Gautam Adani क्यों ढूंढ रहे Hedge Fund, समझिए कैसे उनकी दौलत लुटने से बचा सकते हैं ये!
आइए जानते हैं कब और कैसे हुई Hedge Fund की शुरुआत. साथ ही समझते हैं क्या होते हैं ये और Gautam Adani को क्यों पड़ी इसकी जरूरत.
आजकल शेयर बाजार (Share Market) में फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग (Future and Option Trading) बहुत ही आम बात हो गई है. फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग क्या होती है ये हम पहले ही बता चुके हैं, लेकिन जब-जब बात इसकी होती है तो हेजिंग (Hedging in Share Market) का जिक्र भी होता है. जब गौतम अडानी (Gautam Adani) के खिलाफ हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenburg Report) आने से उनकी कंपनियों के शेयर हर दिन तेजी से गिरने लगे तो सुनने में आया कि वह हेज फंड (Hedge Fund) की तलाश में हैं. इस मुसीबत में उन्हें हेज फंड की याद क्यों आई? आइए आज आपको बताते हैं हेज फंड की कहानी (Story of Hedge Fund) और समझते हैं इसके काम करने का तरीका (How Hedge Funds Works).
कहां से आया हेज नाम?
हेज नाम अभी तो खूब सुनने को मिल रहा है, लेकिन इसकी शुरुआत कई साल पहले हो गई थी. बल्कि साल की जगह अगर हम दशक या फिर सदी भी कहें तो गलत नहीं होगा. आपने अक्सर वाइकिंग की कहानी तो सुनी ही होगी. हेज शब्द उस जमाने में भी इस्तेमाल होता था. वाइकिंग प्रजाति के लोग लड़ने-भिड़ने वाले हुआ करते थे. ऐसे में उनके बहुत सारे दुश्मन भी होते थे. वह जहां रहते थे, उस इलाके के चारों ओर एक किले जैसी दीवार बनाते थे, जिस पर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ढेर सारे हथियार लगा दिया करते थे. इतना ही नहीं, कई जगह तो आपने किलों के आस-पास गहरी-गहरी खाइयां खोदे जाने की बात भी सुनी होगी. इसे ही हेजिंग कहा जाता है, जिसका मतलब होता है सुरक्षा के लिए कोई कदम उठाना या दीवार बनाना.
इन्वेस्टिंग की दुनिया में कब आई हेजिंग?
कॉफी हाउस में कई मर्चेंट रहते थे, जो कॉफी बीन्स और एग्री कमोडिटीज का कारोबार करते थे. उन्होंने ही हेजिंग को इन्वेस्टिंग की दुनिया में घुसाया. वह इसका इस्तेमाल लंदन एक्सचेंज में करने लगे. कॉफी हाउस के मर्चेंट्स ने शेयर बाजार और कमोडिटीज मार्केट में विरोधाभास देखा. उन्होंने देखा कि अगर कमोडिटीज मार्केट गिरता था, तो अक्सर शेयर बाजार चढ़ता था. अगर कच्चा तेल गिरता था तो शेयर बाजार में बढ़ देखने को मिलती है. वो एक जगह खरीदने की ट्रेड करते थे और दूसरी जगह बेचने की ट्रेड किया करते थे. वह दरअसल हेजिंग कर रहे थे, जो इन दिनों खूब प्रैक्टिस किया जाता है.
शेयर बाजार में कैसे होती है हेजिंग?
