आखिरकार बिकने जा रहा है क्रेडिट सुइस बैंक, जानिए किन 2 गलतियों के चलते आ गई ऐसी नौबत!
स्विटजरलैंड के दूसरे सबसे बड़े बैंक क्रेडिट सुइस को स्विस नेशनल बैंक भी बचा नहीं पा रहा है. आखिरकार इसे स्विटजरलैंड के यूबीएस बैंक ने खरीदने का फैसला किया है. जानिए कहां हो रही है गलती कि डूबने जा रहे हैं बैंक.
हाल ही में खबर आई थी कि दुनिया के बड़े बैंकों में से एक क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है. यह भी बात सामने आ रही थी स्विस नेशनल बैंक (Swiss National Bank) की तरफ से क्रेडिट सुइस को 54 अरब डॉलर का लोन दिया गया. 2008 के वित्तीय संकट के बाद से क्रेडिट सुइस पहला प्रमुख वैश्विक बैंक है, जिसे इमरजेंसी लाइफलाइन दी गई है. हालांकि, इन सब के बावजूद क्रेडिट सुइस की मुसीबत खत्म नहीं हुई और अब वह बिकने के कगार पर आ गया है. अब खबर ये है कि स्विटजरलैंड के यूनियन बैंक यानी यूबीएस (UBS) ने इसे खरीदने का फैसला किया है. इसी बीच ब्लूमबर्ग की एक खबर आ रही है कि यूबीएस की तरफ से क्रेडिट सुइस का अधिग्रहण किए जाने की वजह से करीब 9000 लोगों की नौकरी जा सकती है.
कितने रुपये में हो रही है ये डील?
खबरों के अनुसार क्रेडिट सुइस को खरीदने के लिए यूबीएस 3 अरब स्विस फ्रैंक यानी करीब 3.23 अरब डॉलर खर्च करेगा. इस डील के तहत यूबीएस की तरफ से क्रेडिट सुइस का 5.4 अरब डॉलर का नुकसान भी खरीदने की बात कही गई है. बता दें कि क्रेडिट सुइस की गिनती यूरोप के टॉप बैंकों में होती है और यह स्विटजरलैंड का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है.
क्यों गिरते जा रहे हैं बैंक?
पिछले करीब 10 दिन में दुनिया के 3 बड़े बैंक गिर चुके हैं. इसकी शुरुआत हुई थी सिलिकॉन वैली बैंक से, जिसके बाद सिग्नेचर बैंक पर ताला लगा और अब क्रेडिट सुइस बिक रहा है. इन सब में गिरावट की वजह है बॉन्ड्स की कीमत में भारी गिरावट आना. जब बॉन्ड की वैल्यू बहुत ज्यादा गिर जाती है या फिर जब उसकी वैल्यू ना के बराबर हो जाती है तो बैंक दिवालिया हो जाते हैं. सिलिकॉन वैली बैंक के साथ भी ऐसा ही हुआ था. क्रेडिट सुइस बैंक के साथ भी ऐसा ही हो रहा है. हालांकि, क्रेडिट सुइस के मामले में अच्छी बात ये है कि इसे यूबीएस खरीद रहा है, तो मुमकिन है कि कुछ स्थिति सुधर जाए.
कहां हुई बैंकों से गलती?
पिछले कुछ दिनों में डूबे बैंकों की सबसे बड़ी गलती ये रही है कि उन्होंने बॉन्ड में काफी पैसे निवेश कर दिए और अब उनके पास पैसों की किल्लत हो गई है. कोरोना काल में ब्याज दरें 1 फीसदी से भी नीचे गिर गई थीं. कई जगह तो दरें आधे फीसदी तक जा पहुंचीं. ऐसे में बैंकों को उनके यहां जमा पैसों पर अच्छा ब्याज नहीं मिल रहा था. ऐसे में बैंकों को सरकारी बॉन्ड्स में अच्छा रिटर्न दिखा जो 1 फीसदी से ज्यादा था. इसके चलते बैंकों ने इन बॉन्ड्स में पैसे लगा दिए. अब महंगाई की मार और मंदी की आहट के चलते बैंकों की ब्याज दरें 4 फीसदी से भी अधिक हो गई हैं. कई जगह तो ये 5-6 फीसदी तक हो गई हैं. ऐसे में बॉन्ड्स को अब कोई खरीद ही नहीं रहा है, जिससे उनकी वैल्यू बाजार में गिर गई है. वहीं अब लोगों को पैसों की जरूरत पड़ रही है तो वह पैसे निकाल रहे हैं, लेकिन बैंकों के पास पैसे ही नहीं हैं, जिससे उनके डूबने की नौबत आ गई है.
ये 2 बड़ी गलतियां पड़ीं भारी
बैंकों का बिजनेस मॉडल होता है ग्राहकों से कम ब्याज पर पैसे लेकर उसे ज्यादा ब्याज पर लोन के रूप में देना. वहीं बहुत सारे बैंकों ने ग्राहकों के पैसों को बॉन्ड्स में लंबी अवधि के लिए निवेश कर करे पहली गलती की. वहीं इसकी हेजिंग भी नहीं की, ताकि रिस्क को मैनेज किया जा सके, जो दूसरी गलती थी. ऐसे में बैंकों का नुकसान बढ़ने लगा और अब डूबने की नौबत आ गई.
शेयर बाजार में कैसे होती है हेजिंग?
शेयर बाजार में हेजिंग के दो टूल्स मौजूद हैं. पहला है फ्यूचर ट्रेडिंग और दूसरा है ऑप्शन ट्रेडिंग. इनकी मदद से बाजार में उल्टी दिशा में पोजीशन ली जाती है. मान लीजिए आपने किसी शेयर में पैसे लगाए हैं और आपको डर है कि आने वाले दिनों में वह गिर सकता है. ऐसे में आप उसकी उल्टी दिशा में फ्यूचर या ऑप्शन के जरिए पोजीशन ले सकते हैं. ऐसे में आपको कोई अतिरिक्त फायदा तो नहीं होगा, लेकिन आपका कोई नुकसान भी नहीं होगा. यानी आपका मुनाफा सुरक्षित हो जाएगा, जिसे हेजिंग कहा जाता है. दरअसल, शेयर गिरने की वजह से आपको जितना नुकसान होगा, हेजिंग की वजह से आपका उतना ही फायदा होगा. ऐसे में आपको ना फायदा होगा ना ही नुकसान झेलना पड़ेगा, मतलब आपने अपने मुनाफे को हेजिंग के जरिए सुरक्षित कर लिया.