Budget 2024: स्टार्टअप इकोसिस्टम के दिग्गजों को बजट से क्या उम्मीदें?
आइए जानते हैं कि स्टार्टअप इकोसिस्टम के दिग्गज इस बजट से क्या उम्मीदें रखते हैं...
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में आगामी एक फरवरी को 2024-25 का अंतरिम बजट (Union Budget 2024) पेश करेंगी. यह उनका छठा बजट है और मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम बजट है. सरकार आम चुनाव में जाने के पहले एक फरवरी को अपना अंतरिम बजट पेश करेगी. पिछले वर्षों में सरकार द्वारा की गई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों की घोषणा ने आर्थिक विकास को बल दिया है.
आइए अब जानते हैं कि स्टार्टअप इकोसिस्टम के दिग्गज इस बजट से क्या उम्मीदें रखते हैं...
के को-फाउंडर डॉन थॉमस कहते हैं, "हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में सर्वकालिक उच्च मांग के साथ, हम आने वाले सालों में बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं. आगामी बजट में इनोवेशन और प्रगति को खोलने की कुंजी है. इन उद्योगों में अग्रणी के रूप में, हम बजट को आशावाद के साथ देखते हैं, ऐसी नीतियों की आशा करते हैं जो हमारे क्षेत्र में हॉस्पिटैलिटी अनुभवों को बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत करने के लिए अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी में निवेश को प्रोत्साहित करती हैं. हम एक ऐसा बजट चाहते हैं जो एक सहयोगी इकोसिस्टम को बढ़ावा दे, स्टार्टअप को फलने-फूलने और इस क्षेत्र के विकास में सार्थक योगदान देने के लिए सहायता प्रदान करे. एक विज़नरी बजट न केवल इनोवेशन को बढ़ावा देगा बल्कि हमारे देश में आतिथ्य के भविष्य के लिए एक लचीली नींव भी तैयार करेगा."
के फाउंडर और सीईओ अनीश जैन कहते हैं, "उत्पादकता बढ़ाने, मूल्य प्राप्ति में सुधार और स्थिरता सुनिश्चित करने वाली अधिकांश योजनाएं पहले से ही बाजार में मौजूद हैं. हालांकि, इनमें से ज्यादातर योजनाएँ अकेले स्थिति को सुधारने या आगे बढ़ाने में सक्षम नहीं होगी. फ़िलहाल राज्यों, जिलों और ब्लॉकों को उत्पादन विकसित करने की आवश्यकता है, जहां ये सभी योजनाएं एक साथ कार्य कर सकतीं हों. इससे किसानों को इस दृष्टिकोण के बड़े प्रभाव का अनुभव करने में मदद मिलेगी, जिसके तहत इन योजनाओं की परिकल्पना की गई थी. आगामी बजट में इन एकीकृत पायलटों को स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए."
के को-फाउंडर और सीईओ दिनेश अर्जुन कहते हैं, "चूंकि इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग आने वाले वर्षों में पर्याप्त वृद्धि के लिए तैयार है, इसलिए सरकार के लिए एक सहायक इकोसिस्टम को बढ़ावा देना जरूरी है. निवेश के अवसरों को प्रोत्साहित करने के लिए, संभावित निवेशकों के लिए प्रोत्साहन होना चाहिए, साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों और चार्जिंग स्टेशनों के लिए जीएसटी दरों में आवश्यक कटौती होनी चाहिए. इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स पर आयात शुल्क में कमी के माध्यम से उद्योग पर बोझ को कम किया जा सकता है. ईवी सेक्टर में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, उद्योग विशेष रूप से महत्वपूर्ण जीएसटी कटौती के लिए आशान्वित है, जिसका लक्ष्य विशेष रूप से लिथियम-आयन बैटरी पैक और सेल के लिए इसे 18% से घटाकर 5% करना है. व्यापार करने में आसानी बढ़ाने और बाजार में स्थानीय खिलाड़ियों के प्रवेश को सुविधाजनक बनाने की दिशा में बजट में एक ठोस प्रयास महत्वपूर्ण है. कंपोनेंट्स लोकलाइजेशन जैसे पहलुओं को संबोधित करने और आवश्यक कंपोनेंट्स तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने से बड़ी और छोटी दोनों भारतीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर प्रतिस्पर्धी प्रोडक्ट तैयार करने का अधिकार मिलेगा, जिससे क्षेत्र की विकास क्षमता और मजबूत होगी."