शेयर बाजार में हेजिंग के दो टूल्स मौजूद हैं. पहला है फ्यूचर ट्रेडिंग और दूसरा है ऑप्शन ट्रेडिंग. इनकी मदद से बाजार में उल्टी दिशा में पोजीशन ली जाती है. मान लीजिए आपने किसी शेयर में पैसे लगाए हैं और आपको डर है कि आने वाले दिनों में वह गिर सकता है. ऐसे में आप उसकी उल्टी दिशा में फ्यूचर या ऑप्शन के जरिए पोजीशन ले सकते हैं. ऐसे में आपको कोई अतिरिक्त फायदा तो नहीं होगा, लेकिन आपका कोई नुकसान भी नहीं होगा. यानी आपका मुनाफा सुरक्षित हो जाएगा, जिसे हेजिंग कहा जाता है. दरअसल, शेयर गिरने की वजह से आपको जितना नुकसान होगा, हेजिंग की वजह से आपका उतना ही फायदा होगा. ऐसे में आपको ना फायदा होगा ना ही नुकसान झेलना पड़ेगा, मतलब आपने अपने मुनाफे को हेजिंग के जरिए सुरक्षित कर लिया.
कहां से आई हेजिंग और कब शुरू हुए हेज फंड?
1850-60 के करीब फ्रांस में हेजिंग की शुरुआत हो गई थी. वहां के Coulisse एक्सचेंज पर rente नाम का एक डेट व्हीकल आ गया जो वित्तीय जगत का उस वक्त तक पहला ऐसा इंस्ट्रूमेंट था, जो लोगों को 3 फीसदी का रिटर्न गारंटी के साथ दे रहा था. इसकी वजह से इस एक्सचेंज पर रोज करोड़ों का कारोबार होने लगा था. दरअसल यहां से शेयर बाजार में हेजिंग की शुरुआत हो चुकी थी. Louis Bachelier ने 1900 में मैथेमैटिकल कैल्कुलेशन के जरिए बताया कि कैसे आप लंबी अवधि में ऑप्शन ट्रेडिंग से ज्यादा पैसा बनाना चाहते हैं तो आपको हेजिंग करनी ही होगी. 1949 में Alfred W. Jones ने पहले हेज फंड A.W. Jones & Co. की शुरुआत की थी.
कैसे काम करते हैं हेज फंड?
सबसे पहले तो आप ये समझ लीजिए कि हेज फंड्स के पास पैसों का खजाना होता है. वह तमाम कंपनियों और कारोबारियों को नुकसान से बचाने का काम करते हैं. जब किसी कारोबारी के शेयरों में गिरावट आने लगती है तो वह अपने पैसों के खजाने का इस्तेमाल कर के उन शेयरों में हेजिंग शुरू कर देते हैं. इससे कारोबारी का जितना नुकसान होता है, उतना ही उसे हेजिंग के जरिए फायदा भी हो जाता है. वह कारोबारी खुद हेजिंग नहीं कर सकता, क्योंकि एक तो कंपनी खुद अपने शेयर नहीं खरीद सकती है, वहीं दूसरों से शेयर खरीदवाने के लिए बहुत सारे पैसों की जरूरत होती है.
हेज फंड मैनेजर्स की सैलरी होश उड़ा देगी
ब्लूमबर्ग ने हेज फंड मैनेजर्स की 2020 की सैलरी के आंकड़े जारी किए थे. उन आंकड़ों को जिसने भी देखा उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं. दरअसल, इन मैनेजर्स की सिर्फ एक साल की सैलरी इतनी ज्यादा थी, जितना तो बहुत से लोग पूरी जिंदगी में भी नहीं कमा पाते होंगे. पहले एक बार आप चार्ट देख लीजिए.
चार्ट के अनुसार 2020 में टॉप-15 हेज फंड मैनेजर्स ने कुल 23.2 अरब डॉलर यानी करीब 1.92 लाख करोड़ रुपये की सैलरी उठाई. इस लिस्ट में सबसे ऊपर थे टाइगर ग्लोबल के चेज कोलमैन, जिन्होंने 3 अरब डॉलर यानी करीब 24,878 करोड़ रुपये की सैलरी ली. लिस्ट के बाकी नाम आप खुद ही पढ़ सकते हैं और आपको पता चल जाएगा कि इनके पास पैसों का कितना बड़ा खजाना है.