जून में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.8 फीसदी पहुंची, शहरी बेरोजगारी दर घटी तो ग्रामीण बेरोजगारी दर बढ़ी
रोजगार के अवसरों में सबसे अधिक गिरावट ग्रामीण इलाकों में दर्ज की गई. जून महीने में ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर 1.41 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 8.03 फीसदी पर पहुंच गई. जबकि पिछले महीने यह दर 6.62 फीसदी पर थी.
ग्रामीण बेरोजगारी में भारी उछाल के कारण देश की बेरोजगारी दर एक बार फिर बढ़कर 7.8 फीसदी हो गई है. अप्रैल में 7.83 फीसदी के बाद मई में बेरोजगारी दर 7.12 फीसदी पर आ गई थी. यह जानकारी सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के आंकड़ों से सामने आई है.
रोजगार के अवसरों में सबसे अधिक गिरावट ग्रामीण इलाकों में दर्ज की गई. जून महीने में ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर 1.41 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 8.03 फीसदी पर पहुंच गई. जबकि पिछले महीने यह दर 6.62 फीसदी पर थी.
वहीं, इस दौरान शहरी बेरोजगारी दर में 0.91 फीसदी की कमी देखने को मिली. मई में शहरी बेरोजगारी दर 8.21 फीसदी थी जबकि जून में यह घटकर 7.30 फीसदी पर आ गई.
ऐसा माना जा रहा है कि इस साल की शुरुआत में गांवों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में अधिक अवसर के कारण शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर घट गई जबकि ग्रामीण इलाकों में बढ़ गई.
CMIE के एमडी और सीईओ महेश व्यास ने कहा कि कुल बेरोजगारी दर 7 से 8 फीसदी के बीच है. जून में ग्रामीण बेरोजदारी दर बढ़ी लेकिन शहरी बेरोजगारी दर नहीं. ग्रामीण बेरोजदारी में उछाल अस्थायी है. बुवाई (खेतों में बीज बोना) के जोर पकड़ते ही इसमें कमी आने की संभावना है.
मनरेगा के आंकड़ों ने भी ग्रामीण बेरोजगारी बढ़ने के लिए दिए संकेत
ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए मनरेगा के आंकड़ों के अनुसार, इस साल जून में 3 करोड़ 17 लाख घरों के 4 करोड़ 32 लाख लोग काम की तलाश कर रहे थे. जबकि कोविड-19 महामारी से पहले साल 2019-20 में इसी अवधि में 2 करोड़ 54 लाख घरों के 3 करोड़ 53 लाख लोग काम की तलाश कर रहे थे.
हरियाणा में सबसे अधिक तो मध्य प्रदेश में सबसे कम रही बेरोजगारी
राज्यों की बात करें तो देश में हरियाणा में सबसे अधिक 30.6 फीसदी बेरोजगारी देखने को मिली जबकि 29.8 फीसदी के साथ राजस्थान दूसरे स्थान पर रहा. इसके विपरित मध्य प्रदेश में सबसे कम 0.5 फीसदी बेरोजगारी रही तो वहीं छत्तीसगढ़ में 1.2 फीसदी और तमिलनाडु में 2.1 फीसदी रही.