Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

जब 'आधार' बना 'आधार', 6 साल से लापता दिव्यांग युवक परिवार से मिला

बिहार से 2016 से लापता युवक की पहचान, आधार के जरिये 2022 में महाराष्ट्र के नागपुर में हुई है. इस मामले ने एक बार फिर ‘आधार’ की ताकत साबित कर दी है.

जब 'आधार' बना 'आधार', 6 साल से लापता दिव्यांग युवक परिवार से मिला

Friday September 02, 2022 , 3 min Read

एक परिवार के खोए हुए सदस्य को परिवार से वापस मिलाने में आधार (young man identified through Aadhaar) ने एक बार फिर अहम भूमिका निभाई है. इस बार, एक 21 वर्षीय दिव्यांग (specially-abled) युवक, छह साल तक लापता रहने के बाद अपने परिवार से वापस मिला है.

बिहार (Bihar) के खगड़िया जिले से नवंबर 2016 से लापता दिव्यांग युवक (बोलने और सुनने की अक्षमता) के बारे में अगस्त 2022 में नागपुर, महाराष्ट्र (Maharashtra) में आधार के माध्यम से पता चला. इस बात के उदाहरण निरंतर प्राप्त हो रहे हैं कि न केवल कल्याण योजनाओं के लिए एक डिजिटल व्यवस्था की सुविधा देकर, बल्कि परिवारों के लापता सदस्यों को वापस परिवार से मिलाकर; आधार जीवन को किस प्रकार आसान बना रहा है.

15 वर्ष की आयु का एक लापता बच्चा 28 नवंबर, 2016 को नागपुर रेलवे स्टेशन (Nagpur Railway Station) पर पाया गया था. चूंकि बच्चा विशेष रूप से दिव्यांग था तथा उसे बोलने और सुनने की अक्षमता (बहरा और गूंगा) थी, इसलिए रेलवे अधिकारियों ने उचित प्रक्रिया के बाद उसे नागपुर में वरिष्ठ लड़कों के सरकारी अनाथालय को सौंप दिया. उन्हें प्रेम रमेश इंगले नाम दिया गया था.

अनाथालय के अधीक्षक और परामर्शदाता विनोद डाबेराव ने जुलाई 2022 में 'प्रेम रमेश इंगले' के आधार पंजीकरण के लिए नागपुर में आधार सेवा केंद्र (Aadhaar Seva Kendra - ASK) का दौरा किया. लेकिन इस नामांकन के लिए आधार नहीं बनाया जा सका, क्योंकि बॉयोमीट्रिक्स एक और आधार नंबर से मेल खा रहे थे.

इसके बाद एएसके, नागपुर ने UIDAI के क्षेत्रीय कार्यालय, मुंबई से संपर्क किया. सत्यापन करने पर यह बात सामने आयी कि संबंधित युवक के पास 2016 से बिहार के खगड़िया जिले के एक इलाके का आधार है और इसमें युवक का नाम सोचन कुमार है.

आगे की जांच और सत्यापन के बाद, और उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए, अधिकारियों ने अनाथालय के अधीक्षक को युवक की पहचान के बारे में जानकारी दी. खगड़िया (बिहार) में स्थानीय पुलिस के सहयोग से परिवार को सूचना दी गई.

इसके बाद अगस्त के तीसरे सप्ताह में संबंधित पुलिस अधिकारियों और उनके गांव के 'सरपंच' से आवश्यक दस्तावेजों के साथ युवक की मां और चार रिश्तेदार नागपुर पहुंचे.

इस मामले ने एक बार फिर ‘आधार’ की ताकत साबित कर दी है. सचिन कुमार अब मुख्य रूप से आधार के कारण अपने परिवार के साथ फिर से जुड़ गए हैं.

बाल कल्याण समिति के नियमानुसार एवं न्यायालय के निर्देशानुसार बालक को सौंपने की प्रक्रिया अनाथालय के अधीक्षक एवं परामर्शदाता द्वारा संयुक्त रूप से कानूनी तौर पर पूरी कर ली गयी है.