आज ही के दिन यूक्रेन बना था अलग देश, 6 महीने से झेल रहा रूस के वार
अमेरिका के नेतृत्व में ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा सहित पश्चिमी देशों के साथ ही संयुक्त राष्ट्र के दखल देने और रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने और उसे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से अलग-थलग करने के बाद भी रूस की यूक्रेन पर जारी हमले को रोकने की कोई योजना नजर नहीं आ रही है.
कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहे यूरोपीय महाद्वीप के दो बड़े देश आज एक-दूसरे से युद्ध में उलझे हुए हैं. यूक्रेन, रूस के हमले का सामना कर रहा है और इससे उसके अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
अमेरिका के नेतृत्व में ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा सहित कई पश्चिमी देशों के साथ ही संयुक्त राष्ट्र के दखल देने और रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने और उसे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से अलग-थलग करने के बाद भी रूस की यूक्रेन पर जारी हमले को रोकने की कोई योजना नजर नहीं आ रही है.
यह बहुत ही दुखद है कि रूस के हमले के साये में आज 24 अगस्त को यूक्रेन अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. उससे भी अधिक दिलचस्प बात यह है कि आज 24 अगस्त को यूक्रेन पर रूस के हमले के छह महीने पूरे हो चुके हैं. रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमले की शुरुआत की थी.
सोवियत संघ का संक्षिप्त इतिहास
साल 1917 में रूसी क्रांति के कारण जार (शासक) निकोलस द्वितीय को सत्ता छोड़नी पड़ी थी. इसके बाद भी रूस में सत्ता संघर्ष चलता रहा. धुर वामपंथी व्लादिमीर लेनिन ने 1922 में एक लोकतांत्रिक रूसी राज्य बनाने के उद्देश्य से 15 राज्यों को मिलाकर सोवियत संघ का गठन किया था.
सोवियत संघ का पूरा नाम सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ (USSR) या यूएसएसआर था. सोवियत शब्द श्रमिक परिषदों के नाम से आता है और इसके लाल झंडे पर हथौड़ा और दरांती प्रतीकात्मक रूप से देश के श्रमिकों के श्रम का प्रतिनिधित्व करता है.
यूक्रेन का इतिहास
पूर्वी यूरोप में स्थित यूक्रेन रूस के बाद यूरोपीय महाद्वीप पर दूसरा सबसे बड़ा देश है. यूक्रेन की राजधानी कीव है, जो उत्तर-मध्य यूक्रेन में नीपर नदी पर स्थित है. यूक्रेन की आधुनिक अर्थव्यवस्था को सोवियत संघ की बड़ी अर्थव्यवस्था के अभिन्न अंग के रूप में विकसित किया गया था. पोलैंड-लिथुआनिया, रूस और सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ द्वारा लगातार वर्चस्व की लंबी लड़ाई के बाद 20वीं शताब्दी के अंत में यूक्रेन पूरी तरह से स्वतंत्र देश के रूप में उभरा.
1918-20 में यूक्रेन एक छोटी सी अवधि के लिए स्वतंत्र रहा था. हालांकि, दो विश्व युद्धों के बीच की अवधि में पश्चिमी यूक्रेन के कुछ हिस्सों पर पोलैंड, रोमानिया और चेकोस्लोवाकिया का शासन था. इसके बाद यूक्रेन, यूक्रेनी-सोवियत समाजवादी के रूप में सोवियत संघ का हिस्सा बन गया.
सोवियत संघ से ऐसे अलग हुआ यूक्रेन
1991 में सोवियत संघ के विघटन से पहले यूक्रेन में जनमत संग्रह हुआ था. तब 92 फीसदी लोगों ने यूक्रेन को अलग देश बनाने के लिए अपना वोट दिया था. ये जनमत संग्रह उस समय के सोवियत नेता मिखायल गोर्बाचोफ (Mikhail Gorbachev) ने कराया था.
सोवियत रिपब्लिक ऑफ यूक्रेन के नेता लियोनिड क्रैवचुक (Leonid Kravchuk) ने मास्को से आजाद होने की घोषणा की थी. क्रैवचुक स्वतंत्र यूक्रेन के पहले राष्ट्रपति चुने गए थे. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सोवियत संघ के पतन को 20वीं शताब्दी की सबसे बड़ी भू-राजनीतिक तबाही मानते हैं.
युद्ध के कगार पर कैसे पहुंचे यूक्रेन और रूस
सालों तक अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ कोल्ड वार में शामिल रहे रूस की चिंता साल 2004 में तब बढ़ गई जब यूक्रेन के सोवियत संघ से अलग होने के बाद पश्चिम समर्थक पूर्व प्रधानमंत्री विक्टर युशचेंको राष्ट्रपति बने.
साल 2005 में युशचेंको (Yushchenko) ने सत्ता संभाली और यूक्रेन को क्रेमलिन के प्रभाव से निकालने और नाटो व यूरोपीय यूनियन की ओर बढ़ने का वादा किया. साल 2008 में अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों के संगठन नाटो ने वादा किया कि एक दिन यूक्रेन गठबंधन का सदस्य होगा.
साल 2010 में रूस समर्थित यानुकोविच (Yanukovich) राष्ट्रपति बने और 2013 में उन्होंने यूरोप से 15 अरब डॉलर का आर्थिक पैकेज मिलने वाले समझौते पर हस्ताक्षर करने से इनकार दिया. इसको लेकर यूक्रेन में हिंसक प्रदर्शन होने लगे और 2014 में उन्हें संसद ने बर्खास्त कर दिया और पश्चिम समर्थित विपक्षी नेता पेट्रो पोरोशेंको (Petro Poroshenko) ने राष्ट्रपति चुनाव जीता.
इससे बौखलाए रूस ने साल 1954 में सोवियत संघ के तब के सर्वोच्च नेता निकिता ख्रुश्चेव द्वारा यूक्रेन को तोहफे के तौर पर दिए गए क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जे के लिए 2014 में हमला कर दिया. मार्च 2014 में क्रीमिया की संसद में जनमत संग्रह के आधार पर रूस ने उसे औपचारिक तौर पर मिला लिया जिसे मानने से यूक्रेन और अमेरिका ने इनकार कर दिया.
यही नहीं, 2014 में ही डोनबास के नाम से जाने वाले यूक्रेन के डोनेत्स्क और लुहान्स्क हिस्से उसके कब्जे से बाहर चले गए और वहां रूस समर्थिक अलगाववादियों ने अपना पीपुल्स रिपब्लिक गणराज्य स्थापित कर लिया. वहां आज भी लड़ाई जारी है और 15000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. 11 फरवरी 2015 को फ्रांस और जर्मनी ने रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौता करवाया, जिसमें संघर्ष विराम पर सहमति बनी.
2019 में राष्ट्रपति बनने वाले पूर्व हास्य अभिनेता वोलोदिमीर जेलेंस्की ने 2021 में एक बार फिर अमेरिका से यूक्रेन को नाटो में शामिल करने की अपील की. वहीं, फरवरी में रूस ने डोनेस्क और लुहांस्क को अलग देश की मान्यता दे दी. इस पर फिलहाल संयुक्त राष्ट्र परिषद में बैठक जारी है.
आज यूक्रेन अपना स्वतंत्रता दिवस भी नहीं मना रहा है. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, 24 फरवरी से अब तक यूक्रेन में 5587 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 7890 लोग घायल हो चुके हैं. हालांकि, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग का मानना है कि यह संख्या कहीं अधिक हो सकती है.
वहीं, अमेरिका ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद मॉस्को के शीर्ष नेतृत्व और कुलीन वर्ग के लोगों समेत करीब 5,000 नागरिकों पर प्रतिबंध लगाए हैं.
Edited by Vishal Jaiswal