के को-फाउंडर और सीईओ समर्थ खोलकर कहते हैं, " मुझे उम्मीद है कि सरकार ईवी सेक्टर को प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग (PSL) में शामिल करेगी, जो व्यक्तिगत एवं कमर्शियल वाहनों के लिए फाइनेंस को सुलभ एवं आसान बनाएगा. मुझे उम्मीद है कि बजट में ऐसी नीतियों की घोषणा की जाएगी जो ईवी अडॉप्शन को बढ़ावा देंगे जैसे आईसीई वाहनों को ईवी में बदलने वाली कन्वर्जन किट्स के लिए इन्सेंटिव की घोषणा और सब्सिडी बढ़ाना, इससे ईवी अधिक किफ़ायती हो जाएंगे."
के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर नारायण कार्तिकेयन कहते हैं, "2024-25 के अंतरिम बजट की घोषणा जल्द होने वाली है, हमारा मानना है कि आगामी बजट खासतौर पर दोपहिया ऑटो उद्योग की आर्थिक स्थिति का आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. टैक्सेशन सिस्टम में सुधार से हमारे उद्योग को फायदा होगा. सरकार उपभोक्ताओं के व्यय पर ध्यान दे रही है, ऐसे में टैक्स को बढ़ाने और घटाने से सैकण्ड हैण्ड दोपहिया वाहनों की मांग बढ़ेगी. इसके अलावा हाल ही में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा मौजूदा रेपो रेट को स्थिर बनाए रखने की घोषणा उल्लेखनीय है. दरों में स्थिरता बनी रहने से फाइनेंसिंग के अनुकूल विकल्प मिलेंगे और बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं के लिए दोपहिया वाहन खरीदना अधिक आसान हो जाएगा. इससे विभिन्न आर्थिक वर्गों के लिए परिवहन के साधनों को सुलभ बनाने में मदद मिलेगी. साथ ही, हमें उम्मीद है कि आगामी बजट ऑटोमोटिव उद्योग में स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देगा. बजट की बात करें तो हम आपसी सहयोग के प्रयासों को लेकर आशावादी हैं जो हमारे उद्योग को गति प्रदान करेंगे. उपभोक्ता-उन्मुख दृष्टिकोण के साथ अपनी टीम और साझेदारों के साथ मिलकर आगामी बजट से उत्पन्न होने वाले अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं."
के मैनेजिंग डायरेक्टर- ईएसजी इंडिया, अनूप सशिधरारन कहते हैं, "हमें उम्मीद है कि आगामी बजट शिक्षा और उद्योग के बीच तालमेल बनाकर नए दौर के कौशल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और हमारे कर्मचारियों को उभरते उद्योगों के लिए तैयार करेगा. हम एनईपी की अनुशंसा के अनुरूप शिक्षा क्षेत्र में बजट प्रतिशतता में बढ़ोतरी की उम्मीद करते हैं. एक अनुकूल बजट उद्योग-उन्मुख पाठ्यक्रम को बढ़ावा देने के प्रयासों को गति प्रदान करेगा. साथ ही आधुनिक तकनीकों के द्वारा छात्रों को नई नौकरियों के लिए सक्षम बनाएगा. छात्रों को रोज़गार उन्मुख समग्र शिक्षा प्रदान करने की प्रतिबद्धता के साथ हमें ऐसी घोषणाओं की उम्मीद है जो अकादमिक एवं उद्योग जगत के बीच के अंतर को दूर करेंगी और शिक्षा में बदलाव लाकर नौकरियों के लिए तैयार एवं कुशल कर्मचारियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. हमें उम्मीद है कि सरकार एनईपी 2020 के अनुरूप उच्च शिक्षा को सशक्त बनाने के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित करेगी."
के डायरेक्टर सिमरनजीत सिंह कहते हैं, "रेस्तरां मालिकों के रूप में, हम अपने उद्योग को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण पहलुओं पर बजट-पूर्व फोकस की आशा करते हैं. कच्चे माल पर मौजूदा उच्च जीएसटी चुनौतियां पैदा करता है, जिससे मिलने वाले लाभ सीमित हो जाते हैं. हम इसे विकास के लिए और अधिक अनुकूल बनाने के लिए संशोधन की आशा करते हैं. बार और रेस्तरां के लिए लाइसेंस प्राप्त करने की बोझिल प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और व्यवसाय-अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. इसके अलावा, इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) प्रणाली की बहाली रेस्तरां क्षेत्र की स्थिरता और समृद्धि का समर्थन करने में एक महत्वपूर्ण कदम होगी. हम ऐसे उपायों की आशा करते हैं जो व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा दें और उद्योग के समग्र विकास में योगदान दें."
& के सीईओ और फाउंडर तरुण जोशी कहते हैं, "2024 के केंद्रीय बजट से हम उम्मीद करते हैं कि टेक्स संशोधन और अनुरूप GST स्लैब्स के माध्यम से खरीदारी शक्ति को बढ़ावा देने के लिए रणनीतिक कदम उठाए जाएं. डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) क्षेत्र के लिए, हम लोकल मैन्युफैक्चरिंग के लिए इंसेंटिव्स और GST क्रेडिट्स के कुशल उपयोग की उम्मीद करते हैं. ग्लोबल कॉम्पिटीटिवनेस को बढ़ावा देने के लिए, हम AI और ML जैसी उभरती टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर होने वाले केपिटल एंड ओपरेशनल खर्च पर इंसेंटिव्स की आशा करते हैं. साथ ही, हम पारंपरिक कारीगरों के उत्थान के लिए निरंतर पहल की आशा करते हैं. ‘PM विश्व कर्म कौशल सम्मान’ योजना से जो पहचान इस क्षेत्र के लोगों को मिली उसकी हम सराहना करते हैं. साथ ही हम उनके उत्पादों की क्वालिटी, स्केल और मार्केट रीच को को बढाने और उपायों की उम्मीद करते हैं."
के फाउंडर दीपक साहनी कहते हैं, "हमें उम्मीद है कि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एलोकेटेड फंड्स में सिग्निफिकेंट बढ़ोतरी की जाएगी. मेडिकल इक्विपमेंट्स की मेनुफेक्चरिंग को बूस्ट करने के लिए और फंड्स लगाने की आवश्यक्ता है. साथ ही मेडिकल इक्विपमेंट्स के इंपोर्ट को कम करने के लिए भी जरूरी नियम लाने होंगे. IT हार्डवेयर, मोबाइल फोन, ड्रग्स और मेडिकल इक्विपमेंट्स के लिए PLI स्कीम ने 30 बिलियन डॉलर से ज्यादा इन्वेस्टमेंट को आकर्षित किया है. PLI स्कीम में स्वास्थ्य प्रोडक्ट संबंधी कैटेगरी को शामिल करना भारत को सेल्फ रीलायंट बना सकता है और हमें ग्लोबल सप्लाइ चैन के झटकों से बचा सकता है."
NGO की फाउंडर डॉ गीतांजलि चोपड़ा कहती हैं, “भूख से निपटने की तलाश में, बजट से हमारी उम्मीदें सामाजिक क्षेत्र में पर्याप्त निवेश के लिए एक सामूहिक अपील को प्रतिबिंबित करती हैं. गैर सरकारी संगठनों के रूप में, हम खाद्य सुरक्षा के खिलाफ एक सहयोगी मोर्चे की कल्पना करते हुए, कॉर्पोरेट क्षेत्र और सरकार दोनों के साथ प्रभावशाली साझेदारी बनाने की आकांक्षा रखते हैं. परिवर्तन में अग्रणी, हम कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहल से मजबूत और स्थायी समर्थन प्राप्त करना चाहते हैं. साझा प्रतिबद्धता के साथ, हम आकांक्षाओं को ठोस समाधानों में बदलने में विश्वास करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई भी भूखा न सोए. बजट सिर्फ एक वित्तीय योजना नहीं बल्कि एक जीवनरेखा बन जाता है, जो भूख मुक्त कल के लिए पोषण बुनता है."
वह आगे कहती हैं, “ऐसी दुनिया में जहां करुणा राजकोषीय जिम्मेदारी को पूरा करती है, आगामी बजट सामाजिक क्षेत्र को मजबूत करने की कुंजी रखता है. चूंकि पिछले दान कर जटिलताओं के कारण लड़खड़ा गए थे, ऐसे में बजट से उम्मीदें बढ़ गई हैं जो सादगी और उदारता का प्रतीक है. एक ऐसे परिदृश्य की कल्पना करते हुए जहां एनजीओ फलते-फूलते हैं, हम एक ऐसी कर व्यवस्था की आशा करते हैं जो निजी क्षेत्र के परोपकार को प्रोत्साहित करती है, एक सहजीवी संबंध को बढ़ावा देती है. ऐसा बजट जो सामाजिक प्रभाव को प्राथमिकता देता है, न केवल गैर सरकारी संगठनों के विकास को बढ़ावा देगा बल्कि अधिक दयालु और न्यायसंगत समाज को आकार देने में सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच महत्वपूर्ण साझेदारी को भी मजबूत करेगा."
.io के को-फाउंडर और सीईओ बीरूड शेठ कहते हैं, "जैसे-जैसे भारत बजट 2024 के लिए तैयार हो रहा है, उद्योग एक नवाचार-समर्थक नीति परिदृश्य की आशा कर रहा है. हमारा मानना है कि लक्षित उपाय AI की विशाल क्षमता को उजागर कर सकते हैं, आवश्यक सुरक्षा उपाय स्थापित करते हुए उद्योगों में इसे अपनाने को बढ़ावा दे सकते हैं. AI अनुसंधान और विकास के लिए कर लाभ जैसे लक्षित उपाय, टेक इकोसिस्टम को बहुत आवश्यक बढ़ावा देंगे. हम उद्योग और सरकार के बीच सहयोग की आशा करते हैं जो बातचीत के अनुभवों के निर्माण को बढ़ावा देगा और समावेशी डिजिटल परिवर्तन की एक नई लहर की शुरूआत करेगा. Gen AI की शक्ति से प्रेरित होकर, हमें उम्मीद है कि संवादात्मक इंटरनेट व्यवसायों के लिए नई संभावनाओं, सकारात्मक व्यवधानों और मूल्य सृजन की पेशकश करके हमारी अर्थव्यवस्था को डिजिटल बना देगा."
के को-फाउंडर और सीईओ संजय बोरकर कहते हैं, "पिछले बजट में Agriculture Accelerator Fund ने एग्रीटेक स्टार्टअप्स को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की थी. आगामी बजट की प्रत्याशा में, हम ऐसी नीतियों के प्रति आशान्वित हैं जो न केवल नियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करेंगी बल्कि वैश्विक, सहयोगात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हुए सीमा पार सहयोग को भी प्रोत्साहित करेंगी. हमारे कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने की कुंजी सरकारी पहलों में निहित है जो अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी को प्रोत्साहित करती है, जिसमें टिकाऊ और सटीक खेती, AI-संचालित विश्लेषण और स्मार्ट सिंचाई प्रणाली शामिल हैं. नवाचार, स्थिरता और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देकर, बजट में कृषि को लचीलेपन और दक्षता वाले भविष्य में आगे बढ़ाने की क्षमता है.
के फाउंडर और सीएफओ यज्ञेश संझारका कहते हैं, "पिछले बजट से स्टार्टअप्स और निवेशकों की अधूरी जरूरतों को संबोधित करने में, प्रमुख प्राथमिकताएँ अपरिवर्तित बनी हुई हैं. स्टार्टअप निजी कंपनियों द्वारा शेयरों की बिक्री पर ESOP के कराधान में सुधार और गैर-सूचीबद्ध और सूचीबद्ध संस्थाओं पर कर लगाने में समानता की मांग कर रहे हैं. स्टार्टअप्स के लिए जीएसटी दर को 12% तक कम करना, डिजिटलीकरण पर जोर देना, विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है. एक महत्वपूर्ण प्रश्न कंपनी निगमन, आयकर, पेटेंट फाइलिंग, स्टार्टअप पंजीकरण, जीएसटी पंजीकरण आदि को कवर करने वाले सिंगल विंडो अप्रूवल सिस्टम का कार्यान्वयन है. यह सुव्यवस्थित प्रक्रिया समय, प्रयास और लागत के बोझ को कम कर देगी.
यज्ञेश आगे बताते हैं, "स्टार्टअप धारा 80IC के तहत कराधान लाभ को दो और वर्षों के लिए बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. निवेशक के मोर्चे पर, न्यूनतम सीमा तक आउटबाउंड निवेश में वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) के लिए सेबी द्वारा स्वचालित अनुमोदन कॉर्पोरेट पुनर्गठन के लिए महत्वपूर्ण है. एंजेल निवेशकों की बढ़ती भूमिका को पहचानते हुए, निवेश के वर्ष में कर लाभ प्रदान करने से शुरुआती चरण के निवेशकों को जोखिम लेने और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. संक्षेप में, आगामी बजट इन महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने, स्टार्टअप इकोसिस्टम में नवाचार, विकास और निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाने की कुंजी रखता है."
एयू कॉरपोरेट एंड लीगल एडवाइजरी सर्विसेज लिमिटेड (AUCL) के फाउंडर अक्षत खेतान कहते हैं, "मेरी अपेक्षा है कि बैंकिंग क्षेत्र की लाभप्रदता को बढ़ाने के लिए कॉर्पोरेट कर दरों में कमी की जाए. मैं रियल एस्टेट में टिकाऊ और हरित भवन निर्माण प्रथाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बजट में प्रोत्साहन की उम्मीद करता हूं. वित्त क्षेत्र अधिक विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए नियामक ढांचे में सुधारों का उत्सुकता से इंतजार कर रहा है. मुझे यह भी उम्मीद है कि बजट में पहली बार घर खरीदने वालों के लिए कर प्रोत्साहन की पेशकश की जाएगी, जिससे रियल एस्टेट बाजार में वृद्धि होगी. बजट में डिजिटल भुगतान बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर ध्यान देने की महत्वपूर्ण आवश्यकता है. मेरा मानना है कि किफायती आवास के लिए बजटीय आवंटन बढ़ाया जाएगा, जो आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है. बैंकिंग क्षेत्र महामारी से प्रेरित चुनौतियों को कम करने के लिए गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों पर मानदंडों में ढील की उम्मीद कर रहा है. वित्त क्षेत्र को उम्मीद है कि डिजिटल लेनदेन में वृद्धि को देखते हुए बजट में साइबर सुरक्षा उपायों पर ध्यान दिया जाएगा."
के फाउंडर एवं सीईओ आदित्य गुप्ता कहते हैं, "आगामी बजट से हमें काफी उम्मीदें हैं और हम आशा करते हैं कि डिजिटल फाइनेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने पर ध्यान देना फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी को नई ऊंचाई देने की प्रतिबद्धता दर्शाता है. हाल में विनियमों को बेहतर बनाने के बाद कर में छूट देने से फिनटेक इनोवेशन का बेहतर माहौल बनेगा जिससे फिनटेक कम्पनियां अधिक जिम्मेदारी से नए अवसर पैदा करने में सक्षम होंगी. फिनटेक कम्पनियां हमारे एमएसएमई और एसएमई को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभा रही हैं. टियर 2, 3 और 4 शहरों को लक्ष्य बना कर अधिक प्रोत्साहन दे रही हैं. कुल मिला कर सब के सतत वित्तीय विकास के लिए रणनीतिक महत्व के पुरजोर प्रयास को सामने रखना होगा. इसके अलावा, एनबीएफसी द्वारा क्रेडिट कार्ड जारी किए जाने पर विचार करना भी फिनटेक के सुनहरे भविष्य की ओर इशारा करता है. यह बदलती वित्तीय गतिविधियों को अपनाने की प्रतिबद्धता दर्शाना वित्तीय क्षेत्र और पूरे राष्ट्र के लिए एक बड़ी जीत होगी.’’
सीईओ एवं को-फाउंडर नीरव चोकसी कहते हैं, "केंद्रीय बजट-2024 भारतीय अर्थव्यवस्था में फिनटेक के सतत विकास का मार्ग प्रशस्त करने का उपयुक्त अवसर है. आज फिनटेक वित्तीय और तकनीकी सहायता के माध्यम से इस सुविधा से वंचित एसएमई को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं इसलिए उन्हें प्रोत्साहन देने के किसी कदम का हम स्वागत करेंगे. इसके अलावा कई अन्य कार्य किए जाने का इंतजार है जैसे सरकारी बैंकों को मुनाफे में बनाए रखने का प्रयास, एमएसएमई के लिए क्रेडिट गारंटी योजनाओं को बढ़ावा देना, पीएलआई स्कीम शुरू करना और छोटे व्यवसायों के लिए सब्सिडी बढ़ाना. वित्तीय सेवा उद्योग को यह भी उम्मीद है कि बजट में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के प्रबंधन के बारे में सकारात्मक घोषणाएं की जाएंगी. वित्त मंत्री ने 2024 के आम चुनावों से पहले आगामी बजट में बड़ी घोषणाओं में कुछ कमी के संकेत दिए हैं. लेकिन इसके बावजूद फिनटेक सेक्टर को यह आशा है कि सेक्टर के विकास, पहुंच बढ़ाने और भारत की डिजिटल उपस्थिति बढ़ाने की सरकार की नीतियां लागू करने प्रतिबद्धता दिखेगी.’’
के को-फाउंडर और ग्रुप सीईओ आशीष सिंघल कहते हैं, "दो साल पहले बजट-2022 के अंदर भारत में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (वीडीए) के लिए कर प्रावधान किए गए थे. इस उद्योग ने आयकर अधिनियम के तहत वीडीए की परिभाषा और समावेश करने का स्वागत किया था. हालांकि कुछ प्रावधानों के चलते जैसे कि टीडीएस की दर उच्च होने और ऑफसेट की सुविधा नहीें होने की वजह से कई भारतीय वीडीए यूजर विदेशी मुद्रा का ट्रेड इस तरह करने लगे जो नियमों के अनुसार नहीं था. इससे उनके निवेश को खतरा है और नियमों का भी उल्लंघन होता है. इतना ही नहीं, सरकारी खजाने को आमदनी का नुकसान है. ऐसे में एफआईयू-रजिस्टर्ड क्वायनस्विच भारत के केवाईसी और पीएमएलए नियमों के अनुसार कार्य करते हुए भारत सरकार से निम्नलिखित बिन्दुओं पर विचार करने का आग्रह करता है.
1) वीडीए के मामले में स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) 1 प्रतिशत से घटा कर 0.01 प्रतिशत किया जाए
2) वीडीए की बिक्री से किसी नुकसान की भरपाई और आगे ले जाने की अनुमति मिले
3) और वीडीए की आय को अन्य पूंजीगत संपत्तियों के बराबर दर्जा मिले
भारत सरकार ने जी20 में सराहनीय नेतृत्व का परिचय देते हुए ग्लोबल क्रिप्टो फ्रेमवर्क बनाने की बात की और वैश्विक मानकों के अनुरूप एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग जैसे घरेलू नियामक ढांचे को लागू किया है. भारत सरकार इस आधार पर वीडीए के लिए लागू कर प्रावधानों पर पुनर्विचार कर सकती है. यह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक बाहरी मामला है. कर में मौजूदा अंतर कम करने से कई लाभ मिलेंगे जैसे पूंजी, उपभोक्ताओं, निवेश और प्रतिभा का पलायन रोकने में मदद मिलेगी. साथ ही, वीडीए की काली अर्थव्यवस्था पर भी प्रहार होगा."