा माना जाता है. अगर किसी प्राकृतिक आपदा के चलते पॉलिसीधारक की मौत होती है तो बीमा कंपनी की ओर से टर्म प्लान के मुआवजे के भुगतान से इनकार किया जा सकता है. हालांकि अगर प्राकृतिक आपदा को लेकर पॉलिसीधारक ने टर्म प्लान के अलावा अलग से कोई राइडर (Rider) लिया हो तो उसका क्लेम रिजेक्ट नहीं होगा.
पॉलिसीधारक की हत्या: अगर पॉलिसीधारक की हत्या हो जाती है और उसमें नॉमिनी का हाथ होने की भूमिका सामने आती है या उस पर हत्या का आरोप हो, तो बीमा कंपनी टर्म लाइफ इंश्योरेंस का क्लेम देने से मना कर सकती है. ऐसे मामले में क्लेम रिक्वेस्ट तब तक होल्ड पर रहेगी, जब तक नॉमिनी निर्दोष साबित नहीं हो जाता. पॉलिसीधारक के किसी आपराधिक गतिविधि में लिप्त रहने पर उसकी हत्या होने पर भी बीमा की रकम नहीं मिलेगी.
अगर आत्महत्या का मामला है...
कुछ बीमा कंपनियां आत्महत्या के मामले में कवरेज देती हैं कुछ नहीं देती हैं. IRDAI ने जीवन बीमा के तहत आत्महत्या के क्लॉज में 1 जनवरी 2014 से बदलाव किए थे. 1 जनवरी 2014 से पहले जारी हुई पॉलिसी में आत्महत्या के पुराने क्लॉज हैं, जबकि बाद की नई पॉलिसीज में नए आत्महत्या क्लॉज को शामिल किया जा रहा है. 1 जनवरी 2014 से पहले वाली पॉलिसी के मामले में पुराना क्लॉज है, जिसमें मेंशन है कि अगर टर्म प्लान लेने वाला, पॉलिसी लेने या रिवाइव होने के 1 साल के अंदर आत्महत्या करता है तो क्लेम रिजेक्ट हो जाएगा. कुछ बीमा कंपनियों की पॉलिसी के मामले में यह वेटिंग पीरियड 2 साल भी है.
1 जनवरी 2014 के बाद जारी हुई पॉलिसी के मामले में नया आत्महत्या क्लॉज है, जो कहता है कि अगर पॉलिसीधारक पॉलिसी लेने का एक साल पूरा होने के बाद आत्महत्या करता है तो पॉलिसी रद्द हो जाएगी और कोई लाभ नहीं मिलेगा. लेकिन अगर पॉलिसीधारक ने टर्म प्लान लेने के एक वर्ष के अंदर आत्महत्या की है तो लिंक्ड प्लान के मामले में नॉमिनी 100 प्रतिशत पॉलिसी फंड वैल्यू पाने का हकदार होगा. नॉन-लिंक्ड प्लान के मामले में नॉमिनी को, भुगतान किए गए प्रीमियम की 80 प्रतिशत राशि मिलेगी